New Criminal Laws : तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम रविवार आधी रात के बाद लागू हो गए हैं। नए कानून में दंड की जगह न्याय पर बल दिया गया है। नए कानून लागू होने के बाद पुराने कानून इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दफन हो जाएंगे।
- सात साल या उससे ज्यादा की सजा पर अनिवार्य रूप से फोरेंसिक जांच करने का प्रावधान
- अब पुलिस को हर हाल में 90 दिनों के भीतर आरोपपत्र कोर्ट में दाखिल करना होगा
- सात साल से कम सजा वाले मामलों में आरोपपत्र दाखिल करने के समय आरोपित की गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं
- अब गिरफ्तारी प्रकरण की गंभीरता के आधार पर तय की जाएगी।
- चेन स्नेचिंग मामले में अब चोरी की जगह झपटमारी का अपराध दर्ज
- नए कानून में पहली बार ऑर्गेनाइज्ड क्राइम परिभाषित
New Criminal Laws : नई दिल्ली। नए कानून लागू होने के साथ ही पुलिस का क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएस) 30 जून की आधी रात के बाद बदल गया। पुलिस को ऑनलाइन एफआईआर नए सिस्टम से दर्ज करनी होगी। पुलिस अफसरों के मुताबिक, नए कानून लागू होने के बाद अपराध दर्ज करने वाले मुंशी को तथा विवेचक को किसी तरह से कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया गया है। एक पुलिस अफसर के मुताबिक नए कानून लागू होने के बाद इसे पूरी तरह से समझने में निचले स्तर के पुलिसकर्मियों को और छह महीने का समय लग सकता है। शुरुआत में निचले स्तर के पुलिसकर्मियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
बीएनएस में 511 की जगह 358 धाराएं
- आईपीसी को अब भारतीय न्याय संहिता के नाम से जाना जाएगा। आईपीसी में पूर्व में जहां 511 धाराएं थीं, वहीं बीएनएस में 358 धाराएं हैं। इसमें 21 नए अपराध सम्मलित किए गए हैं।
- इसी तरह से सीआरपीसी को अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के नाम से जाना जाएगा। सीआरपीसी में जहां पूर्व में 484 धाराएं थीं, वहीं नए बीएनएसएस में 531 धाराएं हैं। इनमें सीआरपीसी की 177 धाराओं को बदला गया है और नौ नई धाराएं जोड़ी गई हैं, सीआरपीसी की 14 धाराएं समाप्त की गई हैं।
- गिरफ्तारी, जांच तथा मुकदमा की प्रक्रिया सीआरपीसी में होती थी। इसी तरह से एविडेंस एक्ट में बदलाव करते हुए 166 की जगह 170 धाराएं शामिल की गई हैं।
पहली बार कम्यूनिटी सजा का प्रावधान
पूर्व में छोटे अपराध के लिए जुर्माने के साथ प्रतिबंधात्मक सजा दिए जाने का प्रावधान है। नए कानून के तहत छोटे अपराध के लिए पहली बार कम्यूनिटी सजा का प्रावधान किया गया है। कोर्ट छोटे अपराध के आरोपी को वृद्धाश्रम सहित किसी सोसाइटी में सामाजिक कार्य करने की सजा दे सकती है।
नए कानून का आम आदमी पर प्रभाव
- ई-मेल या फोन के माध्यम से ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराने का प्रावधान, तीन दिन के भीतर पीड़ित को रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने होंगे। एफआईआर दर्ज कराने जरूरी साक्ष्य के साथ जानकारी देनी होगी।
- पहली बार संगठित अपराध के लिए धारा 111 जोड़ी गई
- भारतीय न्याय संहिता में पहली बार चेन स्नेचिंग के लिए अलग धारा 304 के तहत झपटमारी का अपराध दर्ज किया जाएगा। इस धारा में 7 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।
- देश के किसी भी शहर से एफआईआर दर्ज कराने की सुविधा
- भगोड़े अपराधी को लेकर सुनवाई, 90 दिन के भीतर भगोड़ा अपराधी के कोर्ट में उपस्थित नहीं होने पर भी सुनवाई, पूर्व में भगोड़े अपराधी के पकड़े जाने पर सुनवाई होती थी।
- हर थाने में एक पुलिस अफसर की नियुक्ति होगी, जिसके पास किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी से जुड़ी हर जानकारी होगी।
- फैसले के सात दिनों के भीतर कोर्ट को सजा का ऐलान करना होगा। नए कानून के मुताबिक पीड़ित को 90 दिन के भीतर जांच की प्रोग्रेस रिपोर्ट देनी होगी, पुलिस को 90 दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल करनी होगी, कोर्ट हालात को देखते हुए 90 दिन का समय बढ़ा सकती है
- पांच या इससे ज्यादा लोग जाति या समुदाय के आधार पर किसी की हत्या करते हैं तो उसे मॉब लिंचिंग माना जाएगा। हत्या में शामिल लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी
महिला के लिए खास
- गैंगरेप में 20 साल की सजा, आजीवन कारावास
- यौन संबंध के लिए झूठे वादे करना या पहचान छिपाना अब अपराध
- पीड़िता के घर पर महिला अधिकारी की मौजूदगी में दर्ज होगा बयान
बुजुर्गों को छूट
- 60 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों को पुलिस थाने आने से छूट
- अपने निवास स्थान से ही प्राप्त कर सकेंगे पुलिस सहायता
बच्चों की सुरक्षा
- बच्चों से अपराध करवाना, आपराधिक कृत्य में शामिल करना दंडनीय
- नाबालिग बच्चों की खरीद-फरोख्त जघन्य अपराधों में शामिल
- नाबालिग से गैंगरेप पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड
- पीड़ित का अभिभावक की उपस्थिति में दर्ज होगा बयान
गृहमंत्री शाह बोले- न्याय मुहैया कराने को प्राथमिकता
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि नए कानून न्याय मुहैया कराने को प्राथमिकता देंगे जबकि अंग्रेजों (देश पर ब्रिटिश शासन) के समय के कानूनों में दंडनीय कार्रवाई को प्राथमिकता दी गई थी। उन्होंने कहा, इन कानूनों को भारतीयों ने, भारतीयों के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाया गया है तथा यह औपनिवेशिक काल के न्यायिक कानूनों का खात्मा करते हैं।
सभी तरह के अपराध की धाराएं बदलीं
- हत्या – 302 की जगह 103
- चोरी – 379 की जगह 303
- ठगी – 420 की जगह 118
- रेप – 376 की जगह 64
- मॉब लिंचिंग में पहली बार भारतीय न्याय संहिता के तहत धारा 101 के तहत अपराध दर्ज होगा
क्या कहते हैं जानकार
नए कानून 1 जुलाई से लागू हो रहे हैं, उसमें धाराएं बदली हैं, ट्रायल के साथ फैसला सुनाने समयसीमा तय की गई है। प्रोसिडिंग वैसी ही रहेगी। नए कानून लागू होने के बाद तैयारी करने जैसी कोई नई बात नहीं है। -ठाकुर आनंद मोहन सिंह, सीनियर क्रिमिनल लॉयर
कानून की पुस्तक उपलब्ध कराई
नए कानून लागू होने के बाद पूर्व में विवेचना करने जो प्रक्रिया अपनाई जाती थी, वह प्रक्रिया यथावत रहेगी। धाराएं बदली गई हैं, इसके लिए विवेचकों को लगातार प्रशिक्षित करने का काम चल रहा है। साथ ही विवेचकों को नए कानून की जानकारी देने कानून की पुस्तक उपलब्ध कराई गई है। – वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, हरियाणा
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