Sharadiya Navratri
- नर वाहन पर बैठकर देवलोक वापस जाएंगी।
- दस दिन तक होेंगे नवरात्र, विशेष योग लेकर आ रहे हैं नवरात्र
- अस्थि योग का संयोग बन रहा, श्रद्धालुओं के लिए अहम
- घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6.09 से 8.06 का
Sharadiya Navratri : सोनीपत। शारदीय नवरात्र इस बार भक्तों के लिए विशेष संयोग लेकर आ रहे हैं। मां जगदम्बा के भक्त नौ नहीं बल्कि पूरे दस दिनों तक आराधना का पुण्य प्राप्त करेंगे। इस माता रानी गज यानी हाथी पर सवार होकर आएंगी और अपने नर यानी सिंह वाहन पर बैठकर देवलोक वापस जाएंगी। 22 सितंबर यानि सोमवार से शुरू हो रहे नवरात्र 1 अक्टूबर तक चलेंगे। पं. डॉ. मनमोहन मिश्रा ने कहा इस वर्ष तृतीया तिथि 24 और 25 सितंबर दोनों दिन पड़ने के कारण नवरात्र दस दिन के होंगे। बढ़ती तिथि को शुभ और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, जिससे इस बार के नवरात्र विशेष फलदायी माने जा रहे हैं। इस बार नवरात्र का दस दिवसीय होना, हाथी पर सवार होकर माता का आगमन और विशेष योग बनना भक्तों के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और नई ऊर्जा का संचार करेगा। इस बार के शारदीय नवरात्र पूरे प्रदेश में आस्था और उल्लास का केंद्र बनने वाले हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार हर वर्ष माता दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं। इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर भक्तों के घर पधारेंगी। हाथी की सवारी को अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना जाता है। मान्यता है कि हाथी की सवारी से प्रचुर वर्षा होती है। जिससे भरपूर फसल और किसानों की समृद्धि सुनिश्चित होती है। इस बार नवरात्रि पर उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र के साथ अस्थि योग का संयोग भी बन रहा है, जो विशेष फलदायी है।
ये मुहूर्त, पूजन सामग्री में करें ये शामिल
डॉ. मिश्रा ने बताया कि घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 22 सितंबर को सुबह 6.09 से 8.06 बजे तक रहेगा, जबकि अभिजित मुहूर्त 11.49 से 12.38 बजे तक रहेगा। उन्होंने बताया कि पूजन सामग्री में कलश, जौ, गंगाजल, नारियल, आम के पत्ते, कलावा, सुपारी, सिंदूर, अक्षत, दीपक, पुष्प, फल, मिठाई और लाल चुनरी आवश्यक हैं। पूजन विधि के अनुसार मिट्टी के बर्तन में जौ बोकर कलश की स्थापना की जाती है, जिस पर आम्रपल्लव और नारियल रखकर माता का आह्वान किया जाता है।
नवरात्र के प्रत्येक दिन माता के रूप की पूजा व भोग
पहला दिन (मां शैलपुत्री) – इस दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है। उन्हें गाय के घी का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इससे रोग और कष्ट दूर होते हैं।
दूसरा दिन (मां ब्रह्मचारिणी) – मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री का भोग लगाया जाता है। इससे परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
तीसरा दिन (मां चंद्रघंटा) – इस दिन मां चंद्रघंटा को खीर का भोग लगाने से मानसिक शांति मिलती है और सभी दुख दूर होते हैं।
चौथा दिन (मां कूष्मांडा) – मां कूष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाना चाहिए। इससे देवी खुश होती हैं और जीवन के सभी दुखों का नाश करती हैं।
पांचवां दिन (मां स्कंदमाता) – मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाया जाता है। इससे सेहत अच्छी रहती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
छठा दिन (मां कात्यायनी) – मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाना चाहिए। इससे साधक की आकर्षण शक्ति बढ़ती है और रिश्ते मधुर होते हैं।
सातवां दिन (मां कालरात्रि) – इस दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है। उन्हें गुड़ या गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाएं। इससे नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और भय से मुक्ति मिलती है।
आठवां दिन (मां महागौरी) – मां महागौरी को नारियल का भोग लगाना बहुत शुभ होता है। इससे संतान से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।
नौवां दिन (मां सिद्धिदात्री) – शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री को तिल का भोग लगाएं। इससे अचानक आने वाली विपत्तियों से सुरक्षा मिलती है।