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Rohtak : साध्वी मानेश्वरी को तिलक लगाकर लिया आशीर्वाद

रोहतक। माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में रविवार को परमश्रद्धेया साध्वी मानेश्वरी देवी जी को तिलक लगाकर आशीर्वाद लेते भक्तजन।रोहतक। माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में रविवार को परमश्रद्धेया साध्वी मानेश्वरी देवी जी को तिलक लगाकर आशीर्वाद लेते भक्तजन।

Rohtak

  • -रोहतक के मोचन मंदिर में भैया दूज पर कार्यक्रम
  • -भाई बहन के श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक भैय्या दूज

Rohtak : रोहतक। माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में ब्रह्मलीन गुरुमां गायत्री जी के सानिध्य में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला पर्व और भाई बहन के श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक भैय्या दूज रविवार को भ भक्ति भाव से मनाया। भैय्या दूज पर्व पर श्रद्धालुओं ने साध्वी मानेश्वरी देवी को तिलक लगाया और सुख-समृद्धि व शांति की प्रार्थना की और भक्तों ने आर्शीवाद प्राप्त किया। साध्वी मानेश्वरी देवी ने भक्तों की सुख समृद्धि, आपसी प्रेम, दीर्घायु और हर कष्टों से मुक्ति मिलने की कामना की। साध्वी मानेश्वरी देवी ने बताया कि भाई दूज का पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। इसके बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार और आशीर्वाद देते हैं। कार्यक्रम में पंडित अशोक शर्मा ने प्रसाद वितरित किया यह जानकारी सचिव गुलशन भाटिया ने दी।

इस दिन यमुना मैय्या के घर आए थे यमराज

परमश्रद्धेया साध्वी मानेश्वरी देवी जी ने भक्तों को भैय्या दूज का महत्व बताते हुए कहा कि शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यमुना मईया के घर यजराज आए थे। यमुना मईया और यमराज भाई-बहन थे। यमुना मईया ने यमराज को माथे पर तिलक लगा कर आदर से खाना खिलाया और श्रद्धा से पूजा-अर्चना की तथा यमराज ने उनकी रक्षा करने की प्रतिज्ञा ली। इसलिए इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। मानेश्वरी देवी ने कहा कि इस दिन हर बहन अपने भाई की दीर्घायु की कामना करती है। मेरी प्रभु से यहीं इच्छा है कि उन बहनों की मांगी गई मनोकामनाएं पूर्ण करें और भाईयों के घर में धन, ज्ञान, बल, सद्बुद्धि, कीर्ति बढ़ाए रखे और जीवन में हर सुख प्रदान करें।

यम द्वितीया का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना जी से मिलने आए थे और तभी से यह पर्व भाई दूज के रूप में मनाया जाने लगा। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में तिलक करने से भाइयों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उनकी दीघार्यु होती है।

https://vartahr.com/rohtak-sadhvi-ma…sings-with-tilak/

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