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AhoiAshtami : गुरुपुष्य योग में अहोई अष्टमी का व्रत, मिलेगा कई गुणा फल

अहोई अष्टमीअहोई अष्टमी

AhoiAshtami

  • अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर, बृहस्पतिवार के दिन रखा जाएगा
  • अहोई अष्टमी का व्रत उत्तर भारत में अधिक लोकप्रिय
  • आकाश में तारों को देख कर व्रत का पारण किया जाता

AhoiAshtami : कुरुक्षेत्र। हिंदू धर्म में हर त्योहार और पर्व का अपना अलग महत्व है। कार्तिक माह में पड़ने वाला यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण है। इस व्रत को माता अपने बच्चों की कुशलता के लिए रखती हैं। अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। अबकी बार कई वर्षो के बाद यह व्रत गुरु पुष्य योग में आ रहा है जिससे इसका महत्व कई गुना बढ़ गया है। व्रत रखने से मां लक्ष्मी के साथ विष्णु भगवान का आशीर्वाद भी बच्चों को मिलेगा। वीरवार को पुष्य नक्षत्र होने के कारण गुरु पुष्य नामक महान योग बन रहा है। अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर, बृहस्पतिवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन आकाश में तारों को देख कर व्रत का पारण किया जाता है। गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक पंडित रामराज कौशिक ने बताया कि अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के व्रत के 4 दिन के बाद आता है. इस व्रत को अहोई आठें के नाम से भी जाना जाता है। अहोई अष्टमी का व्रत उत्तर भारत में अधिक लोकप्रिय हैं। इस दिन माताएं अपने बच्चों के लिए व्रत करती हैं। वहीं अगर निसंतान महिलाएं अगर इस दिन व्रत करती हैं तो माना जाता है उन्हें संतान की प्राप्ति होती हैं।

अहोई अष्टमी तिथि

-अहोई अष्टमी तिथि की शुरूआत 23 अक्टूबर, बुधवार को रात 1.18 मिनट पर होगी
-अहोई अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर, बृहस्पतिवार को रात 1.58 मिनट पर समाप्त होगी।
-इस तिथि के अनुसार अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर, बृहस्पतिवार के दिन रखा जाएगा।

-दिवाली से 8 दिन पहले पड़ने वाले इस व्रत को कार्तिक माह की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन अहोई माता की पूजा-अर्चना की जाती है।

पूजा का मुहूर्त
-शाम 5.42- 6.59 मिनट तक
-कुछ अवधि-1 घंटा 17 मिनट रहेगी
-तारों को देखने का समय 6.06 मिनट रहेगा
-अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय का समय रात 11.55 मिनट पर रहेगा।

अहोई अष्टमी पूजा-विधि
इस दिन माताएं और महिलाएं सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें। शाम को पूजा सही मुहूर्त देख करें फिर दीवार पर देवी अहोई की छवि निर्मित करें या क्लेडर लगाएं और पूजा में 8 पूड़ी, 8 पुआ तथा हलवा जरुर रखें।पूजा के दौरान व्रत की कथा जरुर सुनें, या पढ़ें और आकाश में तारों को देख कर व्रत का पारण करें।

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