Motivational
- -इसे केवल मनोरंजन नहीं, सीखने का साधन बनाएं युवा
- -यह आगे बढ़ने और खुद को नया स्वरूप देने का प्रभावशाली माध्यम
- -सही दृष्टिकोण और सकारात्मक दृष्टि से देखने की जरूरत
डॉ. दिव्या तंवर
मोटिवेशनल स्पीकर
सोशल मीडिया आज हमारी ज़िंदगी का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। यह केवल मनोरंजन या संवाद का जरिया नहीं है, बल्कि सीखने, बढ़ने और खुद को नया स्वरूप देने का भी प्रभावशाली माध्यम है। लेकिन अक्सर यही सोशल मीडिया तनाव, चिंता और आत्म-संदेह का बड़ा कारण भी बन जाता है। जरूरत है कि हम इसे सही दृष्टिकोण और सकारात्मक दृष्टि से देखें, ताकि यह हमारे लिए सीखने का साधन बने, न कि तनाव का कारण।
जानकारी जुटाने का सबसे तेज माध्यम
-सोशल मीडिया हमें दुनिया भर की जानकारी देने का सबसे तेज़ और सुलभ माध्यम है।
-यहां आपको नई तकनीकों, विज्ञान, कला, साहित्य और जीवन कौशल के असीम अवसर मिलते हैं।
– हजारों विषयों पर विशेषज्ञों, शिक्षकों और प्रेरक वक्ताओं की सामग्री आसानी से देखी और समझी जा सकती है।
– छात्र हो या पेशेवर, हर व्यक्ति सही सामग्री का चयन करके अपने ज्ञान को कई गुना बढ़ा सकता है।
-सोशल मीडिया पर सकारात्मक नजरिए से चुनी गई सामग्री पढ़ना और सुनना किसी मुफ्त डिजिटल विवि से कम नहीं।
तनाव क्यों बनता है सोशल मीडिया
-सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल करते समय हम अक्सर दूसरों की ज़िंदगी से अपनी तुलना करने लगते हैं।
-हर पल पोस्ट की जाने वाली “परफेक्ट तस्वीरें” हमें यह गलतफहमी देती हैं कि बाकी सबकी ज़िंदगी हमसे बेहतर है।
-बेवजह स्क्रॉलिंग समय की बर्बादी भी करती है, और जब हम काम पूरे नहीं कर पाते तो तनाव और अपराधबोध बढ़ जाता है।
-लगातार लाइक्स और कमेंट्स की गिनती करना आत्म-सम्मान को दूसरों की राय से जोड़ देता है।
-सोशल मीडिया अपने मूल रूप में तो जानकारी और अवसरों से भरा हुआ है, लेकिन इसके गलत उपयोग या असंतुलित प्रयोग से यह हमारे लिए चिंता और मानसिक दबाव का कारण बन सकता है।
कारणों की व्याख्या
-तुलना की आदत : लोग दूसरों की “परफेक्ट” ज़िंदगी देखकर अपनी वास्तविक ज़िंदगी से तुलना करते हैं। यह हीनभावना और चिंता पैदा करता है।
-मान्यता की तलाश : पोस्ट पर मिले लाइक्स और कमेंट्स से आत्म-सम्मान को जोड़ लेना मानसिक दबाव बढ़ा देता है।
-समय की बर्बादी : जरूरत से ज़्यादा स्क्रॉलिंग करने से पढ़ाई, काम या व्यक्तिगत ज़िम्मेदारियां अधूरी रह जाती हैं, जो तनाव बढ़ाता है।
-सूचना का बोझ : बहुत अधिक और कभी-कभी नकारात्मक या विरोधाभासी जानकारी मानसिक रूप से भारी लगने लगती है।
-इसलिए, भले ही सोशल मीडिया ज्ञान और अवसरों का सागर है, उसका गलत या असंतुलित इस्तेमाल हमें मानसिक शांति और आत्म-संतुलन से दूर कर देता है।
संतुलन बनाना ज़रूरी
-सोशल मीडिया को सीखने का साधन बनाने के लिए हमें सजगता और आत्म-नियंत्रण की आदत डालनी होगी।
-रोज़ाना स्क्रॉलिंग या देखने के लिए निश्चित समय तय करें।
-केवल उन अकाउंट्स को फॉलो करें जो आपकी सोच को सकारात्मक और ज्ञानवर्धक दिशा में ले जाएं।
-तुलना करने के बजाय दूसरों की उपलब्धियों को प्रेरणा मानें।
-कोई नई भाषा, कला, तकनीक या जीवन कौशल सीखने के लिए सोशल मीडिया पर बने प्रामाणिक चैनल और पेज चुनें।
जीवन में सकारात्मक बदलाव
-अगर हम सही तरीके से इसका उपयोग करें तो सोशल मीडिया हमें आत्म-विकास की राह दिखा सकता है।
-यह हमें विविध संस्कृतियों, नई जीवनशैलियों और अनगिनत विचारों से परिचित कराता है।
-प्रेरणादायी कहानियां और सफलता के अनुभव हमारे लिए प्रोत्साहन का कार्य करते हैं।
-यह नेटवर्किंग और सहयोग के अवसर भी देता है, जो व्यक्तिगत और पेशेवर विकास दोनों में लाभकारी हैं।
सोशल मीडिया एक दर्पण
सोशल मीडिया एक दर्पण है, उसमें वही झलकता है जिस पर हम अपना ध्यान केंद्रित करते हैं। अगर हम इसे केवल मनोरंजन और तुलना का मंच बनाएंगे तो तनाव और असंतोष ही मिलेगा। लेकिन अगर हम इसे सीखने और आत्म-विकास का मंच बनाएँगे तो यह हमारे स्वप्नों को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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