Career :
- -तकनीकी उपकरणों से बातचीत के तरीकों में बढ़ाएं रुचि
- -यह पेशा रचनात्मकता, भाषा और तकनीकी ज्ञान का मेल
- -यह डिजिटल दुनिया को और अधिक सहज बनाने में सक्षम
- -ये क्षेत्र तकनीक, डिज़ाइन और भाषा विज्ञान के संगम पर आधारित
डॉ. माेहित बंसल
(करियर कोच एवं मोटिवेशनल स्पीकर)
Career : यदि आप भी तकनीकी उपकरणों से बातचीत के नए तरीकों में रुचि रखते हैं और यह मानते हैं कि भविष्य में लोग स्क्रीन की
बजाय अपनी आवाज़ से उपकरणों को संचालित करेंगे, तो वॉइस यूज़र इंटरफ़ेस डिज़ाइनर बनना एक शानदार करियर
विकल्प हो सकता है। यह पेशा रचनात्मकता, भाषा और तकनीकी ज्ञान का मेल है, जो डिजिटल दुनिया को और अधिक
मानवीय तथा सहज बनाता है। एक वॉइस यूज़र इंटरफ़ेस डिज़ाइनर का मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना होता है कि उपयोगकर्ता किसी मशीन या सॉफ़्टवेयर से स्वाभाविक और प्रभावी संवाद कर सके। वे यह तय करते हैं कि उपयोगकर्ता क्या बोलेंगे, प्रणाली कैसे समझेगी, और उसे कैसे उत्तर देना चाहिए। इसके लिए उन्हें उपयोगकर्ता अनुभव (यूएक्स), भाषाविज्ञान, मनोविज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अच्छा ज्ञान होना चाहिए।
प्रमुख कार्य क्षेत्र
– मार्ट स्पीकर और डिजिटल सहायक : जैसे अमेज़न एलेक्सा, गूगल असिस्टेंट
– स्वचालित वाहन प्रणालियां : आवाज़ द्वारा कार को नियंत्रित करना
– स्वास्थ्य सेवाएं : रोगियों से वॉइस नोट लेना, दवा रिमाइंडर
– ग्राहक सेवा केंद्र : आवाज़ आधारित उत्तरदाता प्रणाली
– शिक्षा और विशेष आवश्यकता वाले उपयोगकर्ता : दृष्टिहीन या अशक्तजनों के लिए वॉइस टूल्स
शिक्षा और योग्यता
वॉइस यूज़र इंटरफ़ेस डिज़ाइन एक ऐसा क्षेत्र है जो तकनीक, डिज़ाइन और भाषा विज्ञान के संगम पर आधारित है। इस
क्षेत्र में सफल करियर के लिए केवल तकनीकी ज्ञान ही नहीं, बल्कि मानव व्यवहार, संवाद शैली और डिज़ाइन सोच की
भी अच्छी समझ होना ज़रूरी है। इसलिए यह अनुशंसा की जाती है कि विद्यार्थी बहु-विषयक पढ़ाई करें, जिसमें कंप्यूटर
विज्ञान, मानव-कंप्यूटर इंटरफ़ेस, भाषाविज्ञान, और डिज़ाइन जैसे विषय शामिल हों। आज कई अग्रणी संस्थान इन
विषयों में विशेष पाठ्यक्रम (कोर्स) प्रदान करते हैं, जिससे छात्रों को इस क्षेत्र की ठोस नींव मिल सके। वॉइस यूज़र
इंटरफ़ेस डिज़ाइन में करियर बनाने के लिए आप नीचे दिए गए विषयों में पढ़ाई कर सकते हैं।
यह पढ़ाई करें
- – उपयोगकर्ता अनुभव डिज़ाइन (यूएक्स डिज़ाइन)
- – कंप्यूटर विज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)
- – भाषाविज्ञान और मनोविज्ञान
- – संचार एवं मीडिया अध्ययन
- – सांख्यिकी एवं डेटा विश्लेषण
प्रमुख शैक्षणिक संस्थान और पाठ्यक्रम
सरकारी संस्थान
1. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), बॉम्बे
– पाठ्यक्रम: ह्यूमन कंप्यूटर इंटरेक्शन और डिज़ाइन में स्नातकोत्तर
2. भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी), हैदराबाद
– पाठ्यक्रम: एनएलपी और मशीन लर्निंग में एम.टेक
3. भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु
– पाठ्यक्रम: कंप्यूटर साइंस एंड नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग में अनुसंधान कार्यक्रम
4. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), नई दिल्ली
– पाठ्यक्रम: लैंग्वेज इंटरफ़ेस में एम.ए./एम.फिल
5. भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी), नई दिल्ली
– पाठ्यक्रम: डिजिटल मीडिया और कम्युनिकेशन डिज़ाइन में स्नातकोत्तर
निजी संस्थान
1. पर्ल अकादमी, नई दिल्ली/मुंबई
– पाठ्यक्रम: डिजिटल इंटरफ़ेस डिज़ाइन में स्नातक कार्यक्रम
2. एमिटी विश्वविद्यालय, नोएडा
– पाठ्यक्रम: यूजर इंटरफेस एवं डिज़ाइन में बी.डिज़ाइन
3. मणिपाल प्रौद्योगिकी संस्थान, कर्नाटक
– पाठ्यक्रम: कंप्यूटर विज्ञान और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस में बी.टेक
4. सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन, पुणे
– पाठ्यक्रम: वौइस् और इंटरफ़ेस डिज़ाइन में स्नातक कोर्स
5. अपग्रेड (ऑनलाइन), गूगल प्रमाणन के साथ
– पाठ्यक्रम: वौइस् बेस्ड इंटरफ़ेस डिज़ाइन और यूजर एक्सपीरियंस में सर्टिफिकेट कोर्स
आवश्यक कौशल
वॉइस यूज़र इंटरफ़ेस डिज़ाइनर बनने के लिए तकनीकी दक्षता के साथ-साथ संवाद कौशल, रचनात्मकता और
उपयोगकर्ता की सोच को समझने की क्षमता भी आवश्यक होती है। इस पेशे में आपको मशीन को इंसानों की तरह
“सोचने और बोलने” लायक बनाना होता है, इसलिए संवाद संरचना, उपयोगकर्ता अनुभव डिज़ाइन, और मशीन लर्निंग
जैसे क्षेत्रों की जानकारी अनिवार्य है। इसके अलावा, अलग-अलग उपकरणों और सॉफ़्टवेयर का प्रयोग, उपयोगकर्ता
परीक्षण, और बहुभाषी इंटरफ़ेस डिज़ाइन करने की क्षमता भी इस क्षेत्र में सफलता दिला सकती है।
यहां मिलेगी सफलता
- – कम्युनिकेशन डिज़ाइन – प्रभावी वाक्य संरचना और प्रतिक्रिया योजना
- – उपयोगकर्ता व्यवहार की समझ – बातचीत करने के तरीके समझना
- – स्वर विश्लेषण और भाषाई प्रसंस्करण (स्पीच प्रोसेसिंग एवं एनएलपी)
- – डिज़ाइन उपकरणों का उपयोग – जैसे वौइस् फ्लो, फिगमा, डायलॉगफ़्लो
- – डेटा विश्लेषण एवं उपयोगकर्ता परीक्षण
रोज़गार के अवसर
वॉइस यूज़र इंटरफ़ेस डिज़ाइन केवल तकनीकी कंपनियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हेल्थकेयर, ऑटोमोबाइल,
एजुकेशन, बैंकिंग, कस्टमर सर्विस और एंटरटेनमेंट जैसे अनेक क्षेत्रों में तेजी से फैल रहा है। जैसे-जैसे लोग वॉइस
असिस्टेंट्स और स्मार्ट डिवाइसेज़ के ज़रिए तकनीक से जुड़ने लगे हैं, वैसे-वैसे इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की मांग भी बढ़ती जा
रही है। एक वॉइस यूआई डिज़ाइनर न केवल टेक्नोलॉजी कंपनियों में नौकरी कर सकता है, बल्कि स्वतंत्र कंसल्टेंट,
स्टार्टअप संस्थापक या शोधकर्ता के रूप में भी अपनी भूमिका निभा सकता है। इस क्षेत्र में अनुभव के साथ आप प्रोडक्ट
लीड, यूएक्स डायरेक्टर या एआई डिजाइन स्ट्रैटजिस्ट जैसी महत्वपूर्ण भूमिकाओं तक पहुँच सकते हैं।
– तकनीकी कंपनियां– गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न, टाटा एलेक्सी
– ऑटोमोबाइल कंपनियाँ – टेस्ला, महिंद्रा, टाटा मोटर्स
– स्वास्थ्य सेवाएँ – एआई हेल्थ स्टार्टअप्स जैसे 1mg, पोर्टिया
– डिज़ाइन एजेंसियाँ – टीसीएस इंटरएक्टिव, ओगिल्वी डिज़ाइन
– फ्रीलांस कार्य – प्रोजेक्ट आधारित स्वतंत्र काम और परामर्शदाता सेवाएं
वेतन और संभावनाएं
भारत में भी डिजिटलीकरण और बहुभाषी वॉइस असिस्टेंट्स की आवश्यकता को देखते हुए यह क्षेत्र भविष्य में अपार
संभावनाएं प्रदान करता है। यदि आप तकनीकी विशेषज्ञता के साथ-साथ रचनात्मक और भाषाई सोच रखते हैं, तो यह
क्षेत्र आपके लिए वैश्विक अवसरों के द्वार खोल सकता है। एक वॉइस यूज़र इंटरफ़ेस डिज़ाइनर के लिए निम्न प्रकार के
वेतन एवं अवसर होते है।
– प्रारंभिक वेतन: 40,000 से 80,000 रुपये प्रतिमाह
– मध्यम अनुभव (5 वर्षों तक): 1,00,000 से 2,50,000 रुपये प्रतिमाह
– वरिष्ठ स्तर: 25 लाख से 40 लाख रुपये वार्षिक (कंपनियों और अनुभव पर निर्भर)
– फ्रीलांसर: प्रति प्रोजेक्ट 1 लाख से 5 लाख रुपये तक या 1,000 से 5,000 रुपये प्रति घंटा
तेज़ी से उभरता करियर
वॉइस यूज़र इंटरफ़ेस डिज़ाइन एक तेज़ी से उभरता हुआ और भविष्य-केन्द्रित क्षेत्र है, जिसमें संवाद, भाषा और
तकनीकी समझ का अद्भुत मिश्रण होता है। यदि आप मानवीय अनुभव को तकनीकी दुनिया से जोड़ने में रुचि रखते हैं,
तो यह करियर आपके लिए एक उपयुक्त विकल्प हो सकता है। सुझाव: किसी भी करियर का चुनाव करने से पहले किसी योग्य करियर सलाहकार से सलाह ज़रूर लें।अधिक जानकारी के लिए आप www.careerjaano.com पर भी विज़िट कर सकते हैं।
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