Awareness Against Tobacco
- शिक्षा मंत्रालय ने देशभर में शुरू किया ‘तंबाकू और नशा मुक्त स्कूल-कॉलेज’ अभियान
- ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे के अनुसार भारत में 13 से 15 साल के 8.5% छात्र तंबाकू का उपयोग कर रहे
- हर दिन भारत में 5,500 बच्चे तंबाकू का सेवन शुरू करते हैं
Awareness Against Tobacco : शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने देशभर में एक बड़ा अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य सभी स्कूलों और कॉलेजों को तंबाकू और नशा मुक्त बनाना है। इस अभियान के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा गया है कि वे शैक्षणिक संस्थानों के आसपास तंबाकू, शराब और अन्य नशीले पदार्थों की बिक्री और उपयोग पर सख्ती से रोक लगाएं। यह कदम शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने 15 मई 2025 को गृह मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में हुई नारको-कोऑर्डिनेशन सेंटर की 8वीं बैठक के बाद उठाया गया है। बैठक में चर्चा की गई कि युवाओं को नशे से बचाने के लिए शिक्षा और कानून व्यवस्था विभागों को मिलकर काम करना होगा। गौरतलब है कि भारत एक युवा देश है, जहां बड़ी संख्या में लोग 29 साल से कम उम्र के हैं। यह युवा वर्ग देश का भविष्य है और इन्हें तंबाकू व नशे के दुष्प्रभावों से बचाना बहुत जरूरी है। 2019 में हुए ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे के अनुसार, भारत में 13 से 15 साल के 8.5% छात्र किसी न किसी रूप में तंबाकू का उपयोग कर रहे हैं। हर दिन भारत में 5,500 बच्चे तंबाकू का सेवन शुरू करते हैं। तंबाकू का सेवन अकसर अन्य नशीले पदार्थों की ओर पहला कदम बन जाता है। बच्चे यह उत्पाद स्कूलों के पास की दुकानों से आसानी से खरीद लेते हैं, जबकि ऐसा करना कानून के खिलाफ है। इस अभियान को असरदार बनाने के लिए मंत्रालय ने 31 मई 2025 (विश्व तंबाकू निषेध दिवस) से 26 जून 2025 (अंतरराष्ट्रीय नशीली दवाओं और तस्करी विरोधी दिवस) तक एक महीने का विशेष प्रवर्तन अभियान शुरू करने का आह्वान किया है।
तंबाकू निगरानी अधिकारी नियुक्त होगा
इसी खतरे को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने ‘तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान’ नाम से दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। इन दिशा-निर्देशों का एक कार्यान्वयन मैनुअल 31 मई 2024 को लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य स्कूलों और कॉलेजों को पूरी तरह तंबाकू मुक्त बनाना है। इसमें कुल 9 जरूरी कदम बताए गए हैं, जैसे कि संस्थान के गेट और परिसर में ‘तंबाकू मुक्त क्षेत्र’ का बोर्ड लगाना, परिसर में तंबाकू के इस्तेमाल का कोई प्रमाण न होना, तंबाकू से होने वाले नुकसान की जानकारी वाली सामग्री लगाना, हर 6 महीने में कम से कम एक जागरूकता गतिविधि करना, तंबाकू निगरानी अधिकारी नियुक्त करना, स्कूल के नियमों में तंबाकू निषेध नीति शामिल करना, संस्थान के चारों ओर 100 गज की दूरी पर पीली रेखा खींचना और उस क्षेत्र में तंबाकू की बिक्री पर रोक लगाना। इनमें आखिरी दो कार्यों के लिए स्थानीय प्रशासन की मदद सबसे जरूरी मानी गई है।