Delhi
- देश के दूसरे दलित चीफ जस्टिस बनेंगे, सात माह रहेगा कार्यकाल
- सीजेआई खन्ना ने की अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश
- जस्टिस गवई ने 1985 में शुरू किया था कानूनी करिअर
Delhi : नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने बुधवार को केंद्रीय कानून मंत्रालय से उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई (बीआर गवई) को अगला सीजेआई नियुक्त करने की सिफारिश की। न्यायमूर्ति गवई मौजूदा सीजेआई के बाद उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं। वह 14 मई को 52वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। सीजेआई खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
न्यायमूर्ति गवई को 24 मई, 2019 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। प्रधान न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल छह महीने से अधिक होगा और वह 23 नवंबर, 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। पिछले साल 11 नवंबर को 51वें सीजेआई के रूप में शपथ लेने वाले न्यायमूर्ति खन्ना ने आज केंद्रीय कानून मंत्रालय से न्यायमूर्ति गवई को अगला सीजेआई नियुक्त करने की सिफारिश की। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष है। जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित सीजेआई होंगे। उनसे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन भारत के मुख्य न्यायाधीश बने थे।
अमरावती में ज्न्मे
-अमरावती में 24 नवंबर 1960 को जन्मे न्यायमूर्ति गवई को 14 नवंबर 2003 को बंबई उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। वह 12 नवंबर 2005 को उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बने।
-न्यायमूर्ति गवई उच्चतम न्यायालय में कई संविधान पीठों का हिस्सा रहे हैं जिन्होंने महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं।
-वह 16 मार्च 1985 को बार में शामिल हुए थे और नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम तथा अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील थे।
-अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक उन्हें बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त किया गया। सत्रह जनवरी 2000 को उन्हें नागपुर पीठ के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया।