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Delhi University

  • सामाजिक समरसता में युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण – महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि
  • भारतीय ज्ञान-परंपरा को पुनर्जीवित कर विकसित भारत का निर्माण करें युवा – महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि
  • मैकाले मॉडल को ध्वस्त कर अपना भारतीय मॉडल खड़ा करें युवा – प्रो. निरंजन कुमार
  • राष्ट्र के पुनर्निर्माण में युवाओं की केंद्रीय भूमिका – प्रो. निरंजन कुमार

नई दिल्ली l दिल्ली विश्वविद्यालय तथा एकल फ्यूचर (यूथ विंग, एकल अभियान) के संयुक्त तत्वावधान में ‘युवा संवाद : शिक्षा से राष्ट्र निर्माण’ विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजित किया गया. यह योजन दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय के सभागार में संपन्न हुआ.

कार्यक्रम में जूना अखाडा के महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि जी का सान्निध्य प्राप्त हुआ तथा भारत लोक शिक्षा परिषद् के ट्रस्ट बोर्ड अध्यक्ष श्री लक्ष्मी नारायण गोयल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि जी ने भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा, वैदिक ज्ञान की महत्ता और प्राचीन शिक्षा प्रणाली की श्रेष्ठता पर प्रकाश डाला। उन्होंने सामाजिक समरसता में युवाओं की भूमिका को रेखांकित किया. उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे भारतीय ज्ञान-परंपरा को पुनर्जीवित कर स्वर्णिम विकसित भारत के निर्माण में योगदान दें। उन्होंने युवाओं में राष्ट्रीय चेतना और सांस्कृतिक जागरूकता को मजबूत करने का भी संदेश दिया।

मुख्य अतिथि श्री लक्ष्मी गोयल ने कहा कि अपनी संस्कृति से विमुख होने के कारण भारत पर वर्षों तक विदेशी शासन रहा। उन्होंने सनातन परंपरा और राष्ट्र-जागरण की दिशा में एकल अभियान के योगदान का उल्लेख किया।

कार्यक्रम के संयोजक, दिल्ली विश्वविद्यालय के मूल्य संवर्धन पाठ्यक्रम समिति के अध्यक्ष एवं डीन प्लानिंग प्रो. निरंजन कुमार ने युवाओं की शक्ति, संकल्प और राष्ट्र निर्माण में उनकी केंद्रीय भूमिका पर अपने विचार रखते हुए मैकाले की शिक्षा नीति के प्रभावों को रेखांकित किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान कि “2035 तक हमें मैकाले मॉडल को ध्वस्त करते हुए अगले दस वर्षों में भारत के लिए अपना एक भारतीय मॉडल खड़ा करना है” के संकल्प को दोहराया. उन्होंने कहा कि भारतीय युवा अपने प्राचीन सांस्कृतिक मूल्यों और आदर्शों को आज पुनः स्थापित कर रहा है.

एकल फ्यूचर के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया कि देश के 1,10,000 सुदूर गाँवों में एकल विद्यालय संचालित हो रहे हैं, जहाँ 90 प्रतिशत महिलाएँ शिक्षण का कार्य करती हैं। यहाँ संस्कार–आधारित शिक्षा और जातिगत बंधनों को मिटाकर राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ बनाने का प्रयास हो रहा है.

कार्यक्रम में शबरी बस्ती यानी झुग्गी झोपड़ियों के बच्चों ने गणेश वंदना पर अपने नृत्य कला का प्रदर्शन भी किया।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के डीन, प्रोफ़ेसर, शोध छात्र और अन्य गणमान्य लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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