Dadalakhmi
- फिल्म दादा लखमी में मुस्लिम सारंगी वादक बने धुलिया खान का किरदार निभाया
- अब अमित की शॉर्ट फिल्म ‘चौधरी साहब’ जल्द परदे पर दिखाई देगी
- झज्जर के छोटे से गांव तुंबाहेड़ी में जन्मे हैं अमित पहल

विशेष रिपोर्ट
Dadalakhmi : फिल्म दादा लखमी में मुस्लिम सारंगी वादक बने धुलिया खान का किरदार निभाने वाले अमित पहल आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। फिल्म दादा लखमी के अलावा आईबी 71 व मुंबई मेरी जान, ब्लैक वारंट, क्रैकडाउन, काठमांडू कनेक्शन सेकंड सेशन वेबसीरीज़ के अलावा इन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ भीकाजी के दो विज्ञापन और राजकुमार राव के साथ रैपिडो के विज्ञापन में काम कर चुके हैं। इसके अलावा इनकी शॉर्ट फिल्म ‘चौधरी साहब’ जल्द आने वाली है। हरियाणा के झज्जर जिले के एक छोटे से गांव तुंबाहेड़ी में जन्मे अमित पहल की स्कूली शिक्षा उनके गांव में ही हुई। इन्होंने ग्रेजुएशन साइंस में दिल्ली विश्वविद्यालय शिवाजी कॉलेज से की। वहीं से ही इनके थिएटर की शुरुआत हुई। उसके बाद जामिया से पीजी एक्टिंग में डिप्लोमा किया। वह बताते हैं िक जब वे डिप्लोमा कर रहे थे तभी फिल्म ‘दादा लखमी’ में काम करने का अवसर मिला। इन्होंने अपनी एक्टिंग की शुरुआत डीयू के शिवाजी कॉलेज से ही की थी। वहीं पर ही वह थिएटर और नुक्कड़ नाटक किया करते थे।
अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का अनुभव अविस्मरणीय
अमिताभ बच्चन के साथ अपने काम करने के अनुभव के बारे में अमित पहल बताते हैं कि उनके साथ काम करने का अनुभव बड़ा अविस्मरणीय है। डायरेक्टर आरके बालाजी के विज्ञापन में उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ काम किया। जिस डेडीकेशन और एनर्जी के साथ अिमत जी काम कर रहे थे तो उनसे बहुत कुछ सीखा। वह बताते हैं कि उनके साथ मेरी बहुत अच्छी ट्यूनिंग बैठी थी। उनके साथ काम करके लग ही नहीं रहा था कि वह इतने बड़े एक्टर हैं और हमें सहज करने के लिए वह बीच-बीच में मज़ाक़ भी हमसे करते रहते और जोक सुनाते रहते। अच्छी बात ये हुई कि मैं एक ऐड के लिए गया था लेकिन मेरे काम को देखते हुए मुझे बच्चन साहब के साथ दो ऐड में काम करने का मौका मिला। विज्ञापन के अलावा अमित पहल ने आईबी 71 में अनुपम खेर और मुंबई मेरी जान में केके मेनन के साथ काम किया। वह बताते हैं कि उन्हें इंडस्ट्री में बड़े और छोटे सभी तरह के लोगों के साथ काम करना है। आगे भी बड़े स्टार के साथ काम करने का अवसर मिला तो वह ज़रूर करेंगे।

धूलिया खान के रोल से छाए
फिल्म ‘दादा लखमी’ में अपने धूलिया खान के रोल के संदर्भ में अमित पहल बताते हैं कि जब वह जामिया में पढ़ रहे थे तभी उन्हें दादा लख्मी फिल्म के बारे में पता चला और वह ऑडिशन देने पहुंचे। उनकी परफॉर्मेंस िनर्देशक यशपाल शर्मा को बहुत अच्छी लगी। दो-तीन महीने के बाद जब वह मुंबई में थे, तब यशपाल सर का फोन आया और उनसे कहा कि अगर तुम दाढ़ी बढ़ा सकते हो तो मैं यह धूलिया खान का रोल तुम्हें दे सकता हूं। तब धूलिया खान के रोल के लिए उन्हें दाढ़ी और अपना वजन दोनों बढ़ाना पड़ा क्योंकि धूलिया खान के रोल के मुक़ाबले अमित पहल की उम्र काफ़ी कम थी। इसलिए ख़ुद को 45 साल का दिखाने के लिए अपना वजन बढ़ाना पड़ा।
मुंबई जाकर समझ आता है असली संघर्ष
मुंबई में रहते हुए अमित पहल ने वहां अपने संघर्ष के बारे में बताया कि अभिनय का असल संघर्ष आपको मुंबई जाकर समझ आता है। आप वहां सुबह नहा-धोकर निकलें और सभी के दरवाजे खटखटाएं और यह काम कोई एक दिन का नहीं होता, यह लंबी प्रक्रिया होती है। आप ऑडिशन देते हैं और चयनित हो जाते हैं, उसके बाद आप इंतजार करते हैं फिर आपके पास फोन आता है और उस फोन आने के दौरान जो वेटिंग पीरियड होता है, वह आपका संघर्ष है। वह बताते हैं कि आर्थिक तौर पर वह ज्यादा परेशान नहीं हुए। वहां पर उनका काम ठीक-ठाक चल रहा है। मुंबई में सबसे ज्यादा दिक्कत पैसे की है क्योंकि मुंबई बहुत ही महंगा शहर है और वहां पर सरवाइव करना बहुत मुश्किल है। अमित पहल ने ओटीटी प्लेटफॉर्म और फिल्म दोनों में काम किया है। ओटीटी प्लेटफॉर्म के भविष्य को लेकर वह कहते हैं कि ओटीटी प्लेटफॉर्म ने सिनेमा का परिदृश्य पूरा चेंज कर दिया है। कितने ही लोगों को काम मिलने लगा है। जितनी ज्यादा वेब सीरीज बनेंगी या जितनी ज्यादा फिल्में बनेंगी, उतना ही ज्यादा सिनेमा जगत से जुड़े प्रत्येक क्षेत्र के लोगों को काम मिलेगा। आजकल फिल्म पर्दे पर लगने का इतना क्रेज़ नहीं होता जितना ओटीटी पर आने का होता है। यह प्लेटफार्म सभी को नए अवसर प्रदान कर रहा है।
हरियाणवी सिनेमा अपने चरम पर
हरियाणवी सिनेमा और उसके कलाकारों के भविष्य को लेकर अमित पहल का मानना है कि जब वह स्कूल में थे, उन दिनों हरियाणवी सिनेमा बहुत पीक पर था। बीच में फिर कुछ उतार आया। लेकिन अब फिर से हरियाणवी सिनेमा अपने चरम पर है। फिल्म दादा लखमी, फौजा और स्टेज ऐप तो क्रांति लेकर आया है। हरियाणा ने बॉलीवुड को इतने बड़े-बड़े कलाकार दिए हैं और बहुत सारे टैलेंट हैं जो अभी छुपे हुए हैं जिनका बाहर निकलना बाकी है। अच्छी बात यह है कि लोग अपने-अपने लेवल पर सिनेमा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। जिस तरह अभी काम हो रहा है उसे तरह हरियाणा का भविष्य बहुत उज्ज्वल है।
हरियाणवी सिनेमा का अच्छा दौर शुरू
अभिनेता अमित पहल का मानना है कि दादा लखमी हरियाणवी सिनेमा में मील का पत्थर साबित हुई है और इसने हरियाणवीं सिनेमा के परिदृश्य को बदल दिया है। अच्छी बात यह है कि इतने गैप के बाद यशपाल शर्मा ने अपने कल्चर को लेकर एक फिल्म बनाई, यह विचार ही अपने आप में बहुत महत्व रखता है। अिमत पहल बताते हैं कि धूलिया खान का कैरेक्टर करके उनकी आर्ट निकल कर सामने आई है जो कि किसी अन्य कैरेक्टर के जरिए नहीं निकल पाती। दादा लखमी के बाद नेपोटिज्म का मिथक भी टूटा है। दादा लखमी के रूप में हरियाणवी सिनेमा का अच्छा दौर शुरू हुआ, जिसमें बिल्कुल भी नेपोटिज्म नहीं है। यह सिनेमा जगत के लिए एक अच्छा संदेश है दादा लख्ामी फिल्म का। इस फिल्म के बाद सिनेमा जगत में जो बदलाव हुआ है वह हम सबके सामने है। फिल्म क्षेत्र में आने की चाह रखने वाले और नए कलाकारों को अपने संदेश में अमित पहल का कहना है कि सभी ज्यादा से ज्यादा अपने क्राफ्ट पर काम करें। भविष्य में यदि किसी व्यक्ति को अवसर मिलता है तो वह अभिनय की बदौलत ही अपना हुनर दिखा सकता है।
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