Fatehabad :
- ऑर्गेनिक खेती से हर साल लाखों रुपये की ले रहा पैदावार
- पांच से सात फिट लंबी लौकी हो रही तैयार
Fatehabad : भूना। गांव भूथनखुर्द में एक युवा किसान रवि पूनिया मचान तकनीक से लौकी यानी घीया की ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं। उसके खेत में 5 से 7 फुट लंबी लॉकी तैयार हो रही है। इससे वह हर साल लाखों रुपये कमा रहा है। एमए पॉलटिकल साइंस एवं बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई कर चुके 26 वर्षीय युवा किसान रवि पूनिया ने बताया कि उसने मचान तकनीक से खेती कर मात्र आधी कनाल जमीन में ही प्रतिवर्ष एक लाख से अधिक की पैदावार ली है। खास बात यह भी है कि उसे इसे बेचने के लिए मंडी भी नहीं जाना पड़ता। ज्यादातर लोग उसके घर से ही सब्जी खरीदकर ले जाते हैं। उसके खेत में 5 से 7 फुट के करीब लंबी लौकी प्रति पीस और किलो के हिसाब से खरीदी जा सकती है। इसकी कीमत 50 रुपये प्रति किलो से अधिक ही होती है। प्रति पीस के हिसाब से लौकी लंबाई और मोटाई के हिसाब से बेचा जाता है।
पूरी तरह ऑर्गेनिक घीया
रवि ने बताया कि वह पूरी तरह से ऑर्गेनिक लौकी तैयार करता है। इसके कारण यह टुकड़े करने के बावजूद एक सप्ताह तक खराब नहीं होती। इसका जूस निकाल कर पीने से कई तरह से शरीर को लाभ मिलते हैं। देसी किस्म एनएस की लौकी की खेती में पिछले 5 वर्षों से मचान विधि द्वारा लगातार बीज उत्पादन कर रहा है।
उत्पादन क्षमता बढ़ती है
मचान विधि द्वारा खेती करने से फसल उत्पादन क्षमता बढ़ती है। किसान उपरोक्त विधि अपनाने से दूसरी फसल भी साथ में ले सकते हैं। किसान मचान विधि के द्वारा अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। देसी किस्म एनएस के साथ-साथ वह 6 अन्य और लौकी की किस्मों का बीज उत्पादन कर रहा है। उपरोक्त किस्में अपने आप में अद्भूत सराहनीय हैं।
बिजाई का सही समय
रवि ने बताया कि देसी लौकी की बिजाई का सही समय उत्तर भारत में जुलाई से मध्य अगस्त तक होता है। दक्षिण भारत में इनकी बुआई जुलाई से जनवरी तक की जा सकती है। यह किस्म 60 दिनों में फसल देना शुरू कर देती है। एनएस देसी किस्म लौकी के पूर्ण विकसित फलों की लंबाई 6 से 7 फीट तक चली जाती है। एक लौकी का वजन सामान्यत 8 से 10 किलो तक हो जाता है। 2 से 3 फीट तक फल खाने व जूस निकाल कर पीने में बहुत ही गुणकारी रहता है। उसके बाद फल दिखाने व सजावट करने के लिए भी बड़े-बड़े फाइव स्टार होटल में डिमांड रहती है। उन्होंने बताया कि वर्तमान सीजन के दौरान उन्होंने 5 फुट 10 इंच लंबी लौकी तैयार करके दिखाई है।
उत्पादन 600 से 900 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
पूनिया ने बताया कि मेरा उद्देश्य केवल बीज उत्पादन करना है और जन-जन तक पहुंचना है, ताकि लोग अच्छी व गुणकारी सब्जियों के बीज लगाकर स्वास्थ्य व आमदनी बेहतर कर सकें। मचान विधि से एनएस देसी किस्म लौकी की प्रति हेक्टेयर 600 से 900 क्विंटल का उत्पादन लिया जा सकता है।
गोल्डन लहसुन के बीज में भी लाखों कमाए
पूनिया ने पिछले वर्ष गोल्डन लहसुन का बीज तैयार करके लाखों रुपये की आमदनी ली थी। उसने 1000 रुपये प्रति किलो के हिसाब से लहसुन बिक्री किया था। यह लहसुन गठिया व अन्य कई बीमारियों में काम आता है, इसलिए पंसारी दुकान पर गोल्डन लहसुन की कीमत दो गुना बढ़ जाती है। डेढ़ से 2 फीट लंबा करेला व देसी गिलकी तौरई की किस्में भी ट्रायल के तौर पर लगा रखी हैं।
नई तकनीक अपनाएं किसान
किसान परंपरागत खेती छोड़क नई तकनीक अपनाएं। इससे आमदनी भी बढ़ेगी और अच्छी फसलें भी तैयार होंगी। सरकार भी किसानों को खेती में आगे बढ़ाने के लिए हर संभव मदद कर रही है।
-डॉ. श्रवण कुमार, जिला बागवानी अधिकारी फतेहाबाद
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