Single
- केंद्र सरकार ने बदला नियम, कई लाेगों को मिलेगी राहत
- फॉस्टर पेरेंट्स केस में सिंगल पैरेंट्स की उम्र 35 साल जरूरी
Single : नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक अभिभावक यानी सिंगल पैरेंट्स के लिए नियमों में बदलाव कर कई लोगों को बड़ी राहत दी है। अब देश में सिंगल पैरेंट्स भी बच्चा गोद ले सकेंगे। महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) मंत्रालय ने एक नए नियम के तहत अब अविवाहित, विधवा, तलाकशुदा या कानूनी रूप से अलग रह रहे 35 से 60 साल की उम्र के अकेले लोगों को भी बच्चे को गोद लेने की अनुमति दे दी है। इससे पहले, 2016 के मॉडल फॉस्टर केयर गाइडलाइंस के तहत केवल विवाहित जोड़ों को ही बच्चे को गोद लेने की अनुमति थी।
नियमों में यह खास
एक अकेली महिला किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकती है, लेकिन एक पुरुष केवल पुरुष बच्चे को ही गोद ले सकता है। नए नियमों के तहत, अब किसी भी व्यक्ति को, चाहे वह शादीशुदा हो या नहीं, विधवा हो, तलाकशुदा हो या कानूनी रूप से अलग रह रहा हो, बच्चे को गोद लेने की अनुमति है। इसके अलावा, फॉस्टर पेरेंट अब दो साल के बजाए पांच साल तक बच्चे की देखभाल करने के बाद उसे गोद ले सकते हैं। फॉस्टरिंग एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें एक बच्चा अस्थायी रूप से या तो विस्तारित परिवार या असंबंधित व्यक्तियों के साथ रहता है।
दो साल तक स्थिर वैवाहिक जीवन
अगर कोई विवाहित जोड़ा बच्चे को गोद लेना चाहता है, तो नए नियमों के अनुसार, उन्हें कम से कम दो साल तक एक स्थिर वैवाहिक जीवन बिताना चाहिए। पहले, दंपतियों के लिए ऐसा कोई नियम नहीं था। 2016 के दिशा-निर्देशों को 2021 में किशोर न्याय (देखभाल और बच्चों की सुरक्षा) अधिनियम में संशोधन और 2022 के किशोर न्याय (देखभाल और बच्चों की सुरक्षा) मॉडल नियमों के अनुसार संशोधित किया गया है। संशोधित दिशा-निर्देश जून में सभी राज्यों में जारी किए गए थे।
फॉस्टर पेरेंट्स के लिए यह
फॉस्टर पेरेंट्स की उम्र के मामले में 2016 के दिशा-निर्देशों में कहा गया था कि दोनों पति-पत्नी की उम्र 35 साल से अधिक होनी चाहिए। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2024 तक गोवा, हरियाणा और लक्षद्वीप को छोड़कर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 1,653 बच्चे पालक देखभाल में थे।
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