Jobs
- ऑडियो इंजीनियर बनकर चमका सकते हैं करियर
- इस क्षेत्र में अच्छा पैसा और नए नए अनुभव मिलेंगे
- संगीत, फिल्म, टीवी, रेडियो, लाइव इवेंट्स जैसी इंडस्ट्रीज़ में अहम
- ध्वनियों को सुनने की दिलचस्पी और क्षमता जरूरी
- साउंड इंजीनियरिंग एक तकनीकी और क्रिएटिव फील्ड
Jobs : अगर आप भी ध्वनी प्रेमी हैं, संगीत और गानें सुनने में दिलचस्पी रखते हैं तो साउंड इंजीनियर बनकर अपने करियर को चमका सकते हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें अच्छा पैसा और अलग-अलग अनुभव आपको मिलेंगे। बस आपको कर्णप्रिय रहना होगा। दुनिया के किसी भी पेशे में अधिकतर दृश्य और स्पर्श इंद्रियों का अधिक उपयोग होता है। इस सामान्य ट्रेंड से अलग जिन छात्रों में ध्वनियों को सुनने की दिलचस्पी, अधिक क्षमता एवं बारीकियों जैसे टोन, पिच और फ्रीक्वेंसी को समझने की दिलचस्पी है उन छात्रों के लिए साउंड इंजीनियरिंग (ऑडियो इंजीनियर) एक बेहतर एवं वित्तीय आय से भरा हुआ शानदार करियर ऑप्शन है। इस रिपोर्ट के जरिये हम समझेंगे कि क्या होती है साउंड इंजीनियरिंग और कौन होता है साउंड इंजीनियर। साउंड इंजीनियरिंग एक तकनीकी और क्रिएटिविटी से भरा फील्ड है, जिसमें ध्वनि (साउंड) को रिकॉर्ड करने, मिक्स करने, एडिट करने और उसे बेहतर बनाने के लिए विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। यह संगीत, फिल्म, टेलीविजन, रेडियो, लाइव इवेंट्स और गेमिंग जैसी इंडस्ट्रीज़ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। साउंड इंजीनियरिंग का मुख्य उद्देश्य स्पष्ट, गुणवत्ता युक्त और संतुलित ध्वनि प्रदान करना होता है। एक साउंड इंजीनियर वह व्यक्ति होता है जो ध्वनि से संबंधित इन तकनीकी कार्यों को संभालता है और यह सुनिश्चित करता है कि जो ध्वनि हम सुनते हैं, वह स्पष्ट, सुगठित और उच्च गुणवत्ता वाली हो।
ये होते हैं मुख्य कार्य
1. रिकॉर्डिंग : माइक्रोफोन और रिकॉर्डिंग उपकरणों के माध्यम से ध्वनि को कैप्चर करना।
2. मिक्सिंग : विभिन्न ध्वनि ट्रैक्स का संतुलन और उनका उचित स्तर पर सेट करना।
3. एडिटिंग : रिकॉर्ड की गई ध्वनियों को एडिट करना और उन्हें बेहतर बनाना।
4. लाइव साउंड : लाइव इवेंट्स में दर्शकों और कलाकारों के लिए ध्वनि की गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
शिक्षा और प्रशिक्षण
साउंड इंजीनियर बनने के लिए आपको कुछ विशेष शिक्षा और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। भारत में कई प्रतिष्ठित संस्थान हैं जहां से आप साउंड इंजीनियरिंग का कोर्स कर सकते हैं। ये संस्थान विभिन्न डिप्लोमा, ग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट प्रोग्राम्स प्रदान करते हैं, जो साउंड इंजीनियरिंग, म्यूजिक प्रोडक्शन, और ऑडियो टेक्नोलॉजी में स्पेशलाइजेशन देते हैं।
ये प्रमुख संस्स्थान
1. फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई), पुणे
कोर्स : साउंड रिकॉर्डिंग और साउंड डिजाइन में डिप्लोमा।
2. एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, चेन्नई
कोर्स : बी.एससी. इन साउंड इंजीनियरिंग।
3. ए.आर. रहमान का केएम म्यूजिक कंज़र्वेटरी, चेन्नई
कोर्स: साउंड इंजीनियरिंग और म्यूजिक प्रोडक्शन में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट प्रोग्राम्स।
4. सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट (एसआरएफटीआई), कोलकाता।
कोर्स: साउंड रिकॉर्डिंग और डिजाइन में पोस्ट-ग्रेजुएट डिप्लोमा
5. मुद्राश्री म्यूजिक इंस्टीट्यूट, मुंबई
कोर्स: साउंड इंजीनियरिंग और म्यूजिक प्रोडक्शन में सर्टिफिकेट कोर्स।
6. सीन सिंप्सन इंस्टीट्यूट ऑफ साउंड इंजीनियरिंग, मुंबई
कोर्स: साउंड इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स।
7. आस्क (एकेडमी ऑफ साउंड इंजीनियरिंग), बैंगलोर
कोर्स : साउंड इंजीनियरिंग में डिप्लोमा।
कौशल एवं योग्यता
1. तकनीकी ज्ञान
-ऑडियो इक्विपमेंट की समझ : मिक्सिंग कंसोल, माइक्रोफोन, एम्प्लीफायर, और डिजिटल ऑडियो वर्कस्टेशन (डीएडब्ल्यू) जैसे उपकरणों का सही ढंग से इस्तेमाल करना आना चाहिए।
-साउंड रिकॉर्डिंग और मिक्सिंग : साउंड रिकॉर्डिंग और मिक्सिंग के विभिन्न तकनीकों की जानकारी होना जरूरी है, ताकि ध्वनि को स्पष्ट और सही ढंग से कैप्चर किया जा सके।
-ऑडियो सॉफ्टवेयर: साउंड एडिटिंग और मिक्सिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर जैसे प्रो टूल्स, लॉजिक प्रो, एबलटन लाइव, एफएल स्टूडियो या एडोब ऑडिशन में कुशल होना जरूरी है।
2. ध्वनि की समझ
-फ्रीक्वेंसी और टोन की पहचान: ध्वनि की विभिन्न फ्रीक्वेंसी और टोन को पहचानने की क्षमता होनी चाहिए ताकि बेहतर क्वालिटी और स्पष्टता के साथ ध्वनि को एडिट किया जा सके।
-स्टिरियो इमेजिंग और साउंड स्टेज: ध्वनि की दिशा और दूरी को सही ढंग से सेट करना आना चाहिए ताकि श्रोताओं को सही ध्वनि अनुभव मिल सके।
3. क्रिएटिविटी
-साउंड डिजाइन: फिल्मों, गेम्स, या म्यूजिक प्रोडक्शन में ध्वनि के प्रभावों और बैकग्राउंड साउंड्स को क्रिएट करने की क्षमता होनी चाहिए।
–म्यूजिकल नॉलेज: अगर आप म्यूजिक प्रोडक्शन में काम करना चाहते हैं, तो बेसिक म्यूजिक थ्योरी और रिदम की समझ जरूरी है।
4. ध्यान और सटीकता
साउंड इंजीनियरिंग में छोटी से छोटी गलतियां भी बड़े प्रभाव डाल सकती हैं। ध्वनि की बारीकियों पर ध्यान देना और सही समय पर सही एडजस्टमेंट करना महत्वपूर्ण है।
5. कम्युनिकेशन स्किल्स
साउंड इंजीनियर को प्रोड्यूसर्स, डायरेक्टर्स, म्यूजीशियन्स और अन्य क्रिएटिव टीम के सदस्यों के साथ समन्वय करना पड़ता है। अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स जरूरी हैं ताकि सही आउटपुट प्राप्त किया जा सके।
6. प्रैक्टिकल ट्रेनिंग
इंटर्नशिप और वर्कशॉप्स: प्रैक्टिकल अनुभव के लिए साउंड स्टूडियोज, रेडियो स्टेशन्स, और फिल्म प्रोडक्शन हाउस में इंटर्नशिप करें। लाइव इवेंट्स में साउंड इंजीनियरिंग का अनुभव लेना भी मददगार होता है।
प्रोजेक्ट-बेस्ड लर्निंग: ट्रेनिंग के दौरान छोटे-छोटे प्रोजेक्ट्स पर काम करें, जैसे म्यूजिक एल्बम बनाना, शॉर्ट फिल्म के लिए साउंड एडिटिंग करना, आदि।
7. लाइव साउंड मैनेजमेंट
लाइव परफॉरमेंस के दौरान साउंड क्वालिटी को मेंटेन करना और तुरंत समस्याओं को सुलझाने की क्षमता होनी चाहिए। लाइव साउंड इंजीनियरिंग में तेज़ी और सटीकता की जरूरत होती है।
8. अनुकूलनशीलता
साउंड इंजीनियर को अलग-अलग सेटिंग्स में काम करने की क्षमता होनी चाहिए, जैसे स्टूडियो रिकॉर्डिंग, लाइव इवेंट्स, फिल्म या टेलीविज़न सेट्स, आदि।
