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Haryana : गहराने लगी डीएपी खाद की किल्लत, नहीं मिलने पर हो रही रबी फसल बिजाई में देरी

डीएपी खाद लेने के लिए कतार में लगे किसान।डीएपी खाद लेने के लिए कतार में लगे किसान।

Haryana :

  • -किसान दिन में मंडी में बाजरा बेचने जाते हैं तो रात के समय करते हैं खेतों में कार्य
  • बौना साबित हो रहा है आधार कार्ड के माध्यम से तीन बैग खाद देने का फार्मूला

Haryana : नारनौल। खरीफ फसल के भंडारण के बाद अब अचानक डीएपी खाद की मांग बढ़ गई है। खाद बिक्री केंद्र पर प्रतिदिन किसानों की कतारें लग रही हैं। विदित रहे कि क्षेत्र के किसान खरीफ फसल को सुलझाकर रबी फसल की बिजाई कार्य में जुट गए हैं। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक 25 अक्टूबर तक सरसों तथा 15 नवम्बर तक गेहूं बिजाई का उत्तम समय माना गया है। जिसके लिए किसान खेतों की जुताई कर पलेवा कार्य कर रहे हैं। सरसों व व गेहूं की बिजाई के लिए किसान डीएपी खाद का जुगाड़ कर रहे हैं। जिसके लिए मारामारी मची हुई है।

इफको किसान सेवा केंद्र, हैफेड व प्राइवेट खाद बीज बिक्री केंद्रों पर डीएपी के लिए कतारें लग रही हैं। आधार कार्ड के माध्यम से राशनिंग करते हुए खाद का वितरण किया जा रहा है। कहने को तो इफको किसान सेवा केंद्र पर एक आधार कार्ड पर तीन बैग डीएपी अलाट किए जा रहे हैं, लेकिन सिफारिश हो तो एक व्यक्ति को 30 बैग भी दे दिए जाते हैं। कनीना केंद्र पर ऐसा ही मामला सामने आया है। जिसमें एक ओर खाद के लिए किसान कतारबद्ध खड़े हैं। वहीं से ककराला का एक व्यक्ति एक एक कर 30 बैग डीएपी ले जाता है। जिसका जवाब केंद्र संचालक के पास भी नहीं है। किसान सत्यवीर सिंह रामबास, नरेंद्र सिंह छितरोली व रोशन सिंह नांगल ने बताया कि सरसों व गेहूं की बिजाई से पहले डीएपी खाद की बिजाई की जाती है, तब कहीं जाकर सरसों उगती है। डीएपी खाद समय पर उपलब्ध न होने पर किसान सरसों की बिजाई से लेट हो रहे हैं। किसानों ने कहा कि समय समय पर बारिश होने पर उनकी ओर से फसल की सिंचाई नहीं की गई। नहरों में भी पानी की सप्लाई हुई है। समय समय पर बारिश होने के कारण सरसों बिजाई के लिए कहीं पर पलेवा करने की जरूरत भी नहीं है हालांकि पलेवा के लिए नहरों में पानी छोड़ दिया गया है। वहीं कृषि के लिए एग्रीकल्चर फीडर में बिजली की समुचित सप्लाई की जा रही है। दिन रात एक कर किसान खेत खाली कर रहे हैं। दिन के समय मंडी में बाजरा बेचने जा रहे है तो रात्रि के समय सरसों बिजाई के लिए खेतों में कार्य कर रहे हैं।

डीएपी खाद की किल्लत

दक्षिण हरियाणा के साथ लगते राजस्थान के अलवर, झुंझुनूं, बहरोड, चूरू क्षेत्र के किसान भी हरियाणा से खाद की आपूर्ति करते हैं। हरियाणा राजस्थान के इन क्षेत्रों में बेटी रोटी का रिश्ता होने के चलते महेंद्रगढ़ जिले के विभिन्न खाद बिक्री केद्रों पर डीएपी की मांग बढ़ जाती है। इधर, कहा जा रहा है कि उर्वरक कंपनियां खाद के आयात में कटौती कर रही हैं। चालू वित्त वर्ष के पिछले पांच माह अप्रैल से अगस्त तक देश में 15.9 लाख टन डीएपी खाद का आयात किया गया, जबकि बीते वर्ष यह 32.5 लाख टन था। रबी सीजन में 52 लाख एमटी डीएपी खाद की एवज में 20 लाख एमटी उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसमें कम्पनियां की आमदनी कम व लागत अधिक पाई जाती है।

प्रचुर मात्रा में खाद उपलब्ध

खाद भंडार के संचालक आलोक गोयल ने बताया कि डीएपी, एनपीके व ग्र्रो प्लस एसएसपी खाद प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। खाद को लेकर किसानों के सामने कोई दिक्कत नहीं रहने वाली। बाजरे की कटाई से फ्री हुए किसान खाद खरीदने लगे हैं।

क्या कहते हैं कृषि अधिकारी

कृषि विभाग के एडीओ विकास यादव ने बताया कि खरीफ फसल की बंपर पैदावार हो रही है। खेत खाली होने पर किसानों ने सरसों की बिजाई शुरू कर दी है।

खाद की कमी नहीं

एसडीएम अमित कुमार ने बताया कि खाद की उपलब्धता में कोई कमी नहीं है। किसान धैर्य रखें। सभी किसानों को डीएपी खाद उपलब्ध कराया जाएगा।

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