Poison Scam
- -मध्य प्रदेश के सिवनी की केवलारी तहसील में जहर घोटाला
- -4 लाख प्रति व्यक्ति मुआवजा िलया, कुल 11 करोड़ से अधिक एंेठे
- -यह फर्जीवाड़ा साल 2019 से 2022 के बीच किया गया
- -मूल आरोपी सचिन जेल में, बाकी 20 आरोपी जमानत पर छूटे
Poison Scam : । मध्य प्रदेश के सिवनी जिले की केवलारी तहसील में जहर घोटाला सामने आया है। यहां कुछ लोगों को झूठे तरीके से सांप के काटने जैसी घटनाएं बताकर मृत घोषित कर दिया गया, ताकि सरकार से मिलने वाला 4 लाख रुपए का मुआवजा फर्जी तरीके से लिया जा सके। कोष और लेखा विभाग के संयुक्त निदेशक रोहित कौशल ने बताया कि जांच में सामने आया है कि अगर किसी की मौत सांप काटने या नदी में डूबने से होती है, तो सरकार की तरफ से मुआवजा दिया जाता है। इसी नियम का गलत फायदा उठाकर कई फर्जी मौतों के दस्तावेज तैयार किए गए और कोषालय से पैसे निकाल लिए गए। जांच अधिकारियों के मुताबिक, यह फर्जीवाड़ा साल 2019 से 2022 के बीच किया गया है। इस दौरान 47 अलग-अलग लोगों के बैंक खातों में करीब 11 करोड़ रुपए का मुआवजा जमा कराया गया। ये रकम गलत तरीके से सांप के काटने या हादसों से हुई नकली मौतों के नाम पर ली गई। जांच में खुलासा हुआ है कि इन सभी फर्जी मामलों में मृत्यु प्रमाण पत्र, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, और पुलिस वेरिफिकेशन तक मौजूद नहीं था। फिर भी बिल पास हुए और पैसे सीधे कोषालय स्तर से जारी कर दिए गए।
75 साल के संत बघेल बोले- मैं तो जिंदा हूं
मलारी गांव के संत कुमार बघेल (75) को सरकारी रिकॉर्ड में मरा हुआ दिखाया गया है, जबकि वे जिंदा हैं। संत कुमार बताते हैं कि उन्होंने खुद ये सुना कि उनके नाम पर लाखों रुपए का मुआवजा लिया गया है, जबकि उन्हें इसका कुछ नहीं मिला। इस घोटाले की पुलिस और वित्त विभाग की जांच में अंतर सामने आ रहा है। पुलिस की जांच में एसडीएम तहसीलदार दोषी नहीं माने गए हैं। जबकि वित्त विभाग की जांच में 1 तत्कालीन एसडीएम, 3 तत्कालीन तहसीलदार और 1 तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार को जिम्मेदार माना गया है। वित्त विभाग की जांच की पड़ताल में उजागर हुआ है कि जांच टीम ने दस्तावेजों का मिलान ही नहीं किया। इसका उल्लेख टीम ने जांच रिपोर्ट में खुद ही किया है। इससे जांच की निष्पक्षता को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
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