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Suprem court : केंद्र न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए नामों को शीघ्रता के साथ मंजूरी दे

Suprem court

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हाईकोर्ट में 7 लाख से अधिक मामले लंबित
  • जजों की संख्या पूरी न होने के कारण न्याय में हो रही देरी
  • अकेले इलाहाबाद हाईकोर्ट में 2.7 लाख केस लंबित

Suprem court : नई दिल्ली। भारत के हाईकोर्ट में 7 लाख आपराधिक अपीलों के लंबित होने का उल्लेख करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को केंद्र से न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए नामों को शीघ्रता से मंजूरी देने के लिए कहा, ताकि रिक्तियों और लंबित मामलों से जुड़े मुद्दों का समाधान किया जा सके। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जवल भुइयां की पीठ ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित आपराधिक अपीलों की संख्या 2.7 लाख है, लेकिन वहां न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 160 के मुकाबले वर्तमान में केवल 79 न्यायाधीश कार्यरत हैं। पीठ ने कहा, ‘यह एक ऐसा पहलू है जहां केंद्र सरकार को कार्रवाई करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि कॉलेजियम की सिफारिशों को शीघ्रता से मंजूरी दी जाए। हमें उम्मीद और भरोसा है कि लंबित प्रस्तावों को केंद्र सरकार जल्द से जल्द मंजूरी दे देगी।’

बंबई उच्च न्यायालय में सिर्फ 66 न्यायाधीश

बंबई उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 94 है, जबकि वहां केवल 66 न्यायाधीश कार्यरत हैं। कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के स्वीकृत पदों की संख्या 72 है, जबकि केवल 44 न्यायाधीश फिलहाल कार्यरत हैं। पीठ ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय में वर्तमान में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 60 के मुकाबले 41 न्यायाधीश हैं।

सिफारिशें केंद्र के पास लंबित

आपराधिक अपीलों का एक बड़ा हिस्सा लंबित है। इसलिए यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे अलग स्तर पर संभालना होगा।” दो दिन पहले उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम की सिफारिश शीर्ष न्यायालय की वेबसाइट पर सार्वजनिक की गई थी। कई सिफारिशें केंद्र सरकार के पास लंबित बताई गई थीं। वर्ष 2023 की चार सिफारिशें और 2024 में की गई 13 सिफारिशें केंद्र के पास लंबित हैं। 4 सितंबर, 2024 को की गई सबसे हालिया सिफारिशें भी लंबित हैं।

हरियाणा हाईकोर्ट में 79,326 मामले लंबित

शीर्ष अदालत ने कहा कि 22 मार्च तक कुल आपराधिक अपीलों की संख्या 7,24,192 थी। अदालत ने कहा कि मध्य प्रदेश में 1,15,382 मामले, पटना उच्च न्यायालय में 44,664 मामले, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में 79,326 मामले और राजस्थान में 56,000 से अधिक मामले लंबित हैं। इसी तरह बंबई उच्च न्यायालय में 28,257 मामले और छत्तीसगढ़ में 18,000 से अधिक मामले लंबित हैं।

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