Haryana
- उदयभान बनाए जा सकते हैं बलि का बकरा, सैलजा को मिल सकती है हिदायत
- अगर भूपेन्द्र हुड्डा नेता प्रतिपक्ष बने तो साफ हो जाएगा कांग्रेस यूं ही चालेगी
- अतीत गवाह, सख्त फैसले लेने से हमेशा घबरा जाता है कांग्रेस हाईकमान
Haryana : नई दिल्ली। हरियाणा चुनाव के अखाड़े में भाजपा के हाथों चित होने के बाद कांग्रेस का हर बड़ा नेता ‘समीक्षा करेंगे-समीक्षा करेंगे’ का राग अलाप रहा है। सही बात है हार की पड़ताल होनी चाहिए। उन कारणों को तलाशना चाहिए जिनकी वजह से कांग्रेस विधानसभा चुनाव में पराजय का मुंह देखने को मजबूर हो गयी। ऐसे में एक सवाल उठता है, क्या समीक्षा के बाद कांग्रेस हाईकमान उन नेताओं पर एक्शन लेने की हिम्मत रखता है जो पार्टी को ले डूबे? हरियाणा में मोटे तौर पर भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और सांसद कुमारी सैलजा कठघरे में हैं। नई दिल्ली के गलियारों में चर्चा है कि इन तीनों नेताओं पर कोई कार्रवाई होती है तो समीक्षा रिपोर्ट के कोई मायने होंगे वरना तो इस पूरी प्रक्रिया को सिर्फ खानापूर्ति ही माना जाएगा।
कौन होगा कांग्रेस विधायक दल का नेता?
चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल बन चुकी है। जाहिर है ऐसे में नेता विपक्ष कांग्रेस का ही कोई विधायक बनेगा। इससे पहले कांग्रेस को अपने विधायक दल का नेता तय करना होगा। पिछली विधानसभा में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा विधायक दल के नेता होने के चलते नेता प्रतिपक्ष थे। क्या कांग्रेस हाईकमान हुड्डा को ही फिर से यह जिम्मेदारी सौंपेगा या फिर किसी अन्य विधायक को मौका दिया जाएगा। नई दिल्ली में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता नाम न छापने की शर्त पर इस बाबत पूछने पर कहते हैं कि यह एक गंभीर मसला है। अगर हुड्डा को ही फिर से विधायक दल का नेता बनाया गया तो फिर समीक्षा और पड़ताल का कोई अर्थ नहीं बचेगा। ऐसे में मान लिया जाएगा कि कांग्रेस हरियाणा में ‘हुड्डा कांग्रेस’ ही बनी रहना चाहती है। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी हाईकमान सही मायने में हार से सबक लेकर कुछ सार्थक करना चाहता है तो किसी सक्षम नए चेहरे को विधायक दल का नेता बनाया जाना चाहिए।
बीच का रास्ता निकाल सकता है हाईकमान
क्या भूपेन्द्र हुड्डा के खिलाफ कोई सख्त एक्शन लेने की ताकत या इच्छाशक्ति कांग्रेस हाईकमान में है यह भी देखना रोचक होगा। दिल्ली में बैठा कांग्रेस का हर नेता जानता है कि हुड्डा को नाराज करना आसान नहीं है। हुड्डा आज भी कांग्रेस के हरियाणा में सबसे बड़े चेहरे हैं। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व टकराहट की बजाय बीच का रास्ता निकाल सकता है। दिल्ली से कहा जा सकता है कि विधायक ही अपना नेता चुनेंगे और हाईकमान कोई दखल नहीं देगा। ऐसे में समर्थक विधायकों की तादाद के बल पर हुड्डा नेता बन जायेंगे। दूसरा रास्ता यह भी हो सकता है कि विधायक दल की बैठक में भूपेन्द्र हुड्डा अपने किसी समर्थक विधायक को नेता बनवा दें। इससे ‘हुड्डा कांग्रेस’ के टैग से पार्टी को काफी हद तक मुक्ति मिल सकती है।
सैलजा पर कार्रवाई या मिलेगी सख्त हिदायत
कुमारी सैलजा भी आरोपों के घेरे में हैं। चुनाव प्रचार से कई दिन तक दूर रहने की बात हो या फिर अपने बयानों से पार्टी को असहज करने का मामला हो, चुनाव में उनकी भूमिका भी पार्टी की जीत की संभावनाओं पर पानी फेरने वाली मानी जा रही है। राहुल गांधी दो नेताओं को लेकर खासे नाराज हैं एक हुड्डा और दूसरी सैलजा। बावजूद इसके पार्टी बखूबी जानती है कि सैलजा पर कोई सीधा एक्शन लेना दलित वोटबैंक को नाराज करने का सबस बन सकता है। ऐसे में हो सकता है कि उन्हें सख्त हिदायत देकर काम चला लिया जाए।
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाये जा सकते हैं उदयभान
हरियाणा में हार के लिए जिम्मेदार ठहराये जा रहे नेताओं में सबसे कमजोर कड़ी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान को माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि उदयभान ही आने वाले वक्त में बलि का बकरा बनेंगे। उदयभान के लिए परेशानी यह भी है कि वे खुद चुनाव हार गये हैं। कैप्टन अजय यादव ने मीडिया में कहा है कि प्रदेश अध्यक्ष अपने चुनाव में लगे हुए थे। हालांकि इसमें उदयभान का कोई दोष नहीं है, यह तो पार्टी हाईकमान को फैसला लेना चाहिए था कि उन्हें चुनाव लड़ना नहीं है लड़वाना है। अब उनको टिकट दी गई तो उन्हें अपनी सीट जीतने के लिए पापड़ बेलने ही थे। इतना तय है कि हार का ठीकरा उदयभान के सिर फूटेगा और देर सवेर वे अध्यक्ष पद से हटा दिये जाएंगे। सैलजा और सुरजेवाला गुट तो उदयभान को भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की रबर स्टंप ही मानता रहा है।
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