• Wed. Feb 5th, 2025

Economic Survey : निर्मला ने बताया देश की अर्थव्यवस्था का रोडमैप, आर्थिक सर्वे पेश

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण।केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण।

 

Economic Survey

  • -2025-2026 में अर्थव्यवस्था के 6.3% से 6.8% की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान -2047 तक विकसित भारत के लिए दो दशक में 8% की दर से विकास जरूरी
  • 2023-2024 में रिटेल महंगाई 5.4% थी, जो अप्रैल-दिसंबर में 4.9% हो गई

Economic Survey : नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के साथ शुक्रवार को संसद का बजट सत्र शुरू हो गया। राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में जहां केंद्र सरकार की उपलब्धियां गिनाईं वहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वे में देश की अर्थव्यवस्था की ‘सेहत’ हाल बताया। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में बताया गया है कि भारत की आर्थिक स्थिति एक बार फिर तेज गति की ओर अग्रसर है। वैश्विक अर्थव्यवस्था ने वर्ष 2024 में सभी क्षेत्रों में स्थिर, लेकिन असमान वृद्धि का प्रदर्शन किया है। कई देशों में मंदी का रुख रहा, लेकिन भारत में स्थिर वृद्धि दर देखी गई। वित्त वर्ष 2026 की बात करें तो आर्थिक सर्वेक्षण में संतुलित आर्थिक विकास की बात कही गई है। बता दें कि वित्त मंत्री सीतारमण शनिवार को आम बजट पेश करेंगी। इसमें मध्यम वर्ग, किसानों, युवाओं और महिलाओं समेत सभी वर्गों को बड़े तोहफे मिलने की उम्मीद है। इससे शुक्रवार को पेश की गई आर्थिक समीक्षा में सीतारमण ने बताया कि मजबूत बुनियाद, सूझ-बूझ वाली राजकोषीय मजबूती का खाका और निजी खपत बने रहने के साथ देश की आर्थिक वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष 2025-26 में 6.3 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर चार साल के निचले स्तर 6.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। समीक्षा में कहा गया है, ‘…मजबूत बाह्य खाते, सूझ-बूझ वाली राजकोषीय मजबूती का खाका, निजी खपत बने रहने के साथ घरेलू अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत बनी हुई है।

घरेलू बुनियाद को और मजबूत करना होगा

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने के लिए रणनीतिक और विवेकपूर्ण नीतिगत प्रबंधन के साथ घरेलू बुनियाद को और मजबूत करने की जरूरत होगी। अधिक सार्वजनिक पूंजीगत व्यय और कारोबार को लेकर उम्मीद में सुधार से निवेश गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है। समीक्षा में मुद्रास्फीति के संबंध में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 में जिंस की ऊंची कीमतों को लेकर जोखिम सीमित जान पड़ता है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर दबाव अब भी एक मुद्दा है। सब्जियों की कीमतों में मौसमी आधार पर कमी और खरीफ फसल की आवक के साथ वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी आने की संभावना है।

सर्वे की मुख्य बातें

-अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2025-26 में 6.3-6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 में इसके 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान।

-भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत है, इसे संतुलित राजकोषीय सशक्तीकरण और स्थिर उपभोग का समर्थन प्राप्त है।

-वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीतिक, विवेकपूर्ण नीति प्रबंधन और घरेलू बुनियादी सिद्धांतों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता होगी।

-वैश्विक राजनीतिक, आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण मुद्रास्फीति का जोखिम बना हुआ है।

-उच्च सार्वजनिक पूंजीगत व्यय और बेहतर होती कारोबारी अपेक्षाओं से निवेश गतिविधि में तेजी आने की उम्मीद।

-भारत को जमीनी स्तर पर संरचनात्मक सुधारों के माध्यम से अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने की जरूरत है।

-विदेशी मुद्रा भंडार 640.3 अरब डॉलर पर, जो 10.9 महीने के आयात और 90 प्रतिशत बाह्य ऋण को कवर करने के लिए पर्याप्त है।

-कारोबारी सुगमता (ईओडीबी) 2.0 राज्य सरकार की अगुवाई वाली पहल होनी चाहिए, जो व्यवसाय करने में असुविधा की मूल समस्या को दूर करने पर केंद्रित हो।

-भारत को निर्यात बढ़ाने और निवेश आकर्षित करने के लिए अपने प्रयासों को दोगुना करना चाहिए। ऐसा करने का एक तरीका यह है कि हम अपना पैमाना अपने अतीत के बजाय बाकी दुनिया के हिसाब से बनाएं।

-भारत को उच्च वृद्धि के लिए अगले दो दशक में बुनियादी ढांचे में निवेश को निरंतर बढ़ाने की जरूरत है।

-गुजरात, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे कुछ ही राज्य अपने लोगों के लिए उचित स्तर की आय उत्पन्न करने के लिए औद्योगिक क्षेत्र पर अपनी उच्च निर्भरता का लाभ उठाने में सक्षम हैं।

-सेवा-उन्मुख भारतीय अर्थव्यवस्था स्वचालन के प्रति संवेदनशील है, भारत के आकार और अपेक्षाकृत कम प्रति व्यक्ति आय को देखते हुए कृत्रिम मेधा (एआई) का प्रभाव अधिक है।

-कॉरपोरेट क्षेत्र को उच्च स्तर की सामाजिक जिम्मेदारी दिखानी होगी।

-जलवायु-प्रतिरोधी फसल किस्मों को विकसित करने, उपज बढ़ाने और फसल क्षति को कम करने के लिए दलहन, तिलहन, टमाटर, प्याज उत्पादन बढ़ाने के लिए शोध की जरूरत है।

-भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए लगभग एक या दो दशक तक औसतन आठ प्रतिशत की दर से वृद्धि करनी होगी।

-अपेक्षित वृद्धि हासिल करने के लिए निवेश को 31 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत करने की जरूरत है।

-सुधारों और आर्थिक नीति का ध्यान अब व्यवस्थित विनियमन पर होना चाहिए।

-विनिर्माण क्षेत्र को और विकसित करने तथा एआई, रोबोटिक्स और जैव प्रौद्योगिकी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में निवेश करने की जरूरत है।

https://vartahr.com/economic-survey-…-economic-survey/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *