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Canada : जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा पहुंचे पीएम मोदी

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  • एक्स पोस्ट में बोले पीएम, वैश्विक नेताओं से होगी मुलाकात
  • वैश्विक मुद्दों पर चर्चा व वैश्विक दक्षिण की प्राथमिकता पर जोर

Canada : नई दिल्ली। इजराइल-ईरान के मध्य बढ़ते तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा पहुंचे। बीते एक दशक में यह उनकी पहली कनाडा की यात्रा है। पीएम ने एक्स पोस्ट के जरिए यह जानकारी दी। जिसमें उन्होंने बताया कि कनानसकीस में आयोजित किए जा रहे जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा (कैलगरी) पहुंचा हूं। सम्मेलन में विभिन्न नेताओं से मुलाकात करूंगा और महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मुद्दों (ऊर्जा सुरक्षा, तकनीक और नवाचार जैसे मुद्दे भी शामिल हैं) पर अपने विचार साझा करूंगा। साथ ही वैश्विक दक्षिण की प्राथमिकताओं पर भी जोर दूंगा। प्रधानमंत्री को इस महत्वपूर्ण वैश्विक आयोजन में भाग लेने के लिए कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने आमंत्रित किया है। जी-7 समूह में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, इटली, कनाडा और जर्मनी जैसे दुनिया के 7 विकसित देश और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं। मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जी-7 शिखर सम्मेलन को बीच में ही छोड़कर अचानक अमेरिका वापस लौट गए हैं। बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते 15 जून से तीन देशों की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं। इसका पहला पड़ाव साइप्रस था। दूसरा पड़ाव कनाडा और तीसरी व अंतिम पड़ाव क्रोएशिया होगा। साइप्रस की यात्रा पूरी करने के बाद ही पीएम कनाडा पहुंचे हैं। सम्मेलन में इजरायल-ईरान, इजरायल-हमास और यूक्रेन-रूस युद्ध जैसी वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों के मुद्दे पर बातचीत की जाएगी।

जी-7 सम्मेलन से इतर होंगी द्विपक्षीय बैठकें

कनाडा में प्रधानमंत्री का प्रवास 16 से 17 जून तक रहेगा। जी-7 शिखर सम्मेलन में उनकी यह लगातार छठी भागीदारी है। वह समूह की बैठक में कई अहम चर्चाओं में शामिल होंगे। जिसमें ऊर्जा सुरक्षा का भविष्य, विविधता, तकनीक, इंफ्रास्ट्रक्चर, निवेश और बदलती हुई दुनिया में पहुंच और किफायत को बरकरार रखने जैसे विषय शामिल होंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पोस्ट में बताया कि प्रधानमंत्री की जी-7 से इतर कुछ द्विपक्षीय बैठकें भी होंगी। कनाडा के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री मार्क कार्नी, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्डोमीर जेलेंस्की के साथ भी उनकी बैठकें हो सकती हैं।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली विदेश यात्रा

गौरतलब है कि इसी साल 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में 7 मई 2025 को भारत द्वारा पाकिस्तान और उसके आतंकवादी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने के लिए की गई ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई के बाद यह पीएम की पहली विदेश यात्रा है। उधर, कनाडा में खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से भारत और कनाडा संबंध गर्त में जा पहुंचे हैं। तत्कालीन कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस मामले में भारत के शीर्ष नेतृत्व की संलिप्तता का आरोप लगाया था। हालांकि बाद में वह अपने बयान के संबंध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सके। बीते वर्ष अक्टूबर महीने में भारत ने कनाडा से अपने उच्चायुक्त और पांच अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया था। कनाडा इनका निज्जर की हत्या से संबंध बता रहा था। लेकिन अब कनाडा में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद दोनों देशों के संबंध आपसी विश्वास और संवेदनशीलता के साथ सामान्य होने की उम्मीद नजर आ रही है। इसी साल मार्च महीने में कार्नी ने प्रधानमंत्री के रूप में अपना कार्यभार संभाला है। पिछले कुछ महीनों से दोनों देशों के सुरक्षा अधिकारी पुन: संपर्क बहाली के जरिए नए उच्चायुक्त की नियुक्ति की संभावनाएं तलाश रहे हैं। पीएम की 2015 में की गई कनाडा की यात्रा से दोनों देशों के संबंध सामरिक भागीदारी के स्तर तक पहुंचे थे।

जी-7 की 50वीं वर्षगांठ

कनाडा ने जी-7 की अध्यक्षता इस साल 1 जनवरी को संभाली थी। जो कि समूह की 50वीं वर्षगांठ को भी प्रदर्शित करता है। भारत को बीते कुछ वर्षों से लगातार जी-7 के आउटरीच सम्मेलनों में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाता रहा है। वर्ष 2003 से 2024 तक भारत ने समूह के कुल 11 आउटरीच सम्मेलनों में भाग लिया है।

कनाडा में बड़ी तादाद में रहते भारतीय

कनाडा एक ऐसा देश है, जहां भारतीय बड़ी तादाद में रहते हैं। उनकी संख्या कनाडा की कुल आबादी का 4.5 फीसदी है। आंकड़ों में 1.8 मिलियन कनाडाई भारतीय मूल के लोग हैं। जिसमें सिखों की संख्या लगभग 7 लाख 70 हजार और 1 मिलियन एनआरआई होंगे। छात्र, कुशल कामगार, अस्थायी कामगार भी इसमें शामिल हैं। वर्ष 2022 के आंकड़ों के हिसाब से कनाडा में 41 प्रतिशत भारतीय छात्र हैं।

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