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Suprem Court

  • सुप्रीम कोर्ट के निर्देश, आईपीएस की प्रतिनियुक्ति में धीरे-धीरे कमी लाई जाए
  • सुप्रीम कोर्ट के अहम निर्देश, कैडर अधिकारियों का मनोबल बढ़ाएं
  • आईपीएस की प्रतिनियुक्ति दो वर्षों में उत्तरोत्तर की जानी चाहिए
  • इससे कैडर अधिकारियों को अधिक अवसर मिलेंगे
  • सीएपीएफ में कैडर अधिकारियों की पदोन्नत्ति में मिलता है मनोबल

Suprem Court : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक आदेश में निर्देश दिया है कि केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) को संगठित समूह-ए सेवाओं (ओजीएएस) के सभी लाभ प्राप्त करने का अधिकार है। ऐसे में सीएपीएफ में आईपीएस की प्रतिनियुक्ति में धीरे-धीरे कमी लाई जाए और सीएपीएफ को ओजीएएस का हिस्सा माना जाए।न केवल गैर-कार्यात्मक वित्तीय उन्नयन (एनएफएफय) प्रदान करने के उद्देश्य से, बल्कि कैडर समीक्षा सहित सभी कैडर-संबंधी मामलों के लिए भी। शीर्ष अदालत ने कहा कि महानिरीक्षक स्तर तक के आईपीएस अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति दो वर्षों में ‘उत्तरोत्तर’ की जानी चाहिए, ताकि कैडर अधिकारियों को अधिक अवसर मिल सकें। न्यायमूर्ति अभय एस ओका (अब सेवानिवृत्त) और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने 23 मई को आदेश सुनाते हुए कहा कि सीएपीएफ में कैडर अधिकारियों की पदोन्नति में विलंब से मनोबल पर ‘प्रतिकूल’ प्रभाव पड़ सकता है।

कई शिकायत याचिकाओं का निपटारा

इन संगठनों के अधिकारियों द्वारा दायर कई शिकायत याचिकाओं का निपटारा करते हुए पीठ ने यह भी कहा कि इन सीएपीएफ की बहुप्रतीक्षित कैडर समीक्षा छह महीने में की जानी चाहिए, जिस पर शीर्ष अदालत ने 2020 में रोक लगा दी थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन पांच केंद्रीय पुलिस बल-सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी को विभिन्न प्रकार के कानून-व्यवस्था संबंधी कर्तव्यों, सीमा सुरक्षा जैसे आंतरिक सुरक्षा कार्यों, आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने तथा चुनाव कराने के लिए तैनात किया जाता है।

याचिका में यह मांग

याचिकाकर्ताओं, जिनमें शुरू में इन बलों के 18,000 अधिकारी शामिल थे, ने 2009 में आवेदन दायर कर गृह मंत्रालय से उनमें से प्रत्येक को संगठित समूह ए सेवा (ओजीएएस) के रूप में मानते हुए कैडर समीक्षा की मांग की थी, ताकि समय पर पदोन्नति में देरी से संबंधित उनके मुद्दे का समाधान किया जा सके। न्यायालय ने कहा कि यह ‘पूरी तरह से स्पष्ट’ है कि सीएपीएफ को कैडर मुद्दों और अन्य सभी संबंधित मामलों के लिए ओजीएएस के रूप में माना गया है। जब सीएपीएफ को ओजीएएस घोषित किया गया है, तो ओजीएएस को उपलब्ध सभी लाभ स्वाभाविक रूप से सीएपीएफ को मिलने चाहिए, यह नहीं हो सकता कि उन्हें एक लाभ दिया जाए और दूसरे से वंचित रखा जाए।

छह माह में हो सीएपीएफ कैडर की समीक्षा

आदेश में कहा गया कि याचिकाकर्ताओं के अनुसार, चूंकि भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड (महानिरीक्षक रैंक) तक के पदों पर आसीन हैं, इसलिए उनकी पदोन्नति की संभावनाएं ‘बाधित’ हो रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप सेवा पदानुक्रम में ठहराव आ रहा है। पीठ ने आदेश दिया, ‘सभी सीएपीएफ में कैडर समीक्षा, जो वर्ष 2021 में होनी थी, आज से छह महीने की अवधि के भीतर पूरी की जाए।’

अभी यह स्थिति

वर्तमान में, इन बलों में महानिरीक्षक स्तर पर 50 प्रतिशत पद आईपीएस अधिकारियों के लिए आरक्षित हैं, जबकि उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) स्तर के लगभग 15 प्रतिशत पद सेना (5 प्रतिशत) के अलावा अखिल भारतीय सेवा से प्रतिनियुक्ति पर आने वाले अधिकारियों के लिए रखे गए हैं।

यह कहा गृहमंत्रालय ने

गृह मंत्रालय ने सीएपीएफ कैडर अधिकारियों की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आईपीएस अधिकारी पदानुक्रम का एक ‘महत्वपूर्ण’ हिस्सा हैं। चूंकि ये बल विभिन्न राज्यों में तैनात हैं, इसलिए आईपीएस अधिकारी सीएपीएफ के प्रभावी संचालन के लिए ‘आवश्यक’ हैं, जिससे संबंधित राज्य सरकारों और उनके संबंधित पुलिस बलों के साथ सहयोग की सुविधा मिलती है, जिससे संघीय ढांचे को संरक्षित किया जा सकता है।

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