9. नवीनतम तकनीक की जानकारी
साउंड इंजीनियरिंग में निरंतर नए-नए उपकरण और सॉफ्टवेयर आते रहते हैं। इसलिए आपको हमेशा नवीनतम तकनीक और सॉफ्टवेयर के बारे में अपडेट रहना चाहिए। इन स्किल्स और ट्रेनिंग्स के माध्यम से आप साउंड इंजीनियरिंग में एक सफल करियर बना सकते हैं।
निजी क्षेत्र में करियर
- साउंड इंजीनियरिंग में निजी क्षेत्र में कई संभावनाएं और जॉब प्रोफाइल्स उपलब्ध हैं। ये प्रोफाइल्स विभिन्न उद्योगों, जैसे म्यूजिक प्रोडक्शन, फिल्म और टेलीविजन, रेडियो, गेमिंग, और लाइव इवेंट्स में काम के अवसर प्रदान करते हैं।
- कुछ प्रमुख प्रोफाइल्स जैसे साउंड रिकॉर्डिस्ट, साउंड डिज़ाइनर, म्यूजिक प्रोड्यूसर, ऑडियो मिक्सिंग इंजीनियर, मास्टरिंग इंजीनियर, फोली आर्टिस्ट, लाइव साउंड इंजीनियर, पोस्ट-प्रोडक्शन साउंड इंजीनियर, ब्रॉडकास्ट इंजीनियर, गेमिंग ऑडियो इंजीनियर और पॉडकास्ट प्रोड्यूसर हैं।
- कुछ निजी कंपनिया जैसे यश राज फिल्म्स, ज़ी स्टूडियोज, टी-सीरीज़, वायाकॉम18 स्टूडियोज, सोनी म्यूजिक इंडिया, रेड चिलीज एंटरटेनमेंट, पीवीआर सिनेमा, रेडियो सिटी और एनएच स्टूडियोज भारत में फ्रेशर साउंड इंजीनियर्स के लिए उपरोक्त दिए गए प्रोफाइल्स पर अवसर प्रदान करती हैं।
सरकारी क्षेत्र में करियर
- सरकारी क्षेत्र में फ्रेशर साउंड इंजीनियर्स के लिए विभिन्न प्रोफाइल्स उपलब्ध हैं। कुछ प्रमुख प्रोफाइल्स जैसे ब्रॉडकास्टिंग इंजीनियर, साउंड टेक्निशियन, ऑडियो विजुअल इंजीनियर, रिकॉर्डिंग इंजीनियर, साउंड इंजीनियर में रिसर्च
साइंटिस्ट, इवेंट साउंड इंजीनियर, तकनीकी अधिकारी (ऑडियो), और ऑडियो क्वालिटी कंट्रोल इंजीनियर हैं। - कुछ सरकारी विभाग जैसे ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर)/ दूरदर्शन, फिल्म और टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, संस्कृति मंत्रालय, राज्य संस्कृति विभाग, राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम, अनुसंधान संस्थान, भारतीय सशस्त्र बल और केंद्रीय सार्वजनिक कार्य विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) है।
- साउंड इंजीनियरिंग से संबंधित उपरोक्त सरकारी नौकरी की परीक्षाओं और भर्ती के अलग अलग समय पर फॉर्म निकलते है इनकी सूचनाओं के बारे में अपडेट रहें।
वेतन और ग्रोथ
- शुरुआती स्तर पर मासिक वेतन लगभग 20,000 से 50,000 तक हो सकता है।
- कुछ वर्षों के अनुभव के बाद, साउंड इंजीनियर का मासिक वेतन 50,000 से 80,000 तक हो सकता है।
- वरिष्ठ साउंड इंजीनियर, जिनके पास 10 से अधिक वर्षों का अनुभव है, का मासिक वेतन 80,000 से 150,000 या उससे अधिक भी हो सकता है।
- इसके अलावा एक प्रोफेशनल साउंड इंजीनियर फ्रीलांसिंग एवं खुद का स्टार्टअप भी कर सकता है।
करियर काऊंसलर से ले सकते हैं सुझाव
अपने लिए किसी भी तरह के कोर्स या पेशे को चुनने से पहले आपको एक करियर काउंसलर की मदद एवं सलाह जरूर लेनी चाहिए, ताकि करियर काऊंसलर आपको आपके विषयों की दिलचस्पी, कौशल और व्यक्तित्व के हिसाब से एक अच्छा कोर्स और पेशा चुनकर दे सके। इसके लिए आप वेबसाइट www.careerjaano.com पर भी विजिट कर सकते हैं।
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