Delhi
- -लाओस की अध्यक्षता में आयोजित किए जा रहे 21वें आसियान-इंडिया शिखर सम्मेलन और 19वें पूर्व एशिया सम्मेलन में करेंगे शिरकत
- -पीएम मोदी की लाओस सहित समूह के अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ होंगी द्विपक्षीय बैठकें
Delhi : नई दिल्ली। क्षेत्रीय स्तर पर बने हुए चीन के आक्रामक रुख और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जारी संघर्षों के बीच गुरुवार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाओस की दो दिवसीय (10 से 11 अक्टूबर तक) यात्रा पर रहेंगे। इसका उद्देश्य लाओस की अध्यक्षता में आयोजित किए जा रहे 21वें दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान)-इंडिया शिखर सम्मेलन और 19वें पूर्व एशिया सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करना है। लाओस यात्रा के लिए पीएम को वहां के प्रधानमंत्री सोनेक्से सिफंडोन ने विशेष तौर पर आमंत्रित किया है। विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) जयदीप मजूमदार ने राजधानी में बुधवार को आयोजित किए गए एक विशेष संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ पीएम मोदी की द्विपक्षीय बैठक से जुड़े एक प्रश्न के जवाब में कहा कि लाओस की राजधानी वियनतियाने में भारत और लाओस के प्रधानमंत्रियों के बीच एक अहम द्विपक्षीय बैठक होगी। वहीं, अंतरराष्ट्रीय बैठकों में कई मुलाकातें होती हैं। इनमें द्विपक्षीय बैठकें शामिल हैं। जिनमें पीएम अन्य नेताओं से मिलते हैं। इस वर्ष आसियान-भारत सम्मेलन की थीम ‘कनेक्टिविटी और रेजिलिएंस’ है। बीते समय में आसियान के साथ संबंधों में गुणवत्तापूर्ण और परिवर्तनकारी बदलाव देखने को मिले हैं। आसियान की केंद्रीयता को लेकर भारत की प्रतिबद्धता जारी है।
म्यांमार के मुद्दे पर होगी चर्चा
जयदीप ने बताया कि दोनों समूह बैठकों के केंद्र में द्विपक्षीय सहयोग, व्यापार, निवेश, कनेक्टिविटी, आईटी, स्पेस, स्वास्थ्य, क्षमता विकास, मजबूत सप्लाई चेन की स्थापना, शोध-अनुसंधान विकास, छात्रवृत्तियां, साइबर अपराध, हिंद-प्रशांत में सामंजस्य बढ़ाने, सांस्कृतिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाने जैसे मुद्दे मुख्य रूप से शामिल किए जाएंगे। उन्होंने कहा, दोनों बैठकों में म्यांमार में बने हुए चिंताजनक हालात पर चर्चा होगी। बीते वक्त में समूह के वरिष्ठ अधिकारियों और विदेश मंत्रियों के स्तर पर भी इस मामले पर चर्चा हुई थी। भारत का म्यांमार को लेकर यही रुख रहा है कि वहां पांच बिंदुओं के तहत सभी संबंधित पक्षों के बीच आमराय स्थापित की जानी चाहिए। विवाद का समाधान निकालने का एकमात्र तरीका संवाद है। हम सभी पक्षों को आपस में बैठकर तमाम मुद्दों पर चर्चा करने की अपील करेंगे। भारत ने मामले से संबंधित आसियान के विशेष दूत को भी समर्थन प्रदान किया है।
साइबर अपराध पर होगी चर्चा
आसियान देशों में फर्जी नौकरी के जाल में फंसे भारतीयों की सुरक्षित स्वदेश वापसी के मामले को पीएम संबंधित देशों के नेताओं के साथ वार्ता में उठाएंगे। बीते सप्ताह कंबोडिया से 65 लोग भारत पहुंचे हैं। इसे देखते हुए साइबर अपराध में फॉरेंसिक के मुद्दे पर बातचीत होगी। लाओस में पीएम मोदी की प्रवासी भारतीयों से भी मुलाकात होगी। साथ ही वह लाओ रामायण की विशेष स्क्रीनिंग में भी पीएम मोदी भाग लेंगे।
पूर्व की ओर देखो नीति की 10वीं वर्षगांठ
उन्होंने कहा कि आसियान शिखर सम्मेलन भारत की समूह को लेकर बनी हुई प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। इस वर्ष उसकी पूर्व की ओर देखो नीति की दसवीं वर्षगांठ है। इस नीति के तहत आसियान के साथ हमारे संबंध और हिंद-प्रशांत का विजन केंद्रीय स्तंभ है। ये सम्मेलन हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी की मदद से भारत-आसियान संबंधों की प्रगति की समीक्षा और भविष्य की दिशा तय करने में मददगार होगा।
आसियान देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा
विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) ने बताया कि आसियान देशों में 20 फीसदी भारतीय समुदाय रहता है। वर्तमान में भारत और समूह के सात देशों के बीच सीधी उड़ान सेवाएं हैं। हमें उम्मीद है कि इस साल के अंत तक दो अन्य आसियान देश भी इसमें शामिल होंगे। चार फंड के जरिए आसियान संग सहयोग जारी है। इनमें आसियान-इंडिया फंड, द आसियान इंडिया ग्रीन फंड, द आसियान इंडिया विज्ञान-प्रौद्योगिकी विकास फंड और द आसियान इंडिया डिजिटल फ्यूचर मुख्य हैं। इन फंड के जरिए कई अन्य गतिविधियां जारी हैं। इनमें क्षमता विकास, छात्रवृत्तियां, शोध-अनुसंधान, लोगों का लोगों से संबंध, सांस्कृतिक संबंध, आईटी, स्पेस, स्वास्थ्य प्रमुख हैं।
हिंद-प्रशांत में बढ़ेगा सामंजस्य
पूर्व एशिया सम्मेलन में दस आसियान और आठ भागीदार देश शामिल होंगे। इनमें भारत के अलावा चीन, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया जैसे देश हैं। बतौर पर्यवेक्षक तिमोर लेस्ते समूह का हिस्सा है। ये तंत्र 2005 में स्थापित किया गया था। जिसका उद्देश्य सामरिक विश्वास के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता को बढ़ावा देना है। सम्मेलन के वार्ता के बिंदुओं में यह मुद्दा मुख्य रूप से शामिल होगा।
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