Deepwali
- -20 अक्टूबर को अपराह्न 3:45 से शाम 7:23 दिवाली पूजन शुभ मुहूर्त
- -सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त वृषलग्न शाम 7:11 से 9:07 तक रहेगा
- – धनतेरस पर प्रिय धातु पीतल के बर्तन व गहने खरीदना शुभ माना जाता
- -विशेष रूप से धनवंतरी आयुर्वेद के प्रतीक माने जाते हैं
- -इस दिन आमला व हल्दी की पूजा करने का महत्व
रेवाड़ी। दीपावली के पांच दिवसीय पर्व को लेकर लोग खरीददारी करने में जुटे हुए है। शहर के सभी बाजारों में दुकानों सज चुकी है। धनतेरस यानि धनवंतरी जयंती कार्तिक कृष्णपक्ष त्रयोदशी को मनाई जाती है, इस बार 18 अक्टूबर दोपहर 12:18 के बाद धन त्रयोदशी का प्रवेश होगा। ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री ने बताया कि इस दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था। शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। धन वैभव देने वाली धनत्रयोदशी का विशेष महत्व माना जाता है। धनतेरस पर प्रिय धातु पीतल के बर्तन व गहने खरीदना शुभ माना जाता है, विशेष रूप से धनवंतरी आयुर्वेद के प्रतीक माने जाते हैं। इस दिन आमला व हल्दी की पूजा करने का महत्व है। प्रदोषकाल में घर के बाहर गृह द्वार में यमराज के लिए यमदीप चौमुखा या पंचमुखी दीपक जलाने से अकाल मृत्यु नहीं होती है। दीपदान से सूर्यनंदन यमराज प्रसन्न होते है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि धनतेरस पर खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त 18 अक्टूबर को दोपहर 12:19 से शाम 4:25 तक तथा 5:50 से 7:25 तक रहेगा तथा प्रदोष काल में यमदीप दान करना शुभ रहेगा। शास्त्री ने बताया कि रूप चौदस यानि नरक चतुर्दशी 9 अक्टूबर दोपहर 1:52 से 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 तक रहेगी। छोटी दिवाली को सायंकाल दीपदान कर सकते है, लेकिन अभ्यंग स्नान 20 अक्टूबर को प्रात:काल हो सकेंगे, क्योंकि 20 को ही नरक चतुर्दशी चंद्रोदय व्यापिनी ग्राह्य है, चंद्रोदय के समय अभ्यंग स्नान करने का महत्व है। खेत की मिट्टी से युक्त अपामार्ग की जड़ व पत्तों को लोटे में तीन बार घुमाकर प्रात:काल में चंद्र की किरणों में अभ्यंग स्नान करने से रूप में निखारता आती है। इसे रूप चौदस के नाम से जाना जाता है।
दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन का मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण अमावस्या सोमवार 20 अक्टूबर को प्रदोष व्यापिनी अमावस्या शाम 3:45 से 21 अक्टूबर शाम 5:54 रहेगी, जिसमे प्रदोषकाल का विशेष महत्व होता है। वृषभ लग्न तथा स्वाति नक्षत्र की प्रधानता होती है। निशीथ काल में काली पूजा भी संपन्न होगी। ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री ने बताया कि ज्योतिषीय गणना में सातवीं राशि में सूर्य और चंद्र का मिलन तुलाराशि में ही दिवाली का त्योहार होता है। पंच दिवसीय त्योहार में प्रतिदिन घी या तेल का दीपक प्रज्जलित करना चाहिए।
श्रीयंत्र देवी लक्ष्मी का स्वरूप, पूजन में जरूर रखें
लक्ष्मी पूजन में श्रीयंत्र जरूर रखना चाहिए, श्रीयंत्र को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। कुबेर देव देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं, दीपावली पर लक्ष्मी के साथ ही इनकी पूजा करनी चाहिए। लक्ष्मी पूजा में कमल का फूल और कमल के गट्टे की माला भी रखनी चाहिए। कमल गट्टे की माला से लक्ष्मी जी के मंत्र का जप होता हैं। देवी लक्ष्मी पूजन में गन्ना जरूर रखना चाहिए। महालक्ष्मी की तस्वीर के साथ देवी के चरण चिन्ह की भी पूजा करनी चाहिए। रेवाड़ी में 20 अक्टूबर को अपराह्न 3:45 से शाम 7:23 दिवाली पूजन शुभ मुहूर्त तथा सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त वृषलग्न शाम 7:11 से 9:07 तक रहेगा। निशीथ काल रात्रि 11:36 से रात्रि 12:25 तक रहेगा। सिंह लग्न रात्रि 1:41 से 3:58 तक रहेगी तथा 21 अक्टूबर को भौमवती अमावस्या रहेगी।
गोवर्धन पूजा व भैया दूज का मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा 22 अक्टूबर को पूर्वाह्न गोवर्धन पूजा होगी। गोवर्धन पूजा के दिन गोबर के गोवर्धन बनाकर उनकी पूजा गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य 56 भोग लगाकर की जाती है। पूजा के बाद गोवर्धन की सात परिक्रमा लगाने का विधान है। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर इंद्र का मान मर्दन करके ब्रज वासियों की रक्षा की थी। इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्री ने बताया कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया 23 अक्टूबर को भाईदूज या यम द्वितीया है, इस दिन चित्रगुप्त पूजन भी होता है। यमुना स्नान करना उत्तम है, इस दिन यमी ने अपने भाई यम को बुलाकर तिलक लगाकर दीर्घायु की कामना करती है व भोजन कराती है। धन, यश, आयु, धर्म, काम और अर्थ की सिद्धि होती है। इस दिन बहनों को वस्त्र दान करें। यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है।