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Inspiration : घर की छत पर खेती करके पैदा कर सकते हैं शुद्ध सब्जियां

छत्तीसगढ़ में छत पर उगी 4 से 5 फीट की लौकी बनी खास।छत्तीसगढ़ में छत पर उगी 4 से 5 फीट की लौकी बनी खास।

Inspiration

  • छत्तीसगढ़ में छत पर उगी 4 से 5 फीट की लौकी बनी खास
  • सेवानिवृत शिक्षिका डॉ. पुष्पा सिंह ने तैयार किया पौधा
  • घर की छत पर बिना किसी जैविक या रासायनिक खाद के ही लौकियों की फसल तैयार


Inspiration : राजनांदगांव। इच्छा शक्ति हो तो किसी भी असंभव कार्य को संभव किया जा सकता है। वातावरण के अनुकूल उसे अपना बनाया जा सकता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है शहर की सेवानिवृत शिक्षिका डॉ. पुष्पा सिंह ने। दरअसल उन्होंने अपने घर की छत पर बिना किसी जैविक या रासायनिक खाद ही लौकियों की फसल तैयार कर दिखाया है। उनके छत पर तैयार हो रही लौकियों की फसल कई मायनों में खास है। ओंकारेश्वर से लौकी लाकर राजनांदगांव में इसका बीज तैयार किया गया। शहर के लालबाग क्षेत्र के एक घर की छत पर अद्भुत लौकियों की फसल तैयार हो रही है। इन लौकियों की खासियत यह है कि यह बाजार में बिकने वाले आम लौकियों की तरह नहीं है। इन लौकियों का आकार आम लौकियों के मुकाबले 4 से 5 फीट लंबा है।

अपनी छत्त पर लौकी की फसल के साथ शिक्षिका पुष्पा।
Inspiration : अपनी छत्त पर लौकी की फसल के साथ शिक्षिका पुष्पा।

क्या कहती हैं पुष्पा

डॉ. पुष्पा सिंह ने बताया कि बीते कुछ महीने पहले वह अपने परिवार के साथ ओंकारेश्वर गई हुई थी। इस दौरान उन्होंने एक फार्म हाउस पर आम लौकियों के मुकाबले लंबी किस्म की लौकी देखी। इसके बाद फार्म हाउस के मालिक ने उन्हें एक लौकी दे दिया, जिसका आकार लगभग 4 फीट लंबा था। इसके बाद उन्होंने राजनांदगांव पहुंचकर इस लौकी के बीज तैयार किये और इसे अपने घर के बगीचे में लगा दिया। चंद दिनों में ही लौकी की बेल काफी तेजी से बढ़ने लगी, जिसे उन्होंने अपनी छत पर चढ़ाया और फिर छत पर ही लौकियों की फसल तैयार होने लगी।

मध्याह्न भोजन में उपयोग

शहर के महारानी लक्ष्मीबाई स्कूल में शिक्षिका रही डॉ पुष्पा सिंह का कहना है कि बढ़ती महंगाई के चलते सब्जियों के दाम भी काफी बढ़ गए हैं और मध्यान भोजन में बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पाता है। ऐसे में महिला समूह द्वारा इसे मध्याह्न भोजन कक्षा के समीप जमीन पर या फिर गमले में भी लगाकर इस लौकी की फसल ले जा सकती है। जिससे खर्च की बचत होने के साथ ही सब्जी का बंदोबस्त भी हो जाएगा।

दो महीने में तैयार हो गई फसल

शिक्षिका डॉ पुष्पा सिंह ने बताया कि उन्होंने घर पर तैयार की गई इस बीज को अगस्त माह के अंतिम सप्ताह में लगाया था और अक्टूबर माह के शुरुआती दोनों में ही लौकियों में फूल आने शुरू हो गए और लगभग दो महीने में लौकी तैयार हो गई।

छत पर 1 दर्जन से अधिक लौकी

शिक्षिका डॉक्टर पुष्पा सिंह के छत पर लगभग एक दर्जन से अधिक लौकी लगी हुई है, जिनकी लंबाई 3 से 5 फीट तक नजर आ रही है। आम लौकियों के मुकाबले यह लौकी थोड़ी पतली है, लेकिन इनकी लंबाई इन्हें खास बना रही है।

बिना किसी खाद तैयार हो गई फसल

ओंकारेश्वर से लौकी लाकर राजनांदगांव में इसका बीज तैयार करने के बाद इसके उत्पादन के लिए किसी भी प्रकार का खाद नहीं डाला गया है। बिना खाद के ही लौकी की बेल काफी घनी हो गई और छत पर पहुंच कर लौकिया भी इस बिल में फलने लगी। खास बात यह है कि छत तक जा रही बिल में सिर्फ छत पर ही लौकी की फसल है, जबकि नीचे लौकियों के फूल तक नहीं आए हैं। जिसको लेकर डॉ पुष्पा सिंह का कहना है कि इन लौकियों का ग्रोथ धूप की वजह से हो रहा है। छत पर काफी अच्छी धूप मिलती है जिसकी वजह से फल छत पर ही लग रहे हैं।

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