Pahalgam Attack
- -पहलगाम के रहने वाले नजाकत अहमद शाह गाइड ने सुनाई दास्तां
- -छत्तीसगढ़ में कश्मीरी शाल और सूट बेचने का काम रहता है
- -छत्तीसगढ़ के चिरमिरी से आए लोग मेरे मित्र थे उन्हें मुझे अपने घर मे लाकर मेहमान नवाजी करनी थी। कश्मीर की पहचान है मेहमान नवाजी जो यहां वर्षों से चली आ रही है
Pahalgam Attack : जशपुर। कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से हर किसी की आंखें नम है, पूरा देश इस हमले का बदला चाहता है। इस आतंकी हमले में छत्तीसगढ़ के चिरमिरी के 11 लोगों की जान बचाने वाले नजाकत अहमद शाह की चर्चा खूब हो रही है। इन 11 लोगों में चिरमिरी नगर निगम की भाजपा पार्षद पूर्वा स्थापक व अन्य लोग नजाकत के हिफाजत के किस्से सुना रहे है। पहलगाम के रहने वाले नजाकत अहमद शाह से बात कर पहलगाम में हुए घटना को लेकर बातचीत की। पढ़िए नजाकत के हिफाजत करने की कहानी उन्हीं की जुबानी। मैं टूरिस्ट गाइड का काम करता हूं। तीन महीने विंटर के सीजन में छत्तीसगढ़ में कश्मीरी शाल और सूट बेचने का काम रहता है। 17 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के चिरमिरी से मेरे परिचय के 4 मित्र और उनकी फैमिली कुल 11 लोग आए थे। मैं दो इनोवा लेकर जम्मू से उन्हें रिसीव करने गया। उन्हें मैंने श्रीनगर, गुलमर्ग और सोनमर्ग में घुमाया। लास्ट में हमने पहलगाम इसलिए रखा था की छत्तीसगढ़ के चिरमिरी से आए लोग मेरे मित्र थे उन्हें मुझे अपने घर मे लाकर मेहमान नवाजी करनी थी। कश्मीर की पहचान है मेहमान नवाजी जो यहां वर्षों से चली आ रही है। पहलगाम में मेरे मित्र और उनका परिवार होटल में रुका।
मिनी स्विट्जरलैंड पर अटैक
अगले दिन हम जिस दिन आतंकी हमला हुआ। उसी दिन हम बैसरन घाटी के लिए निकल पड़े जिसको मिनी स्विट्जरलैंड बोला जाता है। बैसरन में जब हम पहुंचे लगभग 12 बज रहे थे, फिर हम अंदर ग्राउंड में गए मेरे दोस्तो और उनके परिवार ने वहां मैगी खाई, घूमे और तब तक फोटोग्राफी हो रही थी। मुझे लगता है उस वक्त दोपहर डेढ़ से 2 के बीच का समय था। मेरे साथ मेरा बड़ा भाई जैसा दोस्त कुलदीप स्थापक (पार्षद पूर्वा स्थापक के पति) था। मैंने उनको बोला घोड़े वाले बोल रहे है लेट हो रहा है चलो चलते है तो कुलदीप ने बोला कि इतनी दूर आये है थोड़ा और फ़ोटो खिंचवा लेते है। तब तक उसी दौरान जब हम बाहर निकल रहे थे तो एक दो फायरिंग की आवाज सुनाई दी तो कुलदीप ने पूछा कि ये कैसी आवाज आ रही है, तो मैंने कहा, शायद बच्चे पटाखे फोड़ रहे होंगे। इसी बीच फायरिंग और बढ़ी तो ग्राउंड में हलचल भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई और लोग जमीन पर लेट गए। उस दौरान कुलदीप स्थापक के बेटे और अरविंद अग्रवाल की बेटी को लेकर मैं भी जमीन पर लेट गया। फिर ग्राउंड के पास एक जाली कटी हुई थी उसी रास्ते से मैं कुलदीप स्थापक उसके बेटे और अरविंद अग्रवाल की बेटी और बाकी साथियों को लेकर वहां से निकल गया और भागते भागते पहलगाम पहुंच गया। और होटल तक छोड़ा इस बीच 2 साथी छूट गए थे। फिर उन्हें भी जाकर लाया। अल्लाह का शुक्र है कि मेरे सभी मित्र सुरक्षित होटल तक पहुंच गए। गुरुवार की सुबह मैं सभी को श्रीनगर तक छोड़ने गया। घतना वाले दिन काफी डर का माहौल था, मौत सामने थी, कुलदीप भी बार बार बोल रहा था मेरे बेटे को बचाओ। चारो तरफ चीख पुकार था डर का माहौल था।
हमले में मारा गया नजाकत का भाई
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में नजाकत अहमद शाह के भाई सैयद आदिल हुसैन शाह की मौत हो गई। टूरिस्टों को बचाने के लिए नजाकत के भाई आतंकियों से भिड़ गए इस दौरान आतंकियों ने उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया और उसकी मौत हो गई। सैयद आदिल शाह नजाकत अहमद शाह के मामा के लड़के है। जो बैसरन पहाड़ी में टट्टू (घोड़े) की सवारी करवाते है। नजाकत ने बताया कि छत्तीसगढ़ से आए हुए मित्रों को श्रीनगर छोड़ने गया हुआ था इस कारण मैं अपने मामा के लड़के के जनाजे में भी शामिल नही हो पाया। मेहमानों को शकुशल पहुंचाना मेरा कर्तव्य था और छत्तीसगढ़ के चिरमिरी से आए मेहमान मेरे मित्र बड़े भाई समान थे।
ऐसे हुई नजाकत की चिरमिरी के युवाओं के साथ दोस्ती
नजाकत अहमद शाह की दोस्ती चिरमिरी के शिवांश जैन, अरविंद अग्रवाल, कुलदीप स्थापक और हैप्पी बधावन से 12 साल पुरानी है। नजाकत अपने पिता के साथ ठंड के सीजन में 3 माह के लिए कश्मीरी शाल कश्मीरी कपड़े बेचने आते है। यहां वो कुलदीप स्थापक (भाजपा पार्षद पूर्वा स्थापक के पति) के यहां किराए का मकान लेकर चिरमिरी के हल्दीबाड़ी में रहते है। इसी दौर उनका सबके साथ उठना बैठना शुरू हुआ और एक अच्छी दोस्ती पांचों के बीच हो गई। चिरमिरी के पूर्व पार्षद शिवांश जैन ने बताया नजाकत बातूनी और सहजता से मिलने के कारण सभी का चहेता हो गया। शिवांश ने बताया कि हम लोग 2020 में ही कश्मीर घूमने जाने वाले थे, लेकिन नहीं जा पाए, उसके बाद कोरोना काल आ गया। शिवांश ने बताया कि मार्च महीने में हीं नजाकत चिरमिरी आया था मेरे साथ चिरमिरी में घुमा। साथ मे खाना खाया।
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