Whater
- विधानसभा के विशेष सत्र में कहा, अभी तो हम ये पानी दे रहे हैं, आगे से यह भी नहीं मिलेगा
- बीबीएमबी भाजपा की कठपुतली के रूप में काम कर रहा
- अवैध और असंवैधानिक तरीकों से पंजाब के जल अधिकार कमजोर कर रहे
Whater : चंडीगढ़। भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) के पानी को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पंजाब सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया और इसमें सीएम भगवंत मान ने कहा कि हम पंजाब के हिस्से का एक बूंद पानी भी हरियाणा को नहीं देंगे। इसके लिए चाहे हमें कुछ भी करना पड़े। विस सत्र के दौरान पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर गोयल ने एक प्रस्ताव पेश किया। इसमें बीबीएमबी द्वारा हरियाणा को अतिरिक्त 8500 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के फैसले का कड़ा विरोध किया गया। सदन में कहा कि ‘अतिरिक्त पानी की बूंद’ नहीं छोड़ी जाएगी। गोयल ने बीबीएमबी पर भाजपा की कठपुतली के रूप में काम करने और अवैध और असंवैधानिक तरीकों से पंजाब के जल अधिकारों को कमजोर करने की साजिश रचने का आरोप लगाया। गोयल ने कहा कि पंजाब ने मानवीय आधार पर हरियाणा को 4,000 क्यूसेक पानी दे दिया है, लेकिन अपने हिस्से से कोई अतिरिक्त पानी नहीं छोड़ेगा। अभी तो हम पानी दे रहे हैं, लेकिन आगे यह पानी भी नहीं दिया जाएगा। 1981 की जल-बंटवारा संधि पुरानी हो चुकी है।
पंजाब विधानसभा में ये प्रस्ताव पारित
1. पानी नहीं देंगे : पंजाब सरकार अपनी हिस्सेदारी का एक भी बूंद पानी हरियाणा को नहीं देगी। पेयजल के उद्देश्य से हरियाणा को दी जा रही 4000 क्यूसेक पानी मानवता के आधार पर जारी रहेगी।
2. बीबीएमबी की बैठक बुलाने की निंदा: भाजपा द्वारा बीबीएमबी की बैठक बुलाई जाने की अवैध और असंवैधानिक कार्रवाई की कड़ी निंदा की।
3. बीबीएमबी का पुनर्गठन: वर्तमान में बीबीएमबी केंद्र की भाजपा सरकार का एक कठपुतली बन गया है। बीबीएमबी की बैठकों में न तो पंजाब की बात सुनी जा रही है और न ही पंजाब के अधिकारों का ध्यान रखा जा रहा है। इसलिए, पंजाब के अधिकारों की रक्षा के लिए बीबीएमबी का पुनर्गठन किया जाना चाहिए।
4. नदियों के पानी के बंटवारे पर पुनर्विचार : सतलुज, रावी और ब्यास नदियां केवल पंजाब से होकर गुजरती हैं। फिर इनके पानी का बंटवारा अन्य राज्यों को किस आधार पर किया जा रहा है? 1981 में इन नदियों के पानी के बंटवारे के समझौते में लिखित पानी की मात्रा और वास्तविक उपलब्ध पानी की मात्रा में बड़ा अंतर है। इसलिए, इन नदियों के पानी के बंटवारे के लिए नया समझौता किया जाना चाहिए।
5. बीबीएमबी की बैठकों में कानून का पालन: बीबीएमबी की किसी भी बैठक के लिए कानून के अनुसार न्यूनतम दिनों का नोटिस देना आवश्यक है। बीबीएमबी इस कानून का पालन नहीं करता और रात में अवैध बैठक बुलाता है।
6. बीबीएमबी की शक्तियों की सीमा: 1981 की संधि में स्पष्ट रूप से लिखा है कि किस राज्य को कितना पानी मिलेगा। बीबीएमबी को इसे बदलने का कोई अधिकार नहीं है। यदि बीबीएमबी एक राज्य का पानी दूसरे राज्य को देता है, तो ऐसे निर्णय अवैध और असंवैधानिक होंगे।
7. डैम सेफ्टी एक्ट 2021 की निंदा: डैम सेफ्टी एक्ट 2021 को पंजाब के अधिकारों पर हमला है। यह कानून केंद्र सरकार को राज्यों के बांधों और नदियों पर पूर्ण नियंत्रण देता है, भले ही बांध पूरी तरह से राज्य की सीमा में हो। इसलिए, केंद्र से डैम सेफ्टी एक्ट 2021 को तुरंत निरस्त करने की मांग की है।