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world family day : परिवार वो छाया, जो संकट की तपती धूप में हमें शीतलता देता है और रिश्तों को सहेजता है

Byadmin

May 12, 2025

world family day

  • -परिवार प्यार-प्रेम, एक दूसरे के सम्मान और मानवीय मूल्यों से जोड़कर रखने का आधार
  • -एक छत के नीचे रहकर सुख-दुख साझा करना और आपस में सहयोग करना ही परिवार
  • -हर उतार-चढ़ाव में जिंदगी से जुड़े रहने की हिम्मत बनी रहती है, समस्याएं कम आती हैं
  • -परिवार समाज की सबसे छोटी इकाई, लेकिन समाज की बुनियाद को मजबूती देने में मायने अहम

world family day : परिवार एक ऐसा शब्द है जो सभी को जोड़कर रखता है, इस शब्द में जीवन, समाज, एक दूसरे का सम्मान, सहयोग और जीवन के सभी मायने सीखने और देखने को मिलते हैं। लोगों के दिलों में एक दूसरे के प्रति नारजगी हो जाए तो वह परिवार ही है तो उन्हें एकजुट रखने की मजबूत नींव प्रदान करता है। परिवार, समाज की सबसे छोटी इकाई जरूर है, लेकिन समाज की बुनियाद को मजबूती देने में इस इकाई के मायने बहुत अहम हैं। समाज को बनाने और बनाए रखने में परिवार की अहमियत हमेशा से रही है, लेकिन अब परिवार के मूल स्वरूप में बिखराव साफ दिखने लगा है। यही वजह है कि हर साल घर-आंगन से जुड़े बहुत से विषयों पर विमर्श के लिए अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। परिवार दिवस को पारिवारिक ताना-बाना सहेजने की कोशिश के रूप में देखा जाता है। आजकल लोगों के टूटते रिश्ते, एक दूसरे के प्रति असम्मान की भावना और खत्म होता प्रेम परिवार तोड़ रहा है। आजकल एकल परिवार बढ़ रहे हैं, जो एक परिवार की नींव को हिला रहे हैं, लेकिन कुछ सावधानी के साथ रहा जाए और एक दूसरे का सम्मान करें तो परिवार की नींव को कोई नहीं हिला सकता। इसलिए रिश्तों को सहेंजे और एक दूसरे के प्रति सम्मान प्रदर्शित करें। परिवार से दूर रहकर सुखी जीवन की चाहत रखना एक बहुत बड़ी भूल है। परिवार वो छाया है, जो संकट की तपती धूप में हमें शीतलता देता है, हमारा संबल बनता है। इसलिए जरूरी है हम हमेशा पारिवारिक मूल्यों को बनाए रखें। परिवार के लोग प्रेम-स्नेह से बंधे रहें। परिवार को जीवन की पहली पाठशाला कहा जाता है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती आ रही यह मान्यता हर इंसान को मानवीय मूल्यों से जोड़कर रखती है। विचार-व्यवहार के मोर्चे पर जीवन को साधने का पाठ पढ़ाती है। अपनों के साथ संबल का ठिकाना कहे जाने वाले परिवार में ही तो एक छत के नीचे रहकर सुख-दुख साझा किया जाता है। हर उतार-चढ़ाव में जिंदगी से जुड़े रहने की हिम्मत बनी रहती है।

मानवीय समझ को पोषण

पारिवारिक खुशहाली का समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण रोल होता है। दुनिया के हर हिस्से में परिवार ही समाज के भावी नागरिक को इंसानियत का पाठ पढ़ाता है। बुजुर्गों को स्नेह-सुरक्षा का साया मिलता है। युवा परिवार में सही मार्गदर्शन पाते हैं। रिश्तों के ताने-बाने का यह बंधन हर उम्र के लोगों को कुछ न कुछ देता ही है। यों भी जिंदगी का हर सबक अपने परिवार में ही सीखा जाता है। अपने आंगन में मिली सीख से ही आगे चलकर नई पीढ़ी का व्यक्तित्व पूर्णता पाता है। परिवार ही बड़ों की संभाल और देखभाल का आधार बनता है। हमारे फैमिली सिस्टम में मौजूद यह आपसी जुड़ाव, जो मजबूत पृष्ठभूमि बनाता है, वह हर परिस्थिति में मन-जीवन को थामती है। पारिवारिक व्यवस्था सही मायने में हमारे जीवन का आधार स्तंभ है। परिवार में साथ-साथ रहना, सुख-दुख साझा करने की सोच, अपनेपन के भाव हमें आपस में दिल से जोड़े रखते हैं। हर तरह से एक-दूसरे के साथ समन्वय और सहयोग भरा भाव ही पारिवारिक संबंधों का संबल है। परिवार में खुशियों और जिम्मेदारियों का एक अनोखा मेल होता है, जो सभी को आपस में बांधे रहता है। यही बंधन हमें अच्छे-बुरे वक्त में थामने का काम करते हैं। बड़ों को मान और बच्चों को मनुहार परिवार में ही मिल सकती है। हमारे यहां हर तबके के परिवारों में यही स्नेहपूरित सोच रही है। जीवन को साधने-समझने वाले हर मानवीय भाव-चाव को परिवार ही पोसता आया है।

बिखरता ताना-बाना सहेजने के प्रयास

हालिया वर्षों में टूटते-बिखरते परिवारों का बढ़ता आंकड़ा चिंता का विषय बन गया है। दुनिया के हर समाज में परिवार के महत्व को रेखांकित किए जाने के बावजूद पारिवारिक ढांचा बिखर रहा है। कहीं बच्चे अकेले छूट रहे हैं तो कहीं बुजुर्ग स्नेह-साथ को तरस रहे हैं। बहुत से युवा शादी कर परिवार बसाना ही नहीं चाहते तो कई कपल्स शादी के बाद अपने रिश्ते को बिखरने से नहीं बचा पा रहे हैं। दुनिया भर में पारिवारिक सुदृढ़ता के लिए सराहे जाने वाले हमारे देश में भी अब तलाक के मामले बढ़े हैं। अपनों के साथ ही बर्बरता करने के मामले भी आए दिन सामने आते हैं। बदलती लाइफस्टाइल के चलते परिवार छोटे होते जा रहे हैं। जीवन की आपा-धापी में इतना कुछ नया जुड़ रहा है कि परिवार और अपने ही पीछे छूट रहे हैं। पारिवारिक कलह के चलते लोग अपनों की जान लेने से भी नहीं चूक रहे। भावनाओं भरे जुड़ाव पर स्वार्थी सोच हावी हो रही है। वर्चुअल दुनिया में अंजान चेहरों से जुड़ने के इस दौर में अपनों की उपेक्षा की संस्कृति पनप रही है। यही वजह है कि पारिवारिक मूल्यों को सहेजने के लिए कोशिशें जरूरी हैं। बदलते हालातों से जुड़ी सजगता लाने, परिवार के प्रति लोगों में लगाव को बढ़ाने और इस संस्था की अहमियत बताने के लिए ही इंटरनेशनल फैमिली-डे मनाया जाता है। हर साल यह दिन एक खास थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। वर्ष 2025 की थीम ‘सतत विकास के लिए परिवार-उन्मुख नीतियां-सामाजिक विकास के लिए दूसरे विश्व शिखर सम्मेलन की ओर’ रखी गई है। जिसका उद्देश्य समाज के डेवलपमेंट के लिए परिवार की बेहतरी से जुड़ी पॉलिसीज पर फोकस करना है। साथ ही यह विषय फैमिली सिस्टम से जुड़ी मौजूदा नीतियों और मुद्दों के एनालिसिस और रिव्यू से भी जुड़ा है। समझना मुश्किल नहीं कि मौजूदा पॉलिसीज को समझकर ही भविष्य में पारिवारिक मूल्यों को बेहतर बनाने की राह तलाशी जा सकती है।

अपनों का प्रेम-साथ-स्नेह अनमोल

असल में व्यवस्थागत प्रयासों के साथ हमें भी परिवार से जुड़ाव के अर्थ को समझना होगा। सब कुछ बनाने-जुटाने के फेर में गांवों से लेकर मेट्रो सिटीज तक लोग यह भूल रहे हैं कि परिवारजनों के बीच साझे सुख-दुःख की भावना ही रीत रही है। आज भावनात्मक दूरियां बढ़ रही हैं। ऐसे में हमें याद रखना होगा कि परिवार के सभी सदस्यों को भावनाओं की डोर से बंधे रहना चाहिए। अपनों का साथ हर किसी के मन को छोटी से छोटी खुशी में भी अनमोल सुख देता है। रिश्तों का यह ताना-बाना स्नेह बांटना भी सिखाता है और खुशियों को जीना भी। फाइनेंशियल परेशानी हो या बीमारी, अपने ही तो हर कष्ट में साथ खड़े नजर आते हैं। इतना ही नहीं अपनों का साथ पाकर हर तरह के दुःख से जूझने की शक्ति भी मिलती है। कई समस्याएं दिलो-दिमाग को विचलित किए बिना ही हल हो जाती हैं। संबल और सुख का यह परिवेश परिवारजनों के साथ रहकर ही संभव है। तीज-त्योहारों की रौनक भी अपनों के साथ से ही होती है। मन में उत्साह-उमंग जगाने वाली खुशियां, परिवार के साथ बिना अधूरी-सी लगती हैं। घर-परिवार से मिलने वाला सुख-समर्पण का यह भाव ही हमें समाज और देश से जोड़ता है। समझना मुश्किल नहीं कि स्ट्रेस, डिप्रेशन और अकेलेपन से जूझते लोगों के आंकड़े में इजाफे का एक कारण पारिवारिक टूटन भी है। अपनी जड़ों से जुड़ाव रखना हो या मन-जीवन की जद्दोजहद का सामना करना, परिवार का साथ बहुत मायने रखता है। अपनों के बीच अनमोल साथ स्नेह को कायम रखने वाली कुटुंब व्यवस्था की भूमिका सुरक्षा, सेहत और संभाल हर पहलू पर अहम है।

https://vartahr.com/world-family-day…es-relationships/

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