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Shilajit : प्रकृति का अदभुत खजाना है ‘शिलाजीत’

Byadmin

Mar 22, 2025
Shilajit
  • -यह सप्तधातु (रस, रक्त, मांस, फेट, अस्थि, मज्जा और शुक्र यानी प्रजनन द्रव या वीर्य) पौषक
  • -यह एक प्राकृतिक पदार्थ है जो हिमालय और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है
  • -यह एक जटिल मिश्रण है, जिसमें विभिन्न प्रकार के खनिज, विटामिन और अमीनो एसिड शामिल 

 

जितेंद्र राणावैद्य, रोहतक
             जितेंद्र राणा
            वैद्य, रोहतक

Shilajit : ‘शिलाजीत’ प्राकृति का अदभुत खजाना है। यह सप्तधातु (रस, रक्त, मांस, फेट, अस्थि, मज्जा और शुक्र यानी प्रजनन द्रव या वीर्य) पौषक है। यह एक प्राकृतिक पदार्थ है जो हिमालय और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह एक जटिल मिश्रण है, जिसमें विभिन्न प्रकार के खनिज, विटामिन और अमीनो एसिड शामिल हैं। जो मनुष्य को ऊर्जा प्रदान करते हैं। इसे पहाड़ का सत भी कहा जाता है। आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार शिलाजीत की तासीर गर्म होती है। इसे दूध या पानी के साथ लिया जा सकता है। हालांकि एलर्जी, हार्ट और शूगर जैसे मरीजों को इसे चिकित्सक की देखरेख में लेना चाहिए। शिलाजीत मांसपेशियों के विकास में सहयक है। इसे हर उम्र का व्यक्ति महिला या पुरुष ले सकता है।

स्वास्थ्य लाभ

1. ऊर्जा और शक्ति बढ़ाने में मदद करता है।
2. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।
3. तनाव और थकान को कम करने में मदद करता है।
4. यौन शक्ति और कामेच्छा बढ़ाने में मदद करता है।
5. हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
6. मधुमेह और अन्य चयापचय संबंधी विकारों को नियंत्रित करने में मदद करता है।
7. इसे इंडियन वायग्रा भी कहा जाता है। शीघ्र स्खलन और ऑर्गेज्मसुख से वंचित लोगों में यह कामोत्तेजना बढ़ाने का काम करता है।
8. मानसिक थकावट, अवसाद, तनाव और चिंता से लड़ने के लिए शिलाजीत का सेवन करना गुणकारी है।
9. इसके सेवन से महिलाओं के माहवारी की अनियमितता भी खत्म हो जाती है।

ऐसे करें सेवन

1. शिलाजीत पाउडर को दूध या पानी में मिलाकर पीया जा सकता है।
2. शिलाजीत कैप्सूल के रूप में भी मिलता है इसका सेवन किया जा सकता है।
3. शिलाजीत को गुनगुने दूध या पानी के साथ लेना बेहतर होता।
4. इसे लिक्विड फोम तैयार कर रोजाना चार से पांच बूंद दूध में डालकर ले सकते हैं।
5. इसे रात को साेने से पहले लिया जाना सबसे बेहतर होता है।
6. इसे अश्वगंधा, शतावर, सफेद मूसली, कौंच बीज और विदारी कद के साथ भी सीमित मात्रा में लिया जा सकता है।

कुछ बातों का ध्यान रखें

1. सबसे पहले शिलाजीत की गुणवत्ता और शुद्धता की जांच करें।
2. शिलाजीत का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
3. अधिक मात्रा में सेवन न करें, क्योंकि इससे दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।

क्या है शिलाजीत

यह एक प्राकृतिक पदार्थ है। एक गाढ़ा भूरे रंग का, चिपचिपा पदार्थ है जो मुख्य हिमालय की चट्टानों से पाया जाता है। इसका रंग सफेद से लेकर गाढ़ा भूरा और तारकोल जैसा काला के बीच कुछ भी हो सकता है। बताया जाता है कि जब पहाड़ गरम होते हैं तो उनके बीच गतिशील क्रिया होती है, जिसमे रस निकलता है और यह पहाड़ों पर ही चिपक जाता है। इस तरह आपसी गर्मी में पहाड़ों के बीच जो रस बनता है उसे शिलाजीत के रूप में जाता है। यह एक बेहतरीन औषधी है। इसका उपयोग शारीरिक को लाभ हेतु किया जाता है। सूत्रों के मुताबिक पहाड़ों के बीच यह गतिशील प्रक्रिया भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल और रसिया के कुछ क्षेत्र में होती है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा में उपयोग

शिलाजीत का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है। इसे बलपुष्टिकारक, ओजवर्द्धक, दौर्बल्यनाशक एवं धातु पौष्टिक माना जाता है। यह बहुत प्रभावी और सुरक्षित है, जो संपूर्ण स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। शिलाजीत कम टेस्टोस्टेरोन, भूलने की बीमारी (अल्जाइमर), क्रोनिक थकान सिंड्रोम, आयरन की कमी से होने वाला रक्ताल्पता, पुरुष प्रजनन क्षमता में कमी (पुरुष बांझपन) अथवा हृदय के लिए बेहद लाभकारी है।

भौतिक व रसायनिक गुण

शिलाजीत कड़वा, कसैला, उष्ण, वीर्य शोषण एवं छेदन करने वाला है। शिलाजीत देखने में तारकोल के समान काला और गाढ़ा पदार्थ होता है जो सूखने पर चमकीला हो जाता है। यह जल में घुलनशील है, किन्तु एल्कोहोल, क्लोरोफॉर्म तथा ईथर में नहीं घुलता।

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