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सूटेकेस में रिपोर्ट।सूटेकेस में रिपोर्ट।

One Nation One Election

  • बिल पर कांग्रेस ने जताई आपत्ति, जेपीसी अध्यक्ष पीपी चौधरी बोले-विश्वास है आम सहमति बन जाएगी
  • प्रियंका ने पूछा-देश में सारे चुनाव एक साथ होते हैं तो कैसे होगी पैसों की बचत
  • चौधरी ने कहा-हमारा प्रयास पारदर्शी और पार्टी लाइन से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में आम सहमति बनाना का
  • एक देश एक चुनाव को लेकर संसद की संयुक्त समिति की पहली बैठक बुधवार को हुई। इस दौरान सत्ता पक्ष विपक्ष से जुड़े तमाम सांसदों ने अपनी-अपनी बात समिति के सामने रखी।
  • संसद की इस संयुक्त समिति में 39 सदस्य हैं। इस -समिति में 27 लोकसभा के तो 12 राज्यसभा के सदस्य हैं अगर देश भर के चुनाव एक साथ होने हैं तो क्या उसके लिए ईवीएम उपलब्ध हैं?
  • विपक्षी सांसदों ने बिल को राज्यों के अधिकतर छीनने वाला बताया

One Nation One Election : नई दिल्ली। सत्ता पक्ष से जुड़े हुए सांसदों ने जहां इस बिल को देश की जरूरत बताया तो वहीं विपक्षी सांसदों ने बिल को राज्यों के अधिकतर छीनने वाला बिल बताया। इस बैठक के दौरान कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट के बारे में जहां समिति के सदस्यों को जानकारी दी तो वही उसके अलावा बिल के प्रावधानों के बारे में भी समिति के सदस्यों को अवगत करवाया। भाजपा सांसद और समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने कहा कि सभी सदस्यों के बीच आम सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने विश्वास जताया कि आम सहमति बन जाएगी। चौधरी ने कहा कि हमारी कोशिश है कि सभी लोगों की बात सुनी जाए। चाहे वह राजनीतिक दल हों, नागरिक समाज हों या न्यायपालिका। हम सभी का इनपुट लेना चाहते हैं। बैठक के बाद समिति के तमाम सदस्यों को एक बड़े सूटकेस में 18,000 से ज्यादा पन्नों के दस्तावेज भी सौंपे गए। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने सूटकेस के साथ एक तस्वीर भी शेयर की। समिति के सदस्यों से कहा गया कि इसमें वह तमाम दस्तावेज हैं जो इस बिल को लाने की वजह और इसको कैसे लागू किया जा सकता है उससे जुड़ी हुई जानकारियां समिति के सदस्यों के सामने रखेंगे। बैठक के बाद समिति के सदस्य उन बड़े-बड़े सूटकेस को अपने साथ ले जाते हुए भी नजर आए।

पार्टी लाइन से ऊपर उठकर काम करेंगे

चौधरी ने कहा कि बैठक से पहले संबंधित मंत्रालय सभी सदस्यों को जानकारी देगा। इसके बाद सभी की राय लेंगे कि चरणबद्ध तरीके से आगे कैसे बढ़ना है। हमारा प्रयास पारदर्शी और पार्टी लाइन से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में आम सहमति बनाना का होगा। इस बैठक के दौरान पहली बार सांसद बनकर संसद पहुंची और इस कमेटी का हिस्सा बनी प्रियंका गांधी ने एक देश एक चुनाव पर कहा की सरकार को यह भी बताना चाहिए कि अगर देश में सारे चुनाव एक साथ होते हैं तो उससे पैसे की बचत कैसे होगी? अगर देश भर के चुनाव एक साथ होने हैं तो क्या उसके लिए ईवीएम उपलब्ध हैं?

1967 तक जब देश में एक साथ एक चुनाव तो अब क्यों नहीं?

जिन सांसदों ने बिल का समर्थन किया उनकी दलील थी कि 1967 तक जब देश में एक साथ एक चुनाव हो सकते थे तो उस पर अब क्यों आपत्ति की जा रही है। अगर 1967 तक वह राज्यों के अधिकार छीनने वाला कानून नहीं था तो फिर अब उसको राज्यों के अधिकार में हस्तक्षेप वाला बिल क्यों कहा जा रहा है? जो सांसद बिल का समर्थन कर रहे थे उन्होंने देश में 1957 का उदाहरण भी दिया। 1957 में 6-7 विधानसभाओं के कार्यकाल को समय से पहले भंग कर एक साथ चुनाव करवाए गए थे। जिस दौरान ऐसा किया गया उस दौरान संविधान सभा के अध्यक्ष देश के राष्ट्रपति पद पर आसीन थे।

बिल के मुख्य बिंदु

129वां संविधान संशोधन बिल संविधान में एक नए अनुच्छेद 82ए को जोड़ने का प्रस्ताव करता है, जो लोकसभा और राज्यों के चुनाव एक साथ कराने की नींव रखता है। अभी तक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। नए प्रावधान के तहत राष्ट्रपति एक निर्धारित तिथि घोषित करेंगे, जो लोकसभा की पहली बैठक के साथ मेल खाएगी। इस तिथि के बाद लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल 5 साल का होगा। यदि किसी राज्य विधानसभा या लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने से पहले भंग कर दिया जाता है, तो नए चुनाव होंगे। लेकिन नई सरकार का कार्यकाल मूल 5 साल के शेष समय तक ही सीमित रहेगा। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि चुनावों की समय-सारिणी पर कोई असर न पड़े और चुनाव प्रक्रिया व्यवस्थित बनी रहे। इस बदलाव को लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 83, अनुच्छेद 172, और अनुच्छेद 327 में संशोधन का प्रस्ताव दिया गया है।

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