Delhi
- भाजपा सांसद ने वक्फ बोर्ड पर संसदीय समिति को मिले सवा करोड़ फीडबैक पर जताई चिंता
- सांसद निशिकांत दुबे ने वक्फ बिल की जांच कर रही समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को लिखा पत्र
- कहा, करोड़ से ज्यादा ईमेल के पीछे कट्टरपंथी संगठनों, जाकिर नाइक, आईएसआई और चीन का हो सकता है हाथ
- दुबे ने बाहर से वित्तपोषित इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों की जांच की मांग की
Delhi : नई दिल्ली। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने वक्फ (संशोधन) विधेयक की जांच कर रही संसदीय समिति को करीब 1.25 करोड़ फीडबैक मिलने पर चिंता जताई है। वक्फ बिल की जांच कर रही समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को लिखे पत्र में दुबे ने फीडबैक के स्त्रोतों की जांच में कट्टरपंथी संगठनों, जाकिर नाइक जैसे व्यक्तियों और आईएसआई और चीन जैसी विदेशी ताकतों के साथ-साथ उनके प्रॉक्सी की संभावित भूमिका की भी जांच की मांग की है। उन्होंने आशंका जताई है कि इनके पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और चीन की भूमिका हो सकती है। उन्होंने पत्र में लिखा कि ये फीडबैक किन जगहों से दाखिल किए गए इस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने दावा किया कि अकेले भारत से इतनी बड़ी संख्या में फीडबैक मिलना लगभग असंभव है। इस्लामी कट्टरपंथी संगठन की भूमिका की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि ये समूह अक्सर बाहरी शक्तियों द्वारा वित्तपोषित या उनके प्रभाव में होते हैं, जो भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित करना चाहते हैं। ये लोग भारत के लोकतंत्र को अस्थिर करना चाहते हैं और हमारी विधायी प्रक्रियाओं को बाधित करना चाहते हैं।
मुस्लिम समूह कर रहे विरोध
गौरतलब है कि वक्फ संशोधन विधेयक का मुस्लिम समूहों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है। उनका कहना है कि वक्फ संशोधन विधेयक के जरिए उनके धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप की कोशिश की जा रही है। विपक्षी पार्टियों ने भी इस विधेयक का विरोध किया था, जिसके बाद सरकार ने वक्फ विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का फैसला किया था।
फीडबैक मिलने को अभूतपूर्व बताया
सांसद निशिकांत दुबे ने इतनी बड़ी संख्या में फीडबैक मिलने को अभूतपूर्व बताया और दावा किया कि इससे एक वैश्विक रिकॉर्ड स्थापित हो गया है। उन्होंने कहा कि यह एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति का संकेत देता है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। दुबे ने जगदंबिका पाल को लिखे अपने पत्र में कहा कि यह जानना जरूरी है कि क्या विदेशी संस्थाएं, संगठन और व्यक्ति जानबूझकर हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हेरफेर करने के लिए इतनी बड़ी संख्या में फीडबैक भेज रहे हैं? उन्होंने कहा कि भारत में एक मजबूत संसदीय प्रणाली वाला देश है, और इस तरह एकजुट होकर विदेशी हस्तक्षेप के माध्यम से इसे प्रभावित करने का कोई भी प्रयास राष्ट्रीय संप्रभुता के लिए सीधा खतरा है। इन फीडबैक के एक बड़े हिस्से की सामग्री एक जैसी है या इसमें मामूली बदलाव हैं, जिससे संकेत मिलते हैं कि इनमें से कई फीडबैक एक संगठित अभियान का हिस्सा हो सकते हैं।
शक की यह वजह
उन्होंने कहा कि इस बात पर शक करने की वजह ये है कि ये तत्व वक्फ विधेयक पर विचार-विमर्श का लाभ उठाकर मतभेद पैदा कर रहे हैं और जनमत का ध्रुवीकरण कर रहे हैं। ये प्रयास कट्टरपंथी समूहों द्वारा हमारे देश में संवेदनशील मुद्दों में हेरफेर करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं।
भाजपा सांसद ने लिखा कि कट्टरपंथी इस्लामवादी प्रचारक जाकिर नाइक के प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता। दुबे ने पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी आईएसआई, चीन और जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश और तालिबान जैसे कट्टरपंथी संगठनों जैसी विदेशी शक्तियों का भी जिक्र किया और कहा कि वे लंबे समय से भारत को अस्थिर करने और इसके लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश रच रहे हैं।
केन्द्र खत्म करना चाहती है वक्फ बोर्ड: ओवैसी
एआईएमआईएम प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ बोर्ड को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला है। ओवैसी ने कहा है कि वक्फ बोर्ड एक प्राइवेट प्रॉपर्टी है, लेकिन भाजपा तो ऐसे बता रही है जैसे कि वक्फ बोर्ड सरकार की संपत्ति है। ओवैसी ने सरकार पर आरोप लगाए हैं कि वह वक्फ बोर्ड को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म कर देना चाहती है। कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए, ओवैसी ने बताया कि वक्फ अधिनियम 1995 ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ की अवधारणा पर आधारित है। यह अनिवार्य करता है कि यदि कोई स्थान प्रार्थना के लिए उपयोग किया जाता है, अनाथालय के रूप में कार्य करता है या कब्रिस्तान के रूप में कार्य करता है तो वह वक्फ संपत्ति बन जाती है, जिसे सरकार अब खत्म करने का इरादा रखती है। उन्होंने ये भी आरोप लगाए कि वक्फ (संशोधन) विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि पांच साल तक प्रैक्टिस करने वाला मुस्लिम वक्फ बोर्ड को दान दे सकता है, हालांकि, इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि प्रैक्टिस करने वाले मुस्लिम का क्या मतलब है।
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