Manrega
- – संसद समिति ने की सिफारिश, योजना को नया रूप देने पर जोर
- – फिलहाल 100 दिन मिलता है काम, 150 रुपये मजदूरी
- -समिति ने योजना में नीतिगत सुधार लागू करने को भी कहा
- -देश में स्वतंत्र और पारदर्शी सर्वेक्षण की सिफारिश
Manrega : नई दिल्ली। संसद की एक स्थायी समिति ने मनरेगा के तहत प्रदान किए जाने वाले काम के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 150 दिन करने समेत श्रमिकों के दैनिक पारिश्रमिक को कम से कम 400 रुपये निर्धारित करने की सिफारिश की है। समिति ने सुझाव दिया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) से जुड़ी योजना की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए एक स्वतंत्र सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। समिति ने उभरती चुनौतियों के मद्देनजर योजना को नया रूप देने पर भी जोर दिया है। हाल ही में संपन्न बजट सत्र के अंतिम सप्ताह के दौरान संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट में ग्रामीण विकास और पंचायती राज पर संसद की स्थायी समिति ने योजना के तहत मिलने वाले काम के दिनों की संख्या मौजूदा 100 से बढ़ाकर 150 करने की सिफारिश की है।
आवंटित राशि में ठहराव पर चिंता
समिति ने प्रमुख ग्रामीण रोजगार योजना के लिए आवंटित राशि में ठहराव पर चिंता व्यक्त करते हुए सामाजिक लेखापरीक्षा पर भी जोर दिया है, ताकि योजना के उचित कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया जा सके। कांग्रेस सांसद सप्तगिरि शंकर उलाका की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा, ‘समिति का मानना है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण आयोजित किया जाना चाहिए।’
योजना में सुधार किया जाए
रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वेक्षण में श्रमिकों की संतुष्टि, वेतन में देरी, भागीदारी के रुझान और योजना के भीतर वित्तीय अनियमितताओं पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। ‘समिति ने मनरेगा से जुड़े कार्यक्रम की कमियों के बारे में मूल्यवान जानकारी प्राप्त करने और मनरेगा की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए आवश्यक नीतिगत सुधारों को लागू करने के लिए देश भर में स्वतंत्र और पारदर्शी सर्वेक्षण की सिफारिश की है।’ समिति ने योजना में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि वर्तमान में 100 दिनों का रोजगार प्रदान करने का प्रावधान है, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों से दिनों की संख्या बढ़ाने की मांग की जा रही है।
जवाबदेही में सुधार जरूरी
समिति ने पाया कि पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार के लिए सामाजिक लेखापरीक्षा को बढ़ाया जाना चाहिए और ग्रामीण विकास मंत्रालय से सामाजिक लेखापरीक्षा ‘कैलेंडर’ तय करने का आग्रह किया। ‘जॉब कार्ड’ समाप्त किए जाने की उच्च संख्या को देखते हुए समिति ने कहा कि 2021-22 में लगभग 50.31 लाख जॉब कार्ड मामूली वर्तनी संबंधी त्रुटियों या आधार विवरण से विसंगति के कारण समाप्त कर दिए गए थे।
https://vartahr.com/manrega-under-mn…-should-be-given/