Health
- -पीजीआई में मायोपिया पोस्टर प्रदर्शनी से किया जागरूक
- -मुख्य अतिथि डाॅ. अनीता सक्सेना बोलीं, स्क्रीन से दूर रहें
- -ये बीमारी जेनेटिक कारणों से भी हो सकती
Health : रोहतक। मायोपिया एक आम आंखों की समस्या है, जिसमें व्यक्ति को दूर की वस्तुओं को देखने में परेशानी होती है, लेकिन निकट की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है। मायोपिया में दूर की चीजें धुंधली दिखती हैं। आंखों की ये समस्या बच्चों में ज्यादा देखी जाती है, कुछ मामलों में ये बीमारी जेनेटिक कारणों से भी हो सकती है। मायोपिया में दूर की चीजें साफ नहीं दिखती हैं। ऐसे में डॉक्टर नजर का चश्मा लगाने की सलाह देते हैं। मायोपिया के मामले हर साल बढ़ रहे हैं, लेकिन इस बीमारी को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है, लोगों को जागरूक करने के लिए पीजीआई के क्षेत्रीय नेत्र संस्थान द्वारा जो अभियान चलाया गया था वह काफी सराहनीय है। यह कहना है पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति डाॅ. अनीता सक्सेना का। वें बुधवार को चौधरी रणबीर सिंह ओपीडी में आरआईओ द्वारा मायोपिया को लेकर लगाई गई पोस्टर प्रदर्शनी में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंची थी। उन्होंने विजेताओं को पुरस्कृत करते हुए कहा कि उन्होंने बहुत अच्छे पोस्टर बना रखे हैं, इनको पढ़कर आम जनता मायोपिया के प्रति काफी जागरूक होगी। इस अवसर पर अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद के निदेशक डॉ. बीएम वशिष्ठ, डॉ. मनीषा राठी,डॉ मनीषा नाडा, डॉ अशोक राठी, डॉ सुमित सचदेवा ,डॉ जितेंद्र फोगाट और डॉ ज्योति उपस्थित रहे। डॉ स्वीटी, डॉ दीपशिखा, डॉ मेघा व डॉ संस्कृति ने भी योगदान दिया।
2050 तक मायोपिया से लाखों बच्चे होंगे शिकार
आरआईओ विभागाध्यक्ष डाॅ. आरएस चैहान ने कहा कि आंखों की बीमारियां हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर रही हैं। बच्चों में भी ये खतरा बढ़ता जा रहा है। आपने भी अपने आस-पास कई बच्चों की आंखों पर नजर का चश्मा लगा देखा होगा। आंखों की रोशनी कमजोर होने की दिक्कत क्वालिटी ऑफ लाइफ को भी प्रभावित करती है। डाॅ. निभा पाशी ने कहा कि आंखों की इस बीमारी में दूर की चीजों को देखने में कठिनाई होने लगती है। विशेषज्ञों की चिंता है कि जिस तरह से साल-दर-साल ये बीमारी बढ़ती जा रही है ऐसे में साल 2050 तक लाखों और बच्चे इसके शिकार हो सकते हैं।
इसलिए बढ़ रही समस्या
-गैजेट्स का लगातार बढ़ता चलन, घर और ऑफिस की चहार दीवारी में सीमित जीवन, शारीरिक सक्रियता की कमी और जंक फूड्स का बढ़ता चलन हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ही नहीं हमारी आंखों की सेहत को भी प्रभावित कर रहा है।
-विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पूरे विश्व में मायोपिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, आज विश्वभर में एक अरब चालीस करोड़ लोगों को निकट दृष्टि दोष है, 2050 तक यह आंकड़ा बढ़कर पांच अरब हो जाएगा। इनमें से लगभग दस प्रतिशत लोगों का मायोपिया इतना गंभीर होगा कि उनके लिए दृष्टिहीनता का खतरा अत्यधिक बढ़ जाएगा।
बीमारी के लक्षण
-बार-बार आंखें झपकाना।
-दूर की चीजें देखने पर आंखों में तनाव और थकान महसूस होना।
-ड्राइविंग करने में परेशानी आना खासकर रात के समय में।
-सिरदर्द, पलकों को सिकुड़कर देखना। आंखों से पानी आना।
-क्लासरूम में ब्लैक बोर्ड या व्हाइट बोर्ड से ठीक प्रकार से दिखाई न देना।
-लगातार आंखें मसलना। पढ़ाई पर फोकस न कर पाना।
रोकथाम के उपाय
-नियमित अंतराल पर आंखों की जांच कराएं।
-डायबिटीज और उच्च रक्तदाब है तो उपचार कराएं।
-इनके कारण आपकी दृष्टि प्रभावित हो सकती है।
-जब भी घर से बाहर निकलें तो चश्मा लगाकर जाएं।
-डाइट चार्ट में रंग-बिरंगे फलों, सब्जियों व मछलियों को शामिल करें।
-पढ़ने और कम्प्युटर पर काम करने के दौरान ब्रेक लें।
-अच्छी रोशनी में पढ़ें। बच्चों को चहारदीवारी में बंद न रखें।
-बच्चों को बाहर धूप में खेलने दें। स्क्रीन के सामने कम समय बिताएं।
-बच्चों को दो घंटे से अधिक टीवी और मोबाइल न चलाने दें।
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