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Suprem court : वक्फ कानून पर अंतरिम आदेश, नियुक्तियां रोकीं, सरकार से 7 दिन में मांगा जवाब

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Apr 17, 2025

Suprem court

  • -5 मई तक वक्फ संपत्तियां गैर-अधिसूचित नहीं कर सकेंगे
  • -सरकार के जवाब के बाद याचिकाकर्ताओं को 5 दिन में जवाब देना होगा
  • -शीर्ष कोर्ट में अगली सुनवाई 5 मई को दोपहर 2 बजे होगी

Suprem court : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार के इस आश्वासन को दर्ज कर लिया कि 5 मई तक वक्फ बाय यूजर समेत वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा और न ही केंद्रीय वक्फ परिषद तथा वक्फ बोर्डों में नियुक्तियां की जाएंगी। वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन करीब 1 घंटे सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र सरकार को कानून पर जवाब देने के लिए 7 दिन का समय दिया है। सरकार के जवाब के बाद याचिकाकर्ताओं को 5 दिन में जवाब देना होगा। अगली सुनवाई 5 मई को दोपहर 2 बजे होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून के खिलाफ दायर 70 याचिकाओं की जगह सिर्फ 5 याचिकाएं ही दायर की जाएं। उन्हीं पर सुनवाई होगी। तब तक सरकार को ये आदेश मानने होंगे। वक्फ बाय यूजर संपत्ति लंबे समय से धार्मिक या परोपकारी उद्देश्य से इस्तेमाल की जा रही संपत्ति होती है, जिसके लिए लिखित दस्तावेज या रजिस्ट्री की जरूरत नहीं होती। केंद्र ने वक्फ बाय यूजर समेत वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने के खिलाफ अंतरिम आदेश पारित करने और केंद्रीय वक्फ परिषदों व बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को नियुक्त करने की अनुमति देने वाले प्रावधान पर रोक लगाने के उच्चतम न्यायालय के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया।

 

पांच मुख्य आपत्तियों पर होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘110 से 120 फाइलें पढ़ना संभव नहीं हैं। ऐसे में ऐसे 5 पॉइंट तय करने होंगे। सिर्फ 5 मुख्य आपत्तियों पर ही सुनवाई होगी। सभी याचिकाकर्ता मुख्य बिंदुओं पर सहमति बनाएं। नोडल काउंसिल के जरिए इन आपत्तियों को तय करें।’ सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार, जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता पैरवी कर रहे हैं। वहीं कानून के खिलाफ कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी, सीयू सिंह दलीलें रख रहे हैं।

याचिका में ये खास बातें

-कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 25 (धार्मिक स्वतंत्रता), 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता), 29 (अल्पसंख्यक अधिकार), और 300ए (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है।
-वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमानों को शामिल करना और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को वक्फ संपत्ति का फैसला करने का अधिकार देना सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ाता है।
-यह कानून मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव करता है, क्योंकि अन्य धार्मिक ट्रस्टों पर समान प्रतिबंध नहीं हैं।

सरकार ने यह दिया आश्वासन

-केंद्र सरकार ने जवाब दायर करने के लिए सात दिन का समय मांगा और सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया।
-सुनवाई की अगली तारीख तक (अधिनियम की) धारा 9 और 14 के तहत परिषद व बोर्डों में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी।
-अधिसूचना के माध्यम से पहले से पंजीकृत या घोषित ‘वक्फ बाय यूजर’ समेत वक्फ संपत्तियों की स्थिति से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी और उन्हें गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा।
-केंद्र सरकार के जवाब तक वक्फ संपत्ति की स्थिति नहीं बदलेगी।

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