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Mahakumbh : जहां नहाते शंकराचार्य, वहीं नहाएंगे ‘दलित और पिछड़े’

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ।शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ।

Mahakumbh

  • महाकुंभ में वीआईपी घाट को लेकर शंकराचार्य का बड़ा बयान
  • धर्म के अनुसार कोई भी वीआईपी घाट नहीं हो सकता
  • हमारे यहां सभी एक समान तरीके से ही नहाते हैं

Mahakumbh : नई दिल्ली। महाकुंभ 2025 में वीआईपी घाटों को लेकर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने बड़ा बयान दिया है और इसकी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि वीआईपी घाट नहीं होना चाहिए। जब से सरकारी व्यवस्था हुई तो इन लोगों ने वीआईपी घाट बना दिए। उन्होंने कहा कि हमारे धर्म के अनुसार वीवीआईपी घाट नाम की कोई व्यवस्था ही नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां सभी एक समान तरीके से ही नहाते हैं। उन्होंने कहा कि उसी घाट पर शंकराचार्य जी नहाते हैं, उसी पर जिसे आप दलित-पिछड़े कह रहे हों वो भी नहाता है।

मां गंगा की नजर में सभी एक

शंकराचार्य ने कहा कि मां की गोद में कोई भी वीआईपी नहीं होता है। उन्होंने कहा कि भले ही कोई चपरासी हो या कोई जज हो जाए, लेकिन मां गंगा की नजर में सभी एक हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी एक साथ ही नहाते हैं और कोई भी किसी की जाति नहीं पूछता है। उन्होंने कहा कि राजनीति के लोग कहते हैं कि सनातन धर्म राजनीति में बंटा हुआ है लेकिन ऐसा नहीं है। अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि कुंभ आज का नहीं है। परंपरा वर्षों से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में किसी भी तरह का कोई जातिवाद नहीं है। शंकराचार्य ने कहा कि मां गंगा की गोद में कुछ भी ऊंच-नीच नहीं है।

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