Intelligence Agencies
- -यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा मामले से चर्चा में है पाक की बदनाम आईएसआई
- -पाकिस्तान के खुफिया अधिकारियों के सम्पर्क में थी ज्योति
- -मोसाद: सबसे सम्मानित इजराइली खुफिया एजेंसी
Intelligence Agencies : जासूसी करने के आरोप में यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी के बाद नए-नए खुलासे हो रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि पहलगाम हमले से पहले वह पाकिस्तान गई थी, उसके बाद कश्मीर का दौरा किया था। वह पाकिस्तान के खुफिया अधिकारियों के सम्पर्क में थीं। हालिया मामले से दुनिया की खुफिया एजेंसियों को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। आइए जान लेते हैं दुनिया की टॉप 10 खुफिया एजेंसियां के बारे में कि इनके बनने की कहानी क्या है…
सीआईए: दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पड़ी थी नींव
अमेरिका की खुफिया एजेंसी सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी (सीआईए) को दुनिया की सबसे प्रसिद्ध खुफिया एजेंसी माना जाता है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने ऑफिस ऑफ द कोऑर्डिनेटर ऑफ इन्फॉर्मेशन (सीओआई) की स्थापना की थी। तारीख थी 11 जुलाई 1941. इसका उद्देश्य युद्ध से जुड़ी दूसरे देशों की खुफिया सूचनाएं जुटाना था। इसके बाद 13 जून 1942 को अमेरिका में एक केंद्रीयकृत खुफिया एजेंसी की स्थापना की गई, जिसको नाम दिया गया इंटेलीजेंस एजेंसी ऑफिस ऑफ स्ट्रेटेजिक सर्विसेज (ओएसएस)। इसके बाद ट्रूमैन ने 1945 में ओएसएस को भंग कर दिया। इसके बाद 18 सितंबर 1947 को सीआईए की स्थापना की गई। इस एक्ट के जरिए सीआईए को एक स्वतंत्र नागरिक इंटेलीजेंस एजेंसी की मान्यता दी गई।
इजराइल की मौसाद
इजराइल की खुफिया एजेंसी का नाम है मोसाद। यह अपने कारनामों के कारण दुनियाभर में सबसे ज्यादा सम्मानित है। कहा जाता है कि इजराइल की सुरक्षा के लिए यह एजेंसी दुनिया के किसी भी कोने से ढूंढ़कर अपने दुश्मन को मारता है। माना जाता है कि जो एक बार मोसाद की हिट लिस्ट में आ जाता है, उसका बचना असंभव हो जाता है। इजराइल की स्थापना के साथ ही मोसाद की भी स्थापना की नींव पड़ गई थी। इस खुफिया एजेंसी का गठन 13 दिसंबर 1949 को किया गया। इस खुफिया एजेंसी का पहला निदेशक रुवेन शिलोह को बनाया गया था। मोसाद का पूरा नाम है मोसाद ले-मोदीइन उले-तफकिदिम मेयुहादिम यानी सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस. इसका मुख्यालय तेल अवीव में है।
रॉ: एक असफलता ने तैयार की भारत की खुफिया एजेंसी
यह साल 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की बात है। 22 दिनों तक चले इस युद्ध में भारत का पलड़ा जरूर भारी था पर पाकिस्तान के बारे में और अधिक सूचना होती तो शायद इस युद्ध का नतीजा कुछ और ही होता। दरअसल, 22 सितंबर 1965 को जब युद्धविराम की घोषणा की गई, तब तक पाकिस्तान के सभी हथियार खत्म हो चुके थे। पाकिस्तान को हथियार देने पर अमेरिका ने प्रतिबंध भी लगा दिया था, इसलिए उसे हथियारों की सप्लाई भी संभव नहीं थी। हालांकि, तब भारत की आंतरिक खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) इस बारे में जानकारी नहीं जुटा पाई थी। इसके कारण युद्ध अनिर्णय की स्थिति में खत्म हुआ। पाकिस्तान की स्थिति की जानकारी होती तो नतीजा कुछ और ही होता। इस असफलता का पता चलने पर भारत ने देश के बाहर से खुफिया जानकारियां इकट्ठा करने के लिए एक नई एजेंसी के गठन का फैसला किया। 21 सितंबर 1968 को इस खुफिया एजेंसी का गठन किया गया और नाम रखा गया रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ)। रामेश्वर नाथ काव को रॉ का पहला प्रमुख और संकरन नायर को दूसरे नंबर पर जिम्मेदारी दी गई। साथ ही आईबी से करीब 250 लोगों को रॉ में ट्रांसफर कर इस एजेंसी की शुरुआत की गई।
एमआई-6 : प्रथम विश्व युद्ध से पहले बनी ब्रिटिश खुफिया एजेंसी
ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी का नाम है सीक्रेट इंटेलीजेंस सर्विस (एसआईएस), जिसे सामान्यतौर पर एमआई 6 के नाम से जाना जाता है। इस खुफिया एजेंसी की स्थापना पहले विश्व युद्ध से ठीक पहले साल 1909 में सीक्रेट सर्विस ब्यूरो के रूप में देश के बाहर की खुफिया जानकारियां जुटाने के लिए की गई थी। शुरू में नौसेना और थल सेना के रूप में इसकी दो शाखाएं थीं 1916 में इन दोनों एजेंसियों को डायरक्टरेट ऑफ मिलिटरी इंटेलीजेंस के अधीन कर दिया गया और एमआई नाम की उत्पत्ति हुई।
आईएसआई: अंग्रेज अफसर ने रखी थी नींव
पाकिस्तान का बाह्य खुफिया तंत्र भारत के मुकाबले अधिक पुराना है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अपनी करतूतों के लिए दुनिया भर में कुख्यात है। इसकी स्थापना साल 1948 में एक अंग्रेज अफसर रॉबर्ट कॉवथोम ने की थी। आईएसआई दुनिया भर में आतंकवाद फैलाने के लिए बदनाम है। इस पर तालिबान समेत कई आतंकवादी समूहों को पालने-पोषने का आरोप लगता रहता है।
केजीबी : केजीबी की जगह हुई एफआईएस की स्थापना
सोवियत संघ के विघटन से पहले वहां की खुफिया और सुरक्षा एजेंसी थी केजीबी। उसका पूरा नाम कोमितेत गोसुदर्स्त्वेन्नोय बेज़ोपास्नोस्टी था, जिसका मतलब है राज्य सुरक्षा समिति। साल 1954 से 1991 तक इसने काम किया। इसके बाद सोवियत संघ का विघटन पर रूस ने अपनी खुफिया एजेंसी स्थापित की, जिसका नाम है फॉरेन इंटेलीजेंस सर्विस (एफआईएस). इसे फेडरल सिक्योरिटी सर्विसेज के नाम से भी जाना जाता है।
मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी: 1983 में बनी चीनी खुफिया एजेंसी
चीन की खुफिया एजेंसी को मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी यानी एमएसएस के नाम से जाना जाता है। इसकी स्थापना 1 जुलाई 1983 को की गई थी। चीन की यह खुफिया एजेंसी सेंट्रल नेशनल सिक्योरिटी कमीशन के अधीन काम करती है।
अन्य प्रमुख एजेंसियां
- बीएनडी : जर्मनी की खुफिया एजेंसी
- एसआईएस : ऑस्ट्रेलियन सीक्रेट
- इंटेलीजेंस सर्विसेज
- डीजीएसई : फ्रांस की खुफिया एजेंसी
https://vartahr.com/intelligence-age…ies-of-the-world/