health
- -युवाओं में नशा की लत छुड़वाने के सरकार कृतसंकल्प
- -स्वास्थ्य मंत्री खुद भी नशा मुक्ति केंद्रों को मॉनिटरिंग करेंगी
- -अभी 130 नशा मुक्ति केंद्र प्रदेश में संचालित
health : चंडीगढ़। स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव ने बताया कि युवाओं को नशा की लत छुड़वाने के लिए प्रदेश में 46 नए नशा मुक्ति केंद्र खोले जाएंगे। उन्होंने कहा कि वे खुद भी नशा मुक्ति केंद्रों को मॉनिटरिंग करेंगी ताकि आवश्यकता के अनुसार अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा सकें। स्वास्थ्य मंत्री हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सदन के एक सदस्य द्वारा पूछे गए प्रश्न का जवाब दे रही थी। आरती सिंह राव ने प्रदेश में फ़ैल रहे नशे की बुराई पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार अपने स्तर पर नशा मुक्ति के लिए अभियान चला रही है, सदन के सभी सदस्यों को भी इसमें भागीदारी करके राज्य को नशा मुक्त करने में अपना योगदान देना चाहिए। उन्होंने बताया कि पिछले पांच वर्षों में राज्य के 14621 युवाओं को नशे की लत से मुक्त करवाया गया है और यह प्रयास लगातार जारी है। वर्तमान में राज्य में निजी, सरकारी और अर्ध-सरकारी केंद्रों को मिलाकर 130 नशा मुक्ति केंद्र संचालित हैं। इन नशा मुक्ति केंद्रों के लाइसेंस महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, हरियाणा की सहमति के बाद निदेशक सेवा द्वारा हरियाणा नशा मुक्ति केंद्र नियम, 2010 और 2018 में संशोधित नियमों के अनुसार जारी किए जाते हैं।
20 नियमित और 5 संविदा मनोचिकित्सक
आरती सिंह राव ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग में कुल 20 नियमित और 5 संविदा मनोचिकित्सक हैं। राज्य में मनोचिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए, 38 चिकित्सा अधिकारियों ने मनोचिकित्सा विभाग, पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ से 6 महीने का ऑनलाइन प्रशिक्षण ‘नशा मुक्ति प्रशिक्षण’ सफलतापूर्वक पूरा किया है। नशा मुक्ति सेवाओं को मजबूत करने के लिए, इन चिकित्सा अधिकारियों की सेवाएं ली जाएंगी। पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के मनोचिकित्सा विभाग की ओर से 6 महीने के ऑनलाइन नशामुक्ति प्रशिक्षण 50 चिकित्सा अधिकारियों का दूसरा बैच दिसंबर, 2024 से शुरू हो गया है।
मूत्र ड्रग डिटेक्शन किट उपलब्ध
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग का जल्द पता लगाने के लिए अस्पतालों में मूत्र ड्रग डिटेक्शन किट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। ये किट मूत्र के नमूनों में विभिन्न प्रकार की दवाओं जैसे ओपियोइड्स, कोकेन, कैनबिस, बैंजोडायजेपेन्स, एम्फेटामाइन्स, बार्बिटुरेट्स के सेवन का तेजी से पता लगाते हैं। इन किटों के माध्यम से नशीली दवाओं के दुरुपयोग का पता लगाने से डॉक्टर को नशे के आदी व्यक्ति को उचित और प्रारंभिक उपचार प्रदान करने में मदद मिलती है।
उन्होंने बताया कि नशीली दवाओं की लत से प्रभावित क्षेत्रों में 46 नए नशा मुक्ति केंद्र खोलने का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन है। इनमें से 12 जिला अस्पतालों में और 34 उपमंडल अस्पतालों में खोले जाने का प्रस्ताव है। जिला अस्पतालों में नशा मुक्ति केंद्र प्रस्तावित हैं, उनमें भिवानी, चरखी दादरी, फरीदाबाद, झज्जर, जींद, पलवल, पानीपत, नूंह, रेवाड़ी, रोहतक, सोनीपत और यमुनानगर जिले शामिल हैं। उन्होंने बताया कि उपमंडल स्तर (एसडीएच) और सीएच स्तर पर 34 नशामुक्ति केंद्र खोले जाएंगे। जिनमें नशा मुक्ति केंद्र एसडीसीएच अंबाला कैंट, एसडीसीएच नारायणगढ़, एसडीसीएच लोहारु, एसडीसीएच बवानी खेड़ा, एसडीसीएच तोशाम, एसडीसीएच सिवानी, एसडीसीएच टोहाना, एसडीसीएच रतिया, एसडीसीएच बल्लबगढ़, एसडीसीएच पटौदी, एसडीसीएच सोहाना, एसडीसीएच हांसी, एसडीसीएच आदमपुर, एसडीसीएच नारनौंद, एसडीसीएच बरवाला, एसडीसीएच नीलोखेड़ी, एसडीसीएच असंध, एसडीसीएच इंद्री, एसडीसीएच समालखा, सीएच शाहबाद, एसडीसीएच गोहाना, एसडीसीएच कलायत, सीएच गुहला, एसडीसीएच नरवाना, एसडीसीएच सफीदों, एसडीसीएच जगाधरी, एसडीसीएच महम, एसडीसीएच डबवाली, एसडीसीएच ऐलनाबाद, एसडीसीएच कालका, सीएच बहादुरगढ़,एसडीसीएच बेरी, सीएच कोसली, सीएच महेंद्रगढ़ शामिल है। कुमारी आरती सिंह राव ने आगे बताया कि एड्स नियंत्रण सोसायटी राज्य में 18 ओपियोइड प्रतिस्थापन थेरेपी (ओएसटी) केंद्र चलाती है। इन केंद्रों में नशे की लत के शिकार लोगों को नशा मुक्ति के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
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