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shadi : हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज के साथ परिणय सूत्र में बंधी

Byadmin

Nov 2, 2025 #shadi

shadi

  • -रविवार को कुरुक्षेत्र के निजी पैलेस में विवाह रचाया
  • -समारोह में खेल जगत से जुड़े दिग्गज खिलाड़ियों, कोचों, अधिकारियों ने भाग लिया
  • -रानी के पिता रामपाल को व्हीलचेयर पर विवाह समारोह में लाया गया
  • -पिता व्हीलचेयर पर ने शादी की रस्में निभाई

कुरुक्षेत्र। भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान और पद्मश्री अवार्डी रानी रामपाल रविवार को शादी के बंधन में बंध गई। रानी ने कुरुक्षेत्र के चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज के साथ कुरुक्षेत्र के निजी पैलेस में विवाह रचाया। समारोह में खेल जगत से जुड़े दिग्गज खिलाड़ियों, कोचों, अधिकारियों तथा स्थानीय लोगों ने पहुंचकर नवविवाहित जोड़े को शुभकामनाएं दीं। पंकज, रमेश चंद के पुत्र हैं और बैंक में चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में कार्यरत हैं। शादी की खुशी के बीच रानी के परिवार के लिए भावुक पल भी आया, जब उनके पिता रामपाल को व्हीलचेयर पर विवाह समारोह में लाया गया। पिता को देखकर रानी की आंखें नम हो गईं। व्हीलचेयर पर पिता रामपाल ने शादी की रस्में निभाई। रानी रामपाल ने अपनी सफलता का श्रेय कोच बलदेव सिंह को दिया, जिन्होंने बचपन से उन्हें हॉकी की बारीकियां सिखाई। शादी में इंडिया टीम के कोच हरिंद्र सिंह, पूर्व कप्तान पद्यश्री सरदारा सिंह, द्रोणाचार्य अवॉर्डी प्रीतम सिवाच, भीम अवॉर्डी सुमन बाला, ओलंपियन संजीव कुमार, गुरबाज सिंह कैप्टन, हॉकी कोच मीनाक्षी सहित खेल जगत के सितारे पहुंचे। रानी रामपाल का हॉकी सफर प्रेरणा से भरपूर रहा है।

कम उम्र में हॉकी की दुनिया में कदम रखा

उन्होंने बेहद कम उम्र में हॉकी की दुनिया में कदम रखा और 14 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय पदार्पण करते हुए दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। सिर्फ 15 वर्ष की उम्र में वह 2010 महिला विश्व कप में सबसे युवा खिलाड़ी बनीं। रानी ने मेहनत और संघर्ष से भारतीय महिला हॉकी टीम को नई पहचान दिलाई। उनकी कप्तानी में भारत ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में ऐतिहासिक चौथा स्थान हासिल किया। इसके अलावा उन्होंने एशियन गेम्स और कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारत को पदक दिलाए। अपने लंबे करिअर में रानी ने 254 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और 200 से अधिक गोल किए। उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें अर्जुन पुरस्कार, पद्मश्री और मेजर ध्यानचंद खेल रत्न जैसे बड़े सम्मान मिले। टोक्यो ओलंपिक के बाद चोट के कारण वह टीम से बाहर रहीं और बाद में अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास ले लिया। वर्तमान में वह पटियाला में हॉकी नर्सरी में खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रही हैं और भविष्य की हॉकी स्टार तैयार कर रही हैं।

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