Birds
- -पक्षियों में कई पक्षी दुर्लभ प्रजाति के
- -सारस पक्षी आकर्षण का मुख्य केन्द्र बना
- -जलाशय में रूस से आने वाले सारस पक्षी मुख्य आकर्षण का केन्द्र
- -यहां 213 प्रजातियों के पक्षी दर्ज किए हैं। जिनमे कई दुर्लभ पक्षी
Birds : राजनांदगांव। रूस के दुर्लभ पक्षियों का दल इन दोनों खैरागढ़ वन मंडल के रूसे जलाशय में दिखाई दे रहा है। यहां लगभग डेढ़ हजार से अधिक प्रवासी पक्षियों का झुंड मौजूद है। इन पक्षियों में कई पक्षी दुर्लभ प्रजाति के हैं। रूस से पहुंचे इन पक्षियों के लिए खैरागढ़ वन मंडल का रूसे जलाशय मुफीद ठिकाना बना हुआ है। जलाशय में रूस से आने वाले सारस पक्षी मुख्य आकर्षण का केन्द्र है। इस प्रजाति को यूरेशियाई सारस या साधारण सारस कहा जाता है। जिसका वैज्ञानिक नाम ग्रुस है। दक्षिणी अफ़्रीका में मिलने वाली ग्रुस वंश के सारस की एक प्रजाति है। यह उत्तर यूरेशिया में निवास करते हैं, जो शीतकाल निवास के लिए भारत व अन्य स्थानों पर प्रवास करते हैं।
जलीय क्षेत्रों का संरक्षण
छत्तीसगढ़ बायोडायवर्सिटी बोर्ड और खैरागढ़ वन मंडल द्वारा सभी वेटलैंड्स का सर्वेक्षण कार्य कराकर रिपोर्ट तैयार किया जा रहा है। सभी जलीय क्षेत्र के संरक्षण व संवर्धन हेतु वैज्ञानिक तरीके से कार्य किया जा रहा है। वहीं स्वच्छ सफाई रखने साइनबोर्ड और डस्टबीन भी लगाया जा रहा है। गांव-गांव में जागरूकता प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।
शोधकर्ताओं ने 213 प्रजाति दर्ज की
रूसे जलाशय में पहुंचे प्रवासी पक्षियों पर शोधकर्ता डाॅ. फैज बक्स, प्रतीक ठाकुर एवं उनकी टीम ने यहां 213 प्रजातियों के पक्षी दर्ज किए हैं। जिनमे कई दुर्लभ पक्षी शामिल हैं। शोधार्थियों का मानना है कि यदि इस क्षेत्र को ईको-टूरिज्म से जोड़ा जाए, तो यह जगह पक्षी प्रेमियों, शोधकर्ताओं और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बन सकती है।
पक्षी प्रेमियों में उत्साह
खैरागढ़ वन मंडल क्षेत्र के रूसे जलाश्य में दुर्लभ प्रवासी पक्षियों के आगमन से पक्षी प्रेमियों में उत्साह का वातावरण बना हुआ है। बड़ी संख्या में पक्षी प्रेमी रूसे जलाशय में पहुंचकर दुर्लभ प्रवासी पक्षियों की तस्वीरें ले रहे हैं।
अनुकूल वातावरण हो रहा तैयार
खैरागढ़ क्षेत्र के रूसे जलाशय में यूट्रिकुलरिया नामक एक कीट भक्षी पौधा पाया गया, जो पानी में मौजूद छोटे-छोटे कीड़ों को खाकर जल को स्वच्छ करता है। इसके अलावा नाजास, वेलिसनेरिया और लिम्नोफिला जैसे जलीय पौधे प्रवासी बत्तखों के भोजन का मुख्य स्रोत है। वहीं मछलियों की भी कई महत्वपूर्ण प्रजातियां यहां पाई गई है। जिनमें रोहू, कतला, पोठी, मोला और टेंगना प्रमुख हैं। ये शिकारी पक्षियों के भोजन का अहम हिस्सा है और स्थानीय परिस्थिति को बनाए रखने में मदद करते हैं।
काले सिर वाले पक्षी
बर्ड वाचर और शोधार्थी बीएफओ योगेश कोर्राम ने एक दिवसीय बर्ड वॉचिंग के दरम्यान रूसे डेम में बड़ी संख्या में काले सिर वाले पक्षी के साथ विभिन्न दुर्लभ प्रजाति जैसे सामान्य सारस (ग्रस ग्रस), चित्रित सारस (माइक्टेरिया ल्यूकोसेफाला), सफेद आंखों वाला बज़र्ड (ब्यूटास्टुर टीसा), उत्तरी पिनटेल (अनास एक्यूटा), ऑस्प्रे (पैंडियन हलियेटस), यूरेशियन स्पूनबिल (प्लाटालिया ल्यूकोरोडिया), टफ्टेड डक (अयथ्या फुलिगुला), ग्रे हेरोन (अर्डिया सिनेरिया), ग्रेट कॉर्मोरेंट (फलाक्रोकोरैक्स कार्बो), बार-हेडेड गूज़ (एंसर इंडिकस), ब्लैक-हेडेड आइबिस (थ्रेसकोर्निस मेलानोसेफालस), इंडियन स्पॉट-बिल्ड डक (अनास पोइसिलोरहिन्चा), लेसर व्हिसलिंग डक (डेंड्रोसिग्ना जावनिका), रेड-नेप्ड आइबिस (स्यूडिबिस पैपिलोसा) रिकार्ड किया है।
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