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Festival : भगवान श्रीगोवर्धन की पूजा देती है आरोग्यता, मिलता है अच्छा स्वास्थ्य

गोवरधन पूजा।गोवरधन पूजा।

Festival

  • शाम को राजा बली और भगवान विष्णु का पूजन किया जाता
  • भगवान श्रीकृष्ण के निर्मित दीपक जलाकर अन्नकूट का प्रसाद अर्पित करें

Festival : कुरुक्षेत्र। श्रीदुर्गा देवी मन्दिर पिपली के पीठाधीश ज्योतिष एवम वास्तु आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को की जाती है। इसमें भगवान कृष्ण गाय और बैलों का पूजन करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के निर्मित दीपक जलाकर अन्नकूट का प्रसाद अर्पित करते हैं। शाम को राजा बली और भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। सूर्य और चंद्रमा तुला राशि में, विशाखा नक्षत्र, शनिवार,गोवर्धन पूजा 2 नवंबर ,2024 को होगी। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान गोवर्धन और श्री कृष्ण की पूजा करने से जीवन में आने वाले कष्ट दूर हो जाते हैं। घर में मां लक्ष्मी का वास स्थापित होता है। गोवर्धन भगवान का आशीर्वाद मिलता है। घर की उन्नति होती है, सुख-समृद्धि आती है। घर में सकारात्मकता का संचार होने लगता है। आर्थिक स्थिति मजबूत होती है, तंगी और कर्ज जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं, सौभाग्य में वृद्धि होती है, घर धन-धान्य से भरा रहता है।

गोवर्धन पूजा प्रात:काल मुहूर्त

-प्रात: 6:34 से 8:46 बजे तक

दोपहर मुहूर्त

-दोपहर 3 बजकर 23 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।

शाम का मुहूर्त

-शाम 5 बजकर 35 मिनट से लेकर 6 बजकर 01 मिनट तक रहेगा।

गोवर्धन पूजा विधि :

-सबसे पहले अपने घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन का चित्र बनाएं।
-इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें।
-इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल और शुद्ध भावना से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से सालभर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है।
-भगवान श्री कृष्ण का अधिक से अधिक ध्यान करें।
इस दिन भगवान को 56 या 108 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाने की परंपरा भी है।
-भगवान श्री कृष्ण की आरती करें। सुखी जीवन और अच्छे परिवार के सदस्य और अपने कारोबार नौकरी आदि हेतु भगवान का धन्यवाद करे ।

पूजा सामग्री

गोवर्धन पूजा में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत और ग्वाल बाल बनाए जाते हैं जिसके पास भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति रखकर धूप दीप से उनकी आरती कर उन्हें ताजे फूल अर्पित किए जाते हैं, जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन अलग अलग तरह के भोग लगाएं जाते हैं और साथ ही साथ दूध, घी, शक्कर, दही और शहद से बना पंचामृत चढ़ाया जाता है।

गोवर्धन पूजा कथा

गोवर्धन पूजा करने के पीछे धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण इंद्र का अभिमान चूर करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गोकुल वासियों की इंद्र से रक्षा की थी. माना जाता है कि इसके बाद भगवान कृष्ण ने स्वंय कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन 56 भोग बनाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का आदेश दिया दिया था। तभी से गोवर्धन पूजा की प्रथा आज भी कायम है और हर साल गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का त्योहार मनाया जाता है।

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