Ram Navami
- -नवरात्रे के नौवें दिन माँ दुर्गा की भी पूजा अर्चना की गई
- -साध्वी मानेश्वरी देवी ने भक्तों संग माँ जगदंबे के स्वरूप में आईं कन्याओं के चरण धोकर, हाथों पर रोली मोली बांधकर, माथे पर तिलक, श्रृंगार का सामान देकर, उनकी पूजा व आरती की तत्पश्चात उन्हें छोले-पूरी-हलवा, नारियल का प्रसाद देकर माथा टेका और आशीर्वाद प्राप्त किया।
और रामनवमी पर्व भक्तिभाव और हर्षोल्लास मनाई। कार्यक्रम में नवरात्रे के नौवें दिन माँ दुर्गा की भी पूजा अर्चना की गई। साध्वी ने भक्तों संग माँ जगदंबे के स्वरूप में आईं कन्याओं के चरण धोकर, हाथों पर रोली मोली बांधकर, माथे पर तिलक, श्रृंगार का सामान देकर, उनकी पूजा व आरती की तत्पश्चात उन्हें छोले-पूरी-हलवा, नारियल का प्रसाद देकर माथा टेका और आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर प्रात: हवन, मंत्रोच्चारण व विधि-विधाननुसार से दुर्गा स्तुति व रामायण पाठ का समापन, कन्याओं का पूजन, भजन प्रवाह, साध्वी के प्रवचन, कीर्तन, आर्शीवचन हुए, पंडित अशोक शर्मा द्वारा आरती तत्पश्चात भंडारे का प्रसाद वितरित किया गया। यह जानकारी सचिव गुलशन भाटिया ने दी।

दुनिया चले ना श्रीराम के बिना… भजन पर झूमे रामभक्त
कार्यक्रम में भजनों की प्रस्तुतियों के बीच अपनी सुरीली आवाज में माँ के भजन गाकर भक्तों को नाचने झूमने और भक्ति के रस में डूबोए रखा। मंडली द्वारा दुनिया चले ना श्रीराम के बिना, जो राम को लाएं हैं हम उनको लाएंगे, राम जी चले ना हनुमान के बिना, आज मैं नचना मैय्या दे द्वार मैंनू नच लेन दे, कूंडा खोल या ना खोल खडकाई जावांगे, तूने मुझे बुलाया शेरावालिएं मैं आया आया ज्योता वालिए, मेला देखण जाणा सै, ओ हो ताली बाजण दे और मैं कमली हो गई मां दे द्वारे, श्रद्धा ने नाल बुला लिता, माएं नी माएं छटें मेरां वाले मार दे, भक्तिमय भजन गाकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किया।
राम नाम सब सुखों की खान
गदीनशीन साध्वी मानेश्वरी देवी ने प्रभु श्रीराम के जीवन पर प्रकाश डालते हुए भक्तों को रामकथा का रसपान कराया। उन्होंने कहा कि त्रेतायुग में चैत्र शुक्ल नवमी को भगवान राम का जन्म हुआ था। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को राम का जाप करना चाहिए। राम नाम सब सुखों की खान है। राम नाम के जप से कष्ट मिट जाते है। उन्होंने कहा कि भक्ति धन ऐसा धन है यह न तो कभी समाप्त होता है और न ही इसे कोई लूट सकता है। यह तो बढ़ता ही रहता है। उन्होंने कहा कि तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस में सुंदरकांड एक महत्वपूर्ण कांड हैं, जहां सभी राम भक्तों की आस्था और विश्वास की झलक उनके कृत्यों से मिलती है। इसमें राम भक्त हनुमान का प्रमुख स्थान है। प्रभु की भक्ति के बिना हमारा जीवन उसी तरह से निरर्थक हैं, जिस तरह से बिना फल-फूल के शुष्क वृक्ष है। जो व्यक्ति श्री रघुनाथ के सहारे रहते हैं, उन्हें जीवन में कोई भी कष्ट नहीं मिलता। उनके कष्टों को दूर करने के लिए प्रभु सदैव तत्पर रहते हैं। कलयुग में जीवन रूपी नौका को भवसागर के पार लगाने के लिए श्रीराम नाम ही एक साधन है। उन्होंने कहा कि हमें अपने माता-पिता, बुजुर्गों की सेवा और आज्ञा मानने से बड़ा कोई कार्य नहीं है। यही सीख प्रभु श्रीराम ने दी। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि हमें भी श्रीराम से प्रेरणा लेते हुए अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिए। साथ ही अपने से बड़ों का आदर और छोटों को प्यार देना चाहिए।
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