Aero India
- -बेंगलुरु में आयोजित एयरो इंडिया शो के दौरान मंगलवार को रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह।
Aero India : नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को बेंगलुरु में एयरो इंडिया शो के दौरान रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उन्नत प्रणालियों का सह-उत्पादन और विकास करने के लिए भारत के साथ जुड़ने का आह्वान किया। साथ ही कहा कि कमजोर स्थिति से वैश्विक व्यवस्था और शांति सुनिश्चित नहीं की जा सकती है। भारत ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक अनुकूल नीति व्यवस्था लागू की है। जो कि आधुनिक भूमि, समुद्री और वायु प्रणालियों की एक समूची श्रृंखला के निवेश और उत्पादन को प्रोत्साहित करती है। बताते चलें कि इस सम्मेलन में दुनिया के कुल करीब 81 देशों के 162 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
विघटनकारी प्रौद्योगिकियों ने बढ़ाई चिंता
उन्होंने कहा कि संघर्षों की बढ़ती संख्या, नए हथियारों व विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के बढ़ते उभार ने वैश्विक व्यवस्था को और अधिक चिंताजनक बना दिया है। ये साइबर स्पेस और बाह्य अंतरिक्ष संप्रभुता की मौजूदा परिभाषा को चुनौती दे रहे हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि कृत्रिम मेधा, क्वांटम तकनीक और हाइपरसोनिक जैसी विध्वंसक प्रौघोगिकियां युद्ध के चरित्र को बदलने के साथ ही नई कमजोरियां पैदा कर रही हैं। इन तमाम बदलावों का भविष्य के युद्ध पर गहरा प्रभाव पड़ेगा और जरूरी क्षमताओं का पुनर्मूल्यांकन करना पड़ेगा।
आईओआर से परे भारत की प्रतिबद्धता
राजनाथ सिंह ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘फाइव एस’ के सिद्धांत का अनुपालन करता है। इसमें सम्मान, संवाद, सहयोग, शांति और समृद्धि शामिल हैं। ये ही भारत की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी की आधारशिला हैं। समुद्री डकैती, आतंकवाद, अवैध व अनियमित मछली पकड़ने जैसे गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने के लिए भारत के प्रयास वैश्विक सहयोग का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी प्रतिबद्धता आईओआर से परे है। यह समानता, विश्वास, अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुपालन पर आधारित है। उन्होंने कहा कि भारत लेनदेन संबंधों और समाधान थोपने के पक्ष में नहीं है। हमारा मत साझेदार देशों की संप्रभुता और पारस्परिक क्षमता निर्माण, समृद्धि और सुरक्षा पर जोर देने पर आधारित है। रक्षा मंत्री ने न्यायसंगत साझेदारी को ही रक्षा सहयोग की नींव बताया।