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Sansad : पहले ही दिन अडाणी मुद्दे पर घमासान, दोनों ही सदन नहीं चले

संसद में पीएम नरेंद्र मोदी, मंत्री और अन्य सांसद।संसद में पीएम नरेंद्र मोदी, मंत्री और अन्य सांसद।

Sansad

  • संसद का शीतकालीन सत्र शुरू, विपक्ष का तीखा हमला
  • दोनों ही सदनों में शून्यकाल एवं प्रश्नकाल नहीं हो पाए
  • उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा का मुद्दे भी सदन में गूंजा

Sansad : नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र की सोमवार को हंगामेदार शुरुआत हुई। पहले ही दिन कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने अडाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी अभियोजकों के रिश्वतखोरी के आरोपों और उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के मुद्दे को उठाने का प्रयास करते हुए जमकर हंगामा किया। इसके कारण दोनों सदनों की कार्यवाही एक-एक बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्ष के हंगामे के कारण दोनों ही सदनों में शून्यकाल एवं प्रश्नकाल नहीं हो पाए। लोकसभा में सदन की बैठक शुरू होने पर अध्यक्ष ओम बिरला ने वर्तमान लोकसभा के सदस्य रहे वसंत राव चव्हाण और नूरुल इस्लाम तथा पूर्व सदस्यों एम एम लॉरेंस, एम पार्वती एवं हरीश चंद्र देवराव चव्हाण के निधन के बारे में सदन को सूचित किया। सभा ने कुछ क्षण मौन रखकर दिवंगत सांसदों और पूर्व सदस्यों को श्रद्धांजलि दी।

लोकसभा में उठे मुद्दे

इसके बाद कुछ विपक्षी सदस्य एक उद्योगपति से जुड़े मामले और उत्तर प्रदेश के संभल में रविवार को हुई हिंसा के मुद्दे को उठाने का प्रयास करते सुने गए। कुछ विपक्षी सदस्यों ने अदाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी अभियोजकों के रिश्वतखोरी के आरोपों का मुद्दा उठाने का प्रयास किया। हंगामे के बीच बिरला ने पूर्वाह्न 11 बजकर पांच मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।निचले सदन की दोपहर 12 बजे बैठक फिर शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी जब सदन में पहुंचे तो केंद्रीय मंत्रियों समेत सत्तापक्ष के सदस्य अपने स्थान पर खड़े हो गए और उन्होंने ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगाए। बैठक पुन: शुरू होते ही समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद धर्मेंद्र यादव और कुछ अन्य पार्टी सदस्य संभल हिंसा का मुद्दा उठाने का प्रयास करते देखे गए। इ

राज्यसभा में 13 नोटिस मिले

राज्यसभा की बैठक आरंभ होने पर सदन ने दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि नियम 267 के तहत उन्हें कुल 13 नोटिस मिले हैं। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के जॉन ब्रिटास, कांग्रेस के नीरज डांगी, प्रमोद तिवारी और अखिलेश प्रसाद सिंह और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह सहित कुछ अन्य सदस्यों ने अडाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी अभियोजकों के रिश्वतखोरी के आरोपों पर संसद में चर्चा की मांग को लेकर नोटिस दिए थे। आप के राघव चड्ढा सहित विपक्ष के कुछ अन्य सदस्यों ने मणिपुर में हिंसा और उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के मुद्दे पर नोटिस दिए थे। सभापति धनखड़ ने इन सभी नोटिस को अस्वीकार कर दिया और खरगे को अपनी बात रखने का मौका दिया।

राज्यसभा में भिड़े खरगे और धनखड़

राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ और लीडर ऑफ अपोजिशन (एलओपी) मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच बहस हुई। दरअसल, धनखड़ ने खड़गे से कहा कि हमारे संविधान को 75 साल पूरे हो रहे हैं। उम्मीद है आप इसकी मर्यादा रखेंगे। इस पर खड़गे ने जवाब दिया कि इन 75 सालों में मेरा योगदान भी 54 साल का है, तो आप मुझे मत सिखाइए। इस पर धनखड़ ने कहा-मैं आपको इतना सम्मान देता हूं और आप ऐसा बोल रहे हैं। मुझे दुख पहुंचा है। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही 27 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई।

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