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Rain IN July : जुलाई में झमाझम बरसेंगे बदरा,  पश्चिमी हिमालय क्षेत्रों और मध्य भारत में बाढ़ की आशंका गहराई

Rain IN July

  • मौसम विभाग को दावा जून माह की कमी पूरी होगी, सामान्य से अधिक बारिश होगी
  • पहाड़ी राज्यों में भारी बारिश मचा सकती है तबाही, अभी से सावधान रहने की जरूरत

Rain IN July : मौसम विभाग ने एक जुलाई को दावा किया कि जुलाई महीने में पूरे देश में झमाझम बारिश होगी। भारी वर्षा के कारण पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों और देश के मध्य भाग में नदी घाटियों में बाढ़ आने की आशंका है। आईएमडी ने पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम वर्षा का पूर्वानुमान जताया है। आईएमडी का कहना है कि जुलाई में सामान्य से अधिक बारिश होगी। यह जून की कमी को पूरा करेगी। इस बारिश अच्छी होने से फसलें भी बढ़िया होंगी। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि पूरे देश में जुलाई की औसत बारिश सामान्य से अधिक होने की संभावना है जो लंबी अवधि के औसत (एलपीए) 28.04 सेमी से 106 प्रतिशत अधिक रह सकती है।

Rain IN July : मौसम विभाग ने एक जुलाई को दावा किया कि जुलाई महीने में पूरे देश में झमाझम बारिश होगी।

Rain IN July : मौसम विभाग ने एक जुलाई को दावा किया कि जुलाई महीने में पूरे देश में झमाझम बारिश होगी।पूर्वोत्तर में कम बारिश का अनुमान

पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों और उत्तर-पश्चिम, पूर्व और दक्षिण-पूर्वी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान निश्चित रूप से कुछ क्षेत्रों में बहुत भारी वर्षा की संभावना को दर्शाता है। ‘विशेष रूप से, यदि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों तथा पश्चिमी हिमालय की तराई को देखें तो हम सामान्य से अधिक वर्षा की उम्मीद कर रहे हैं।

बादल फटने से मच सकती है तबाही

महापात्र ने कहा, हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों व पश्चिमी हिमालय की तराई को देखें तो यह वह क्षेत्र है जहां बादल फटने, भारी वर्षा के कारण भूस्खलन, बाढ़ के रूप में विनाशकारी प्रभाव हो सकते हैं। कई नदियां भी यहीं से निकलती हैं। मध्य भारत में भी गोदावरी, महानदी और अन्य नदी घाटियों में सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान है। इसलिए वहां बाढ़ की आशंका अधिक है।

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इन देशों के लिए भी चेतावनी

नेपाल स्थित अंतर-सरकारी संगठन अंतरराष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र (आईसीआईएमओडी) के विशेषज्ञों ने भी बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और पाकिस्तान सहित हिंदुकुश हिमालयी क्षेत्र के देशों के लिए मानसून के दौरान मौसम की चरम घटनाओं की चेतावनी दी है। आईसीआईएमओडी में जलवायु सेवा के लिए कार्यक्रम समन्वयक मंदिरा श्रेष्ठ ने कहा, ‘पिछले वर्ष हिंदुकुश हिमालयी देशों के कई इलाकों में औसत से कम वर्षा हुई थी, इस तथ्य के बावजूद हिंदुकुश हिमालय के क्षेत्रों में समुदाय कई बार विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित हुए।

जून में 11 फीसदी कम बारिश  

भारत में जून में सामान्य से 11 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई। जून में सामान्य से कम वर्षा के लिए मौसम प्रणालियों की कमी के कारण देश के उत्तरी और पूर्वी भागों में मानसून की धीमी प्रगति जिम्मेदार है। पश्चिमी तट को छोड़कर उत्तर-पश्चिम भारत और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रहने की संभावना है।

1901 के बाद से जून सबसे गर्म रहा

आईएमडी ने बताया कि उत्तर-पश्चिम भारत में जून का महीना 1901 के बाद से अब तक का सबसे गर्म महीना रहा, जिसमें औसत तापमान 31.73 डिग्री सेल्सियस रहा। आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र में मासिक औसत अधिकतम तापमान 38.02 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 1.96 डिग्री सेल्सियस अधिक है। औसत न्यूनतम तापमान 25.44 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 1.35 डिग्री सेल्सियस अधिक है। उत्तर-पश्चिम भारत में जून में औसत तापमान 31.73 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 1.65 डिग्री सेल्सियस अधिक और 1901 के बाद सबसे अधिक है।

पूर्वानुमान चिंताजनक

महापात्र ने कहा कि इस संदर्भ में, इस वर्ष का मानसून पूर्वानुमान चिंताजनक है। यह समग्र तापमान वृद्धि की प्रवृत्ति के भी विपरीत है, जिसके बारे में हम जानते हैं कि यह बर्फ और हिमनदों के अधिक पिघलने के नुकसान से जुड़ा है। बर्फ का पिघलना अक्सर विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन का एक प्रमुख कारक होता है, जिसे हम इस समय अपने क्षेत्र में देख रहे हैं। वर्ष 2023 में जुलाई और अगस्त में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तथा अक्टूबर में पूर्वी हिमालय में तीस्ता नदी में विनाशकारी बाढ़ आई थी।

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