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Haryana : गुड़ की मिठास और महक से महकने लगा प्रदेश

यमुनानगर। बिलासपुर क्षेत्र में गन्ना क्रशर(चरखी) पर खांड मिलाकर बनाया जा रहा गुड़। यमुनानगर। बिलासपुर क्षेत्र में गन्ना क्रशर(चरखी) पर खांड मिलाकर बनाया जा रहा गुड़।

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  • खांड की मिठास में बना रहे हैं गन्ने से गुड़
  • गन्ना क्रशरों में महीना भर पहले ही शुरू हो चुकी है गन्ना पेराई
  • बिलासपुर क्षेत्र में पिछले कई दिनों से गन्ना क्रेशरों में गन्ना पेराई का चल रहा है कार्य
  • गन्ना पेराई का कार्य शुरु होने से किसानों को अगेती गेहूं की बिजाई करने में मिलेगी मदद

Haryana : यमुनानगर। प्रदेश के शुगर मिलों में भले ही अभी गन्ना पेराई का कार्य शुरू होने में अभी देरी है। लेकिन जिले में अधिकांश स्थानों पर गन्ना क्रशरों(चरखियों) में गन्ने की पेराई का कार्य शुरू हो चुका है। खास बात यह है कि गन्ना क्रशरों में बनाए जा रहे गुड़ की मिठास में देसी खांड को मिलाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि गन्ना अभी कच्चा होने की वजह से गुड़ को सही रुप देने के लिए उसमें देसी खांड का प्रयोग किया जा रहा है। आंकड़ो के मुताबिक जिले में करीब 102 गुड़ की चरखियां व क्रेशर हैं। जिनमें सबसे अधिक बिलासपुर क्षेत्र में 60, सरस्वती क्षेत्र में 20, छछरौली क्षेत्र में 10 और यमुनानगर क्षेत्र में 12 गुड़ बनाने की चरखियां हैं। इन अधिकांश गुड़ की चरखियों में प्रतिदिन सैंकड़ो क्विंटल गन्ना पेराई का कार्य शुरु हो चुका है।

Haryana : यमुनानगर में तैयार किया जा रहा गुड़।
Haryana : यमुनानगर में तैयार किया जा रहा गुड़।

नहीं पकी है अभी गन्ने की फसल

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो गन्ना की फसल पकने में अभी एक महीना और लग सकता है। अमूमन गन्ने की अगेती फसल नवंबर के अंत तक पक कर तैयार होती है। इसके बाद ही गन्ने के रस से सही गुड़ बनता है। लेकिन कुछ स्थानों पर गन्ना क्रशरों (चरखियों)में गुड़ बनाया जा रहा है। जिसे अधिक दिन तक जहां स्टोर करना मुमकिन नहीं है, वहीं, इसे कई अन्य चीजें मिलाकर तैयार किया जा रहा है। जो स्वास्थ्य के लिए भी हानीकारक है। गन्ना विशेषज्ञों के मुताबिक आजकल गन्ना पेराई करने से औसतन प्रति 12 क्विंटल गन्ने पर एक क्विंटल गुड़ बनता है। जबकि गन्ने की फसल पकने के बाद इसकी औसत घट कर प्रति दस क्विंटल गन्ने पर एक क्विंटल गुड़ बनता है।  वहीं, आजकल गुड़ बनाने के लिए उसमें खांड व चीनी आदि मिलाई जा रही है।  जबकि गन्ना की फसल पकने के बाद गुड़ में कोई अन्य चीज मिलाने की जरूरत नहीं है।

क्या कहते हैं चिकित्सक

गन्ना विशेषज्ञ एवं वरिष्ठ चिकित्सक डा. अतुल निहलानी सहारनपुर का कहना है कि गुड़ बनाने के लिए आजकल खांड के अलावा अन्य केमिकल हाईड्रो, हाईड्रोक्लाली तथा कई प्रकार के रंग प्रयोग किए जा रहे हैं। जिससे न केवल इन केमिकल्स युक्त पदार्थों से प्रयोग से गुड़ सहेत के लिए नुक्सानदायक है, बल्कि यह खाने के लिए भी स्वादिष्ट नहीं है।

गन्ना क्रशरों के चलने से किसान खुश

गन्ना किसान विजय पाल, मनबीर सिंह, गोपाल, रविंद्र कुमार, सुशील, रणबीर व देवेंद्र आदि ने बताया कि बिलासपुर, साढ़ौरा समेत जिले के कई स्थानों पर गन्ना क्रशरों में पेराई का कार्य शुरु होने से अब वह अगेती गेहूं की फसल की बिजाई करने के लिए गन्ने के खेतों को जल्द खाली कर सकेंगे। क्योंकि अधिकांश खेतों में गन्ने की फसल कटने के बाद ही गेहूं की फसल की बिजाई की जाती है। वहीं, स्थानीय सरस्वती शुगर मिल के एक अधिकारी के मुताबिक शुगर मिल में अभी गन्ना पेराई का कार्य शुरु करने की कोई तिथि निर्धारित नहीं की गई है।

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