Mahakumbh
- प्रयागराज महाकुंभ : मेला पहुंचा दूसरा सबसे बड़ा निरंजनी अखाड़ा
- स्वामी कैलाशानंद की अगुवाई में निकली पेशवाई
- 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा यह महाआयोजन
Mahakumbh : श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी अखाड़े के साधु-संत और नागा संन्यासी महाकुम्भ मेला क्षेत्र पहुंच गए। शनिवार को निरंजनी पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि की अगुवाई में इस अखाड़े की पेशवाई निकली। पेशवाई में सबसे पहले भगवान कार्तिकेय की सवारी थी, पीछे स्वामी कैलाशानंद का रथ था तो उसके पीछे आनंद पीठाधीश्वर स्वामी बालकानंद गिरि, प्रेमा गिरि, पूर्व सांसद साध्वी निरंजन ज्योति रथ पर सवार होकर चल रही थीं। तेरह अखाड़ों में जूना अखाड़े के बाद श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी संख्या बल में सबसे बड़ा माना जाता है। जूना अखाड़े में लगभग पांच तो निरंजनी में तीन लाख नागा संन्यासी होने का दावा किया जाता है। यह उन चार अखाड़ों में से एक है, जिसका मुख्यालय प्रयागराज में है। संगम के समीप स्थित बड़े (लेटे) हनुमान मंदिर का प्रबंधन देखने वाला प्रयागराज का सबसे बड़ा मठ बाघंबरी गद्दी भी इसी अखाड़े के तहत आता है। महाकुंभ मेला क्षेत्र में प्रवेश करने वाला यह छठवां अखाड़ा है।
त्रिशूल के तांडव ने किया अचंभित
पेशवाई में नागा साधु का त्रिशूल के साथ तांडव का प्रदर्शन लोगों के लिए चौंकाने वाला रहा है। हाथी, ऊंट के साथ ही घोड़ों पर सवार नागा संन्यासी दोनों हाथों में तलवार और भाला लिए करतब दिखा रहे थे।
45 दिनों तक चलेगा महाकुंभ, शाही स्नान के लिए खास हैं 6 दिन
आध्यात्मिक दृष्टि से वर्ष 2025 बेहद खास है। खास इसलिए क्योंकि इस साल उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में देश-विदेश का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला लगने जा रहा है। इस साल प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाएगा। इस मेले में स्नान का बहुत खास महत्व है। देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी साधु-संतों के साथ तीर्थयात्री महाकुंभ में पहुंचेंगे। महाकुंभ में शाही स्नान का ज्यादा महत्व है। इस दिन कई तरह के साधु-संत गंगा में डुबकी लगाने पहुंचते हैं। शाही स्नान किस तिथि को होगा और इसका क्या महत्व है? बताया जा रहा कि वर्ष 2025 में 13 जनवरी से महाकुंभ मेला शुरू होने जा रहा है। जो 26 फरवरी तक चलने वाला है। महाकुंभ में त्रिवेणी संगम यानी गंगा, यमुना, सरस्वती के संगम पर स्नान किया जाता है। कुंभ के दौरान गंगा में स्नान करने से अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। कुंभ में शाही स्नान भी होता है। इस शाही स्नान को करने के लिए दूर-दूर से कई तरह के साधु-संत पहुंचते हैं।
शाही स्नान का क्या महत्व है?
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि शाही स्नान सिर्फ कुंभ में ही होता है। कुंभ मेले के दौरान जो भी व्यक्ति शाही स्नान करता है, उसे जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही कई जन्मों के पाप भी मिट जाते हैं। शाही स्नान ज्यादातर साधु-संत ही करते हैं। इनके बाद तीर्थयात्री भी शाही स्नान कर सकते हैं। हालांकि शाही स्नान के लिए कुछ महत्वपूर्ण तिथियां भी होती हैं।
शाही स्नान की तिथियां
-13 जनवरी (पूस पूर्णिमा) को शाही स्नान।
-14 जनवरी (मकर संक्रांति) को शाही स्नान।
-29 जनवरी (मोनी अमावस्या) को शाही स्नान।
-03 फरवरी (बसंत पंचमी) को शाही स्नान।
-12 फरवरी (माघी पूर्णिमा) को शाही स्नान।
-26 फरवरी (महाशिवरात्रि) को शाही स्नान होना है।
अब तक ये अखाड़े पहुंचे
जूना, अग्नि, आहवान, अटल, महानिर्वाणी और श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी
रविवार को अनि अखाड़े का छावनी प्रवेश
पांच जनवरी को अनि अखाड़े का छावनी प्रवेश होगा। जिसमें निर्मोही अनि, दिगंबर अनि और निर्वाणी अनि के साधु-संत शामिल होंगे।
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