Weather
- -रेवाड़ी के कुछ इलाकों में ओलावृष्टि, बारिश के बाद तापमान में गिरावट
- – 16 मार्च से मौसम साफ होने की संभावना, तापमान में कमी आएगी
- -तीन दिन से मौसम परिवर्तनशील बना हुआ
- -बादल छाने व हल्की बरसात होने से फसल कटाई का कार्य प्रभावित
Weather : रेवाड़ी। फसल कटाई के समय मौसम ने एक बार फिर किसानों की नींद उड़ा दी है। होली के दिन इंद्रदेवता ने बौछारों के साथ होली खेली। कुछ इलाकों में हल्की ओलावृष्टि भी हुई, जिससे फसल को मामूली नुकसान हुआ है। आसमान में बादल किसानों की चिंता बढ़ा रहे हैं। 16 मार्च से मौसम साफ होने की संभावना है। इस दौरान दिन के तापमान में कमी आने की संभावना है।
तीन दिन से मौसम परिवर्तनशील बना हुआ है। बीते वीरवार से लेकर शनिवार तक बार-बार बादल छाने व हल्की बरसात होने से फसल कटाई का कार्य प्रभावित हुआ है। इस समय किसान सरसों की कटाई व निकालने के कार्य में लगे हुए हैं। तीन दिन से पश्चिम विक्षोभ की सक्रियता के चलते तेज हवाओं के साथ बरसात हो रही है।
नमी का स्तर 50 प्रतिशत से ज्यादा रहा
दिन का तापमान 34 डिग्री के पार पहुंच गया था, जिसमें अब गिरावट आना शुरू हो गया है। रात के तापमान में भी कमी आई है। शनिवार को अधिकतम तापमान 29.8 डिग्री व न्यूनतम तापमान 15 डिग्री दर्ज किया गया। शुक्रवार की रात भी जिले के कई भागों में हल्की बरसात हुई। 14 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चलीं, जबकि नमी का स्तर 50 प्रतिशत से ज्यादा रहा। मौसम में बदलाव के साथ ही सर्दी गायब हो चुकी है। गर्म कपड़ों से लोगों ने तौबा कर लिया है। बारिश के बाद मौसम के तेवर कुछ ठंडे पड़े हैं, परंतु आने वाले दिनों में तापमान तेज से बढ़ सकता है। मौसम विभाग के अनुसार रविवार से आसमान साफ होने की संभावना है। अगले सप्ताह के मध्य एक बार फिर मौसम में बदलाव देखने को मिल सकता है।
फसलों को नुकसान की आशंका बनी
इस समय एक ओर जहां सरसों की कटाई का कार्य तेजी से चल रहा है, तो गेहूं की फसल पकाव की ओर है। गेहूं में दाना बनना शुरू हो गया है। जिन इलकों में ओलावृष्टि हुई है, वहां सरसों की फसल को नुकसान हुआ है। तेज हवाओं के कारण गेहूं की फसल गिरने की आशंका बनी हुई है। कुछ इलाकों में फसल जमीन पर गिरी भी है। इससे उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है। आसमान में बादलों के साथ ही किसान सरसों की कटाई तेजी से कर रहे हैं। ओलावृष्टि से कटी हुई फसल में नुकसान की गुंजाइश ज्यादा नहीं होती, जबकि खड़ी फसल के दाने निकलकर जमीन पर गिर जाते हैं। फसल की जल्द कटाई के लिए किसान अप्रवासी श्रमिकों की मदद भी ले रहे हैं।