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Weather : अब उमस भरी गर्मी छुड़ाने लगी पसीने, नौतपा में बूंदाबांदी होने की संभावना

Weather

  • -दो दिन पूर्व मौसम में बदलाव के बाद बढ़ी नमी
  • -कूलरों की हवा भी साबित होने लगी बेअसर

Weather : रेवाड़ी। दो दिन पूर्व तेज आंधी के बाद आए मौसम में बदलाव व तापमान में गिरावट से लू के प्रकोप से तो निजात मिल गई, परंतु हवा में नमी का स्तर बढ़ने से उमस भरी गर्मी ने पसीने छुड़ाने शुरू कर दिए हैं। कूलरों की हवा भी बेअसर साबित होने लगी है। मौसम में शनिवार को एक बार फिर परिवर्तन आ सकता है, जिस कारण नौतपा के दिनों में भी तापमान कम रहने की संभावना जताई जा रही है। बीते बुधवार की देर शाम तेज आंधी व कुछ इलाकों बूंदाबांदी के बाद तापमान साढ़े 5 डिग्री सेल्सियस कम हो गया था। इससे पूर्व तापमान 45.5 डिग्री तक पहुंच गया था। लू के थपेड़ों ने जनजीवन प्रभावित करना शुरू कर दिया था। मौसम में बदलाव के बाद लू से निजात मिल गई, लेकिन अब उमस लोगों को जमकर परेशान करने लगी है। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस बढ़कर 40.5 डिग्री पर आ गया। न्यूनतम तापमान भी इतना ही बढ़कर 23.0 डिग्री पर पहुंच गया। सुबह से ही आसमान साफ रहने के कारण तेज धूप के कारण हवा में नमी 48 फीसदी तक होने से उमस बन गई। इससे दोपहर बाद तक भारी उमस से लोग पसीने-पसीने होते रहे। पंखों और एसी की हवा से राहत मिलती रही, लेकिन कूलरों की हवा में पिचिपाहट पैदा हो गई। शाम तक उमस भरी गर्मी ने लोगों के पसीने छुड़ाए। एक दिन राहत के बाद गर्मी ने एक बार फिर से लोगों को जमकर परेशान करना शुरू कर दिया है।

आज फिर आ सकता है बदलाव

मौसम विभाग के अनुसार कमजोर विक्षोभ की सक्रियता से 24 मई को एक बार फिर मौसम बदल सकता है। तेज हवाओं या आंधी के साथ कुछ इलाकों में बूंदाबांदी हो सकती है। 25 मई से नौतपा की शुरूआत हो रही है, परंतु मौसम में बदलाव के चलते इस बार भी नौतपा के दिनों में बारिश हो सकती है। नौतपा में भारी गर्मी पड़ने की उम्मीद रहती है, जिससे धरती जमकर तपती है। ज्योतिषविदों के अनुसार नौतपा में अगर बारिश होती है, तो मानसून के सीजन में बरसात कम होने या सूखा पड़ने की आशंका रहती है।

बिजली की खपत में आई कमी

तापमान में गिरावट के बाद बिजली की खपत में भी कमी आ गई है। दैनिक खपत तापमान चरम पर पहुंचते ही 92 लाख यूनिट के पार पहुंच गई थी, जो मौसम में बदलाव के बाद कम होकर 70 लाख यूनिट तक आ गई है। बीते वीरवार को यह 60 लाख यूनिट तक आ गई थी। भारी गर्मी के कारण बिजली निगमों के लिए सिस्टम बचाना चुनौती बना हुआ था। ट्रांसफार्मरों पर कूलर चलाकर उन्हें ठंडा किया जा रहा था, ताकि भारी गर्मी से डैमेज के खतरे टाला जा सके।

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