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BUDGET 2025-2026 : लोगों की ओर से, लोगों के लिए है यह बजट : निर्मला

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण।

BUDGET 2025-2026

  • बजट में हमने मध्यम वर्ग की आवाज सुनी
  • नई दरें मध्यम वर्ग के करों में काफी कमी लाएंगी
  • लोगों के हाथों में अधिक पैसा बचेगा
  • घरेलू खपत, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलेगा

BUDGET 2025-2026 : नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अब्राहम लिंकन का उदाहरण देते हुए केंद्रीय बजट 2025-26 को ‘लोगों के द्वारा, लोगों के लिए, लोगों का’ बजट बताते हुए रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मध्यम वर्ग के लिए करों में कटौती के पक्ष में थे, लेकिन नौकरशाहों को इसके लिए राजी करने में वक्त लगा। सीतारमण ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘हमने मध्यम वर्ग की आवाज सुनी है जो ईमानदार करदाता होने के बावजूद अपनी आकांक्षाओं को पूरा नहीं किए जाने की शिकायत कर रहे थे।’ सीतारमण ने कहा कि कर राहत के प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री जल्द सहमत हो गए, लेकिन वित्त मंत्रालय और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अधिकारियों को इसके लिए मनाने में थोड़ा समय लगा। इन अधिकारियों को कल्याण और अन्य योजनाओं को पूरा करने के लिए राजस्व संग्रह सुनिश्चित करना होता है।

अब 12 लाख तब आय पर कोई टैक्स नहीं

सीतारमण ने शनिवार को अपना आठवां बजट पेश करते हुए व्यक्तिगत आयकर सीमा में वृद्धि की घोषणा की। अब करदाताओं को नई कर व्यवस्था के तहत 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं देना होगा, जबकि पहले यह सीमा सात लाख रुपये थी। छूट सीमा में पांच लाख रुपये की बढ़ोतरी अबतक की सबसे बड़ी वृद्धि है और यह 2005 और 2023 के बीच दी गई सभी कर राहतों के बराबर है।

लोगों के हाथ में पैसा आएगा

सीतारमण ने कहा कि नई दरें मध्यम वर्ग के करों में काफी कमी लाएंगी और उनके हाथों में अधिक पैसा बचेगा जिससे घरेलू खपत, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने इस बड़ी घोषणा के पीछे की सोच को समझाते हुए कहा कि कर कटौती पर कुछ समय से काम चल रहा था। प्रत्यक्ष कर को सरल और अनुपालन में आसान बनाने की दिशा में काम जुलाई, 2024 के बजट में शुरू हो गया था। अब एक नया कानून तैयार है, जो कानून की भाषा को आसान बनाएगा, अनुपालन बोझ कम करेगा और उपयोगकर्ता के अधिक अनुकूल होगा।

प्रधानमंत्री बहुत स्पष्ट थे

यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री मोदी को संबंधित प्रस्ताव के लिए मनाने में कितना प्रयास करना पड़ा, सीतारमण ने कहा, ‘नहीं, मुझे लगता है कि आपका सवाल यह होना चाहिए कि मुझे मंत्रालय और सीबीडीटी को मनाने में कितना समय लगा।’ ‘प्रधानमंत्री बहुत स्पष्ट थे कि वह कुछ करना चाहते हैं। यह मंत्रालय पर निर्भर करता है कि वह सहज महसूस करे और फिर प्रस्ताव के साथ आगे बढ़े। मंत्रालय और सीबीडीटी को समझाने की जरूरत थी क्योंकि उन्हें राजस्व सृजन के बारे में सुनिश्चित होना था।’

मैं सरकार का हिस्सा बनकर बेहद खुश

वित्त मंत्री ने कहा, ‘वे (अधिकारी) समय-समय पर मुझे यह याद दिलाने में गलत नहीं थे कि इसका क्या मतलब होगा? लेकिन आखिरकार, सभी इस पर राजी हो गए।’ प्रधानमंत्री विभिन्न क्षेत्रों के लोगों और उद्योग जगत के नेताओं से मिलते हैं और उनकी आवाज़ सुनते हैं और उनकी जरूरतों पर प्रतिक्रिया देते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं इस सरकार का हिस्सा बनकर बहुत खुश हूं, जो सचमुच आवाज़ सुनती है और प्रतिक्रिया देती है।’

विकास को लेकर सरकार प्रतिबद्ध

सीतारमण ने देश की बेदाग वित्तीय साख और मजबूत आर्थिक नीतियों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने कभी भी अपने राजकोषीय समेकन या ऋण कटौती लक्ष्यों से पीछे नहीं हटने दिया। उन्होंने यह बयान तब दिया जब मूडीज जैसी रेटिंग एजेंसियों ने भारत की साख में बढ़ोतरी नहीं की। भारत सरकार वित्तीय अनुशासन और विकास के संतुलन को बनाए रखने की नीति पर कार्यरत है। ऋण-से-जीडीपी अनुपात को नियंत्रित करने, पूंजीगत व्यय को प्राथमिकता देने और राजकोषीय घाटे को चरणबद्ध तरीके से कम करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है।

खर्च की गुणवत्ता पर भी गौर करें

सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष में 10.18 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय के संशोधित अनुमान की तुलना में आगामी वित्त वर्ष के लिए 11.21 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किए जाने का बचाव करते हुए कहा कि खर्च की गुणवत्ता को भी देखा जाना चाहिए। ‘हम 2020 से हर साल पूंजीगत व्यय में 16 प्रतिशत, 17 प्रतिशत की वृद्धि के आदी हो गए हैं। अब कह रहे हैं कि आपने इस बजट में उतना नहीं बढ़ाया है तो मैं आपसे यह भी पूछना चाहूंगी कि कृपया खर्च की गुणवत्ता पर भी गौर करें।’ इसके साथ ही वित्त मंत्री ने कहा कि 2024 के एक चुनावी साल होने से पूंजीगत व्यय की रफ्तार धीमी हो गई थी। अगर ऐसा न हुआ रहता तो संशोधित अनुमान भी बजट अनुमान के करीब रहता।

https://vartahr.com/budget-2025-2026…e-people-nirmala/

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