Highcourt
- हाईकोर्ट के आदेश, लेेकिन किसी की नौकरी नहीं जाएगी
- भर्ती से बाहर होने वालों को पद सृजित होने तक कच्चे कर्मचारी के तौर पर रखेंगे
- हाईकोर्ट ने कहा, सरकार ने लापरवाही से चयन प्रक्रिया पूरी की
- बोनस अंकों ने चयन प्रक्रिया को दूषित किया, यह तरीका सही नहीं
- सामाजिक व आर्थिक आधार पर अंक देने के लिए आंकड़े नहीं जुटाए
- इस प्रकार अंकों का लाभ आरक्षण जैसा, यह 50% की तय सीमा पार कर रहा
- इस फैसले से हरियाणा में 10,000 सरकारी कर्मचारियों पर संकट
- हाईकोर्ट ने कहा था, सामाजिक-आर्थिक बोनस अंक असंवैधानिक
Highcourt : चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 2019 के बाद की उन सभी भर्तियों का नए सिरे से परिणाम जारी करने का आदेश दिया है, जिनमें सामाजिक व आर्थिक आधार पर 10 अंकों का लाभ दिया गया था। इन अंकों का लाभ दिए बिना जारी परिणाम के अनुसार जो लोग मेधावी होंगे उन्हें नियुक्ति दी जाएगी और भर्ती में चयनित होने वालों के चयन की तिथि से वरिष्ठता व अन्य लाभ दिए जाएंगे। जो लोग नए परिणाम के कारण भर्ती से बाहर होंगे उनके लिए सरकार पद ढूंढ़ेंगी और यदि पद उपलब्ध नहीं होगा तो भविष्य में रिक्त पद होने तक उन्हें कच्चे कर्मचारी के तौर पर रखा जाएगा। जब नियमित पद उपलब्ध होंगे तो इन्हें नियुक्ति दी जाएगी और उनकी वरिष्ठता व अन्य लाभ नियुक्ति की तिथि से होंगे। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार की 11 जून 2019 को जारी उस अधिसूचना को रद्द कर दिया था, जिसके तहत विभिन्न भर्तियों में सामाजिक-आर्थिक व अनुभव के आधार पर अतिरिक्त दस अंक दिए जा रहे थे। कोर्ट ने इस अधिसूचना को संविधान के समता और समान अवसर के सिद्धांत के खिलाफ माना है।
सरकार ने अंकों का प्रावधान गलत तरीके से किया
हाईकोर्ट के इस आदेश से 10,000 से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे। कोर्ट ने कहा कि पहले ही तय किया गया था कि नियुक्तियां इस यााचिका पर आने वाले फैसले पर निर्भर करेंगी। कोर्ट ने कहा कि हम नहीं चाहते भर्ती से बाहर होने वाले लोग अपनी नौकरी खो दें, क्योंकि इसमें उनका कोई कसूर नहीं था। कोर्ट ने इसलिए भर्ती से बाहर होने वालों को निकालने का आदेश नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने सामाजिक व आर्थिक आधार पर अंकों का प्रावधान गलत तरीके से किया है। जब पहले ही आर्थिक पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का लाभ दिया गया है तो इस अतिरिक्त आरक्षण की क्या जरूरत थी।
आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा पार कर रहा
कोर्ट ने कहा कि यह भी एक तरह से आरक्षण है। इस प्रावधान से आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा पार कर रहा है, जिसकी अनुमति नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने लापरवाही से चयन प्रक्रिया को पूरा किया है। इन बोनस के अंकों के कारण पूरी चयन प्रक्रिया दूषित हो गई। इन अंकों का लाभ देने से पहले सरकार ने किसी प्रकार के कोई आंकड़े नहीं जुटाए। ऐसे में कोर्ट ने अधिसूचना को खारिज कर दिया।