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PGIMS : यूडीएफ संगठन ने हरियाणा के मुख्यमंत्री से की कार्रवाई की मांग

यूडीएफ हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष डॉ अमित व्यास

PGIMS

  • यूडीएफ हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष डॉ अमित व्यास की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री से किया अनुरोध
  • पीजीआईडीएस रोहतक का बताया जा रहा है उत्पीड़न का मामला
  • आरोपी डॉ सोलंकी ख़ुद का बताते हैं राजनीतिक और पुलिस से कनेक्शन

PGIMS : रोहतक। ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी (OMFS) विभाग के पीजी-3 डॉक्टर डॉ. जिष्णु मोहन को डॉ. रविन्द्र सोलंकी(प्रोफेसर OMFS विभाग, पीजीआईडीएस, रोहतक) द्वारा लगातार उत्पीड़न,अपमानजनक भाषा और कुर्सी से शारीरिक हमले का सामना करना पड़ा। डॉ. सोलंकी द्वारा उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से लंबे समय तक प्रताड़ित किया गया। डॉ सोलंकी ख़ुद को राजनीतिक और पुलिस से संबंध भी बताते हैं और इसी आड़ में वो सबसे दुर्व्यवहार और धमकी भरे शब्द बोलते है और इस बार तो पीजी छात्र के साथ कुर्सी से हमला कर दिया। यह कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि डॉ. सोलंकी की बार-बार की गई दुर्व्यवहार की एक स्पष्ट प्रवृत्ति को दर्शाती है। इन घटनाओं की पुनरावृत्ति को देखते हुए, तत्काल और कठोर कार्यवाही आवश्यक है ताकि आगे और किसी डॉक्टर को नुकसान न हो और संस्थान में अनुशासन बना रहे। इस संदर्भ में,डॉ अमित व्यास (यूडीएफ प्रदेशाध्यक्ष) ने हरियाणा सरकार और यूनिवर्सिटी प्रशासन से तत्काल कार्यवाही की मांग की।

यह मांगें रखी

1. डॉ. रविन्द्र सोलंकी द्वारा पीड़ित डॉक्टर से उनके अस्वीकार्य व्यवहार के लिए सार्वजनिक रूप से लिखित माफी और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई।
2. पीजी डॉक्टर की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के लिए पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए।
3. आंतरिक शिकायत समिति का पुनर्गठन किया जाए, जिसमें निष्पक्ष सदस्य शामिल हों।
4. आगामी अंतिम वर्ष के एमडीएस परीक्षा में उन्हें परीक्षक के रूप में नियुक्त न किया जाए और भविष्य में उन्हें पीजी गाइड के रूप में नियुक्त न किया जाए।

पीड़ित डॉक्टर को न्याय मिले

हम आपसे इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हैं ताकि पीड़ित डॉक्टर को न्याय मिले और पीजीआईडीएस के सभी स्नातकोत्तर डॉक्टरों की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। हम इस मुद्दे पर आपकी त्वरित और दृढ़ कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं। डॉ व्यास ने बताया कि यह व्यवहार न केवल अनैतिक है,बल्कि संस्थान की गरिमा के विरुद्ध भी है ।अतः इस गंभीर मामले में त्वरित कार्यवाही की जाए और “आदतन उपद्रवी” पर नियमानुसार कठोर कार्यवाही हो ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटना ना घटित हो ।

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