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IPS sucide : आईपीएम पूरन का अंतिम संस्कार, धर्मपत्नी और दोनों बेटियों ने दी अंतिम विदाई, फफक फफक कर रोई अमनीत पी कुमार

Byadmin

Oct 15, 2025 #IPS

IPS sucide

  • -हरियाणा कैडर के आईजी वाई पूर्ण कुमार के सुसाइड का मामला-
  • -माहौल हुआ गमगीन, गुस्सा दलित संगठनों और परिजनों ने लगाए शमशान में ही हरियाणा सरकार मुर्दाबाद के नारे
  • -दो मंत्रियों कृष्ण पंवार और श्याम सिंह राणा दोनों को आनन फानन में सुरक्षा कर्मियों ने निकाला बाहर, गाड़ी में बैठाया

चंडीगढ़। आखिरकार हरियाणा कैडर के आईपीएस अधिकारी आईजी वाई पूर्ण कुमार के अंतिम संस्कार की रस्म नौ दिन बीतने के बाद में हुई। संस्कार में बड़ी संख्या में प्रशासनिक, पुलिस अफसरों के अलावा दलित संगठनों के लोग पहुंचे हुए थे। उनको अंतिम विदाई के वक्त दोनों बेटियों और धर्मपत्नी आईएएस अफसर अमनीत पी कुमार ने आंसुओं के सैलाब के बीच अंतिम दर्शन किए और फफक फफक कर रोने लगीं। परिवार ने संभाला। वाई पूरन कुमार के अंतिम संस्कार के साथ ही चंडीगढ़ और हरियाणा के पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली है। पूरे नौ दिन बाद सुबह सवेरे उनका पोस्टमार्टम वीडियोग्राफी और डॉक्टरों के बोर्ड के सामने किया गया। बताया गया है कि बीती देर रात में ही परिवार और पुलिस प्रशासन, सरकार के बीच में चल रहा गतिरोध टूट गया था। वाई पूरन कुमार के परिवार द्वारा सहमति दिए जाने और सुबह सवेरे ही उनकी पत्नी अमनीत कुमार, बेटियों और परिवार ने पहुंचकर औपचारिकता पूर्ण की। इसके साथ ही शव का चंडीगढ़ पीजीआई में पोस्टमार्टम किया गया है।
पूरे मामले में देर शाम को अंतिम संस्कार हो जाने के वक्त बड़ी संख्या में हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के पुलिस और प्रशासनिक अफसर मौजूद थे। इस दौरान दो मंत्री कृष्ण पंवार और श्याम सिंह राणा पहुंचे हुए थे। बड़ी संखया में लोग यहां मौजूद थे, मुखाग्नि दिए जाने के साथ ही उनकी तेहरवीं को लेकर घोषणा के साथ ही जैसे ही लोग बाहर की तरफ चलने लगे बड़ी संख्या में दलित संगठन के लोगों पदाधिकारियों, परिजनों ने सरकार मुर्दाबाद के नारे शमशान में ही लगाए। भीड़ और गुस्से को देखते हुए पुलिस फोर्स ने तुरंत ही मंत्रियों को गाड़ी में बैठाया और बाहर निकाला।
बताया जा रहा है कि बुधवार सुबह चंडीगढ़ आईजी और एसएसपी पूर्ण कुमार के परिवार से मिलने पहुंचीं और उनकी पत्नी अमनीत पी कुमार ने पोस्टमार्टम के लिए सहमति दे दी।

दो कार्यक्रम पीएम और राष्ट्रपति के हुए रद्

हरियाणा में आईपीएस अफसर के सुसाइड का मामला इतना तूल पकड़ा कि हरियाणा सरकार के रंग में भंग पड़ गया। एक साल पूरा होने के साथ ही राज्य में भाजपा की सरकार के 11 साल भी पूरे हो गए हैं। इस कारण से पीएम नरेंद्र मोदी का सोनीपत में कार्यक्रम था। जबकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का कार्यक्रम कुरुक्षेत्र और अंबाला में रखा गया था जिसको कैंसिल कर दिया गया था। इसके अलावा भी पूर्ण कुमार के निधन के कारण हरियाणा सरकार के कईं कार्यक्रमों पर विपरीत प्रभाव पड़ा और उनकी तारीखों में बदलाव किया गया । राष्ट्रपति का दौरा 18 अक्टूबर को अंबाला में एयरफोर्स के प्रोग्राम में शामिल होने का था। लेकिन आईबी की रिपोर्ट के आधार पर प्रोग्राम कैंसिल किया और पूरन कुमार की मौत के बाद से दलित संगठनों की ओर से विरोध जताया जा रहा था। इसी तरह से सोनीपत में पीएम मोदी का कार्यक्रम भी था, जिसको सारे गतिरोध और माहौल को देखते हुए कैंसिल कर दिया गाय।

अंतिम संस्कार के वक्त प्रमुख नेता और अधिकारी रहे मौजूद

आईजी वाई पूरन कुमार का अंतिम संस्कार बुधवार की शाम को कर दिया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस, प्रशासनिक अफसर, कांग्रेस, आप पार्टी, इनेलो भाजपा के नेता मौजूद रहे। सेवानिवृत्त अफसरों की संख्या भी अच्छी खासी थी। अंतिम संस्कार के दौरान सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों में सीपीएस सीएम राजेश खुल्लर, पीएस सीएम अरुण कुमार गुप्ता हाल ही में कार्यवाहक डीजीपी ओपी सिंहके अलावा सीआईडी चीफ, डीजी होमगार्ड आकिल मुहम्मद के अलावा वरिष्ठ आईएएस अफसर मंदीप बराड, श्रीमती आशिमा बराड, चंडीगढ़ पुलिस आईजी, एसएसपी, डीजी के अलावा हरियाणा सरकार की तरफ से कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पवार, श्याम सिंह राणा, आम आदमी पार्टी की तरफ से पंजाब के स्पीकर कुलतार सिंह रंधावा , कांग्रेस पार्टी के भी कई विधायक अशोक अरोड़ा, विधायक पूजा चौधरी, दलित संगठनों के नेता बड़ी संख्या में मौजूद थे।

शमशान में ही नारेबाजी, दिखाया गुस्सा

दलित संगठनों, चंडीगढ़ के सफाई कर्मचारी नेताओं और दूर दराज से आए लोगों ने शमशान में ही अंतिम संस्कार प्रक्रिया के अंतिम चरण में हरियाणा सरकार मुर्दाबाद की नारेबाजी कर दी। इस दौरान हंगामा और शोरगुल मच गया। इस दौरान सुरक्षा कर्मियों ने मोर्चा संभाल लिया और दोनों मंत्रियों को सुरक्षा के घेरे में ले लिया, जिसके साथ ही गाड़ी में बैठाकर बाहर निकाला। हंगामा और शोरगुल देखने के बाद में बड़ी संख्या में प्रशासनिक अफसर भी अपनी अपनी गाड़ियों में बैठकर सुरक्षा के बीच में बाहर निकाले गए। बाहर आने तक पुलिस फोर्स ने भी मोर्चा संभाल लिया, किसी भी घटनाक्रम की आशंका के बीच में थोड़ी देर बाद में नारे लगा रहे युवाओं और दलित संगठनों के लोगों को कुछ बुर्जुगों और जिम्मेदार लोगों ने शांत किया।

